बाहुबली अतीक के आतंक का साम्राज्य कब होगा खत्म? पढ़ें FULL STORY

बाहुबली अतीक के आतंक का साम्राज्य कब होगा खत्म? पढ़ें FULL STORY

गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक की करीब एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति प्रयागराज से लेकर यूपी के अन्य जिलों में पुलिस जब्त कर चुकी है. पढ़ें राजेंद्र कुमार की रिपोर्ट.

जेल में बंद हाईस्कूल फेल पूर्व सांसद अतीक अहमद कुंभ नगरी प्रयागराज के बाहुबली नेता है. प्रयागराज में अतीक अहमद के राजनीतिक वर्चस्व को कई साल पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने ध्वस्त करने की शुरुआत की थी.अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतीक अहमद का नाम लिए बिना ही शनिवार को सदन में यह दावा किया है कि हम माफियाओं के खिलाफ हैं, उन्हें मिट्टी में मिला देंगे.

बीते करीब छह वर्षों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अतीक अहमद को मिट्टी में मिलने की अपनी इस मुहिम में जुटे भी हुए हैं. और सूबे की पुलिस भी गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक की करीब एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की जमीन प्रयागराज से लेकर यूपी के अन्य जिलों में जब्त कर चुकी है. इसके बाद भी विधायक राजू पाल हत्याकांड के उस गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में दिन दहाड़े हत्या हो जाती है, जिसकी गवाही से अतीक अहमद व उसके छोटे भाई पूर्व विधायक अशरफ को कड़ी सजा सुनाई जा सकती थी. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अतीक अहमद के आतंक का साम्राज्य कब खत्म होगा?

वोटों की राजनीति करने से नहीं होगा आतंक का खात्मा

इस सवाल का जवाब राज्य के डीजीपी रहे चुके जावीद अहमद देते हैं. उनका कहना है जब तक देश के राजनीतिक दल वोट के प्रलोभन में आपराधिक मामलों में फंसे अतीक अहमद जैसे लोगों को गले लगाएंगे, इनके आतंक का साम्राज्य खत्म नहीं होगा. क्योंकि अतीक जैसे बाहुबलियों के खिलाफ जब पुलिस की कार्रवाई होती है तो उसे लगातार जारी रखने नहीं दिया जाता. कई बार यह राजनीतिक वजहों से होता है तो कई बार प्रशासनिक और पुलिस अफसरों की सुस्ती भी इसकी वजह होती है. इस कारण से ऐसे बाहुबलियों का ध्वस्त हो चुका साम्राज्य फिर खड़ा हो जाता है. जावीद अहमद का यह तर्क अतीक अहमद के उत्थान की कहानी को बताने के लिए काफी है. यूपी की राजनीति में तमाम नेताओं और प्रयागराज के लोगों ने यह देखा है कि कैसे राजनीतिक दलों के सहारे अतीक अपना साम्राज्य बढ़ाता रहा.

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अतीक का राजनीतिक सफर, प्रयागराज के लोगों ने देखा

प्रयागराज में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार अंशुमान शुक्ल जिन्होने अतीक अहमद के आपराधिक मामलों में कई खबरे लिखी हैं, उनका कहना है, प्रयागराज के सिविल लाइन एरिया के घर घर में अतीक अहमद के चर्चे आज से नहीं बल्कि करीब पच्चीस वर्षों के हो रहे हैं. कभी अतीक अहमद के सिविल लाइन क्षेत्र में नई प्रॉपर्टी खरीदने/ कब्जा करने को लेकर तो कभी उसके गुर्गों द्वारा अंजाम दिए गए कारनामों के चलते वह प्रयागराज में चर्चा का विषय रहा है. अंशुमान कहते हैं कि अतीक अहमद देखते -देखते कैसे राजनीति के शिखर पर पहुंचा, यह प्रयागराज के लोगो ने देखा है.

