Hathras Stampede: हादसे के बाद हाथरस के ट्रॉमा सेंटर में कितने डॉक्टर थे? सच्चाई बताते हुए लोगों ने खोली प्रशासन की पोल

Hathras Stampede: हादसे के बाद हाथरस के ट्रॉमा सेंटर में कितने डॉक्टर थे? सच्चाई बताते हुए लोगों ने खोली प्रशासन की पोल

हाथरस के फुलरई में आयोजित स्वयंभू संत भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से अब तक सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस हादसे ने ना केवल पुलिस, प्रशासन बल्कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी है. हादसा पीड़ितों ने बताया कि जब घायलों को ट्रॉमा सेंटर लाया गया तो एक मात्र जूनियर डॉक्टर यहां मौजूद थे. खुद सीएमओ भी डेढ़ घंटे बाद अस्पताल पहुंचे.

उत्तर प्रदेश में हाथरस के फुलरई में स्वयंभू संत भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में मौत की संख्या सौ के पार जा चुकी है. जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हैं. उन्हें इलाज के लिए अलग अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इस हादसे में हुई मौतों ने पुलिस और प्रशासन की अलर्टनेस की पोल खोल कर रख दी है. हादसके वक्त आलम यह था कि जब शव हाथरस के ट्रॉमा सेंटर पहुंचने लगे तो वहां मरीजों के सार संभाल के लिए कोई इंतजाम नहीं था. खुद पीड़ितों ने मीडिया को दिए बयान में मौके की सच्चाई बयां की है.

घायलों और मृतकों के परिजनों ने बताया कि शुरुआती डेढ़ घंटे तक ट्रॉमा सेंटर में एक जूनियर डॉक्टर और एक ही फार्मासिस्ट मौजूद थे. खुद सीएमओ भी डेढ़ घंटे बाद अस्पताल पहुंचे. यहां तक कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी यहां डेढ़ से दो घंटे बाद पहुंचे थे. परिजनों ने बताया कि अस्पताल के अंदर घायलों को भर्ती करने के लिए भी ठोस इंतजाम नहीं थे. ऐसे में ड्यूटी डॉक्टर स्टेचर पर ही प्राथमिक उपचार कर घायलों को बड़े अस्पताल के लिए रैफर कर दे रहे थे. जबकि मृतकों के शवों को तो देखने के लिए भी कोई नहीं था.

डेढ़ घंटे बाद पहुंचे सीएमओ

परिजनों ने बताया कि सीएमओ के आने के बाद दो एक डॉक्टर और अन्य स्टॉफ यहां पहुंचे भी तो इस अस्पताल में संसाधन जवाब दे गए. हालात को देखते हुए घायलों को उनके परिजन खुद ही उठाकर दूसरे अस्पतालों में ले जाने लगे. कुछ पलों के लिए तो इस अस्पताल में हालात ऐसे बन गए थे कि चारो ओर केवल चींख पुकार की आवाजें आ रही थीं और पूरे परिसर में चारो ओर लाशें ही लाशें नजर आ रही थीं. इस भयावह दृष्य को देखकर कई लोग तो गश खाकर वहीं पर गिर भी गए.

अस्पताल के कर्मचारी को भी आया चक्कर

अस्पताल में तैनात एक कर्मचारी ने भी बताया कि उसने अपने जीवन में इतनी लाशें कभी नहीं देखी थी. एक साथ इतने लाश देखकर खुद उसे भी चक्कर आने लगे. हालात को देखते हुए उसने तुरंत दो मिनट कर रेस्ट लेकर पानी पीया और स्थिति ठीक होने के बाद घायलों और मृतकों को संभालने की कोशिश की. यह स्थिति हाथरस के ट्रॉमा सेंटर की ही नहीं, आसपास के अन्य अस्पतालों में भी समान रूप से देखी गई.