खुद उन्होने यह देखा है कि कैसे अतीक अहमद सीढ़ी चुनाव चिन्ह पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और देखते ही देखते वह देश के संसद और उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंच गया. इस शहर के लोगों ने यह भी देखा है कि कैसे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह उसके घर आए और बीते दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती के इशारे पर अतीक अहमद की पत्नी को शाइस्ता परवीन और उनके बेटे को बसपा में शामिल किया. अतीक की पत्नी का बसपा में आना प्रयागराज में आश्चर्यजनक घटना मानी गई, क्योंकि करीब तीन दशक से बसपा अतीक का विरोध कर रही थी. फिर अचानक ही मायावती ने अतीक से अपनी अदावत को बुलाकर उनके परिवार को राजनीतिक सहारा दे दिया. और यह कारनामा भी तब हुआ जब बाहुबली अतीक अहमद यूपी से दूर गुजरात की साबरमती जेल में बंद है.

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अतीक का आपराधिक इतिहास

अंशुमान के अनुसार, हाईस्कूल फेल 50 से अधिक उम्र वाले अतीक अहमद पर हत्या, हत्या की कोशिश, लूट, जमीन कब्जा करने, डकैती, बलवा, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर जैसे गंभीर केस हैं. 19 साल की उम्र में उस पर हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था. उस पर यह मामला वर्ष 1979 में पहला मुकदमा दर्ज हुआ तो आज उनकी संख्या 117 तक पहुंच गई. अतीक को यूपी के पहले गैंगस्टर का तमगा भी मिला है. वर्ष 1986 में प्रदेश में गैंगस्टर एक्ट लागू हुआ और अतीक पर उसी साल इस्तेमाल किया गया. अतीक की हिस्ट्रीशीट खुल्दाबाद थाने में खुली है, उसकी हिस्ट्रीशीट का नंबर 39 ए है. उन पर कई बार गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हो चुकी है.

सूचीबद्ध अतीक गैंग में राजू पाल हत्याकांड के बाद गिरोह में 150 लोग थे. पुलिस फाइलों में अतीक गिरोह आईएस 227 के नाम से जाना जाता है. एक कारोबारी का अपहरण और उसे देवरिया जेल में पीटने के आरोप में अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुजरात की हाई सिक्युरिटी जेल में शिफ्ट किया गया है. अंशुमान शुक्ल कहते है, अतीक अहमद के खराब दिनों की शुरुआत प्रयागराज पश्चिम के विधायक रहे राजू पाल की 25 जनवरी, 2005 को हुई हत्या के बाद से शुरू हुए. इस हत्याकांड में अतीक अहमद व उसके छोटे भाई पूर्व विधायक अशरफ पर केस चल रहा है.

अतीक के साम्राज्य पर चला था मायावती का बुलडोजर

तमाम पुलिस अफसरों और नेताओं का कहना है कि बसपा विधायक राजू पाल के हत्याकांड को लेकर मायावती ने अतीक को सबक सिखाने की ठानी थी. मायावती पहले ही जून 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में अतीक अहमद के शामिल होने के चलते उनसे खफा थी. अतीक अहमद उन प्रमुख आरोपियों में एक थे, जिन्होंने मायावती पर हमला किया था. यही वजह है कि जैसी ही वर्ष 2007 में मायावती यूपी की सत्ता पर पूर्ण बहुमत से आई, उन्होने अतीक अहमद की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने से लेकर कई बड़ी कार्रवाई की. उन्हे जेल भेजा और प्रयागराज में अतीक की राजनीति को खत्म पर अंकुश लगाया. उसके साम्राज्य को ध्वस्त किया.

मायावती के इस एक्शन के बाद आज तक अतीक अहमद और उनके परिवार को कोई सदस्य चुनाव नहीं जीत सका. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सूबे की सत्ता पर काबिज होने पर अतीक के सियासी साम्राज्य को ध्वस्त करने का अभियान जारी रखा. तो सपा ने अतीक अहमद से किनारा कर लिया लेकिन तभी अतीक को ओवैसी ने गले लगा लिया. और बीते माह मायावती ने अतीक के परिवार को बसपा में जगह दे दी. राजनीतिक दलों में अतीक अहमद को मिल रही ऐसी तबज्जो को देखते हुए ही यह कहा जा रहा है कि यूपी में सत्ता किसी की भी रही हो बाहुबली अतीक अहमद के आतंक का साम्राज्य पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है वह बढ़ाता ही रहा है. ऐसे में बीते छह सालों से अतीक के प्रताप को खत्म करने में जुटे उसे साम्राज्य को मिट्टी में कैसे मिलाएंगे?