Highway Movie Review : ठीक-ठाक है आनंद देवरकोंडा की ‘हाईवे’, रिडेम्पशन से परे है इसकी कहानी

Highway Movie Review : ठीक-ठाक है आनंद देवरकोंडा की ‘हाईवे’, रिडेम्पशन से परे है इसकी कहानी

आनंद देवरकोंडा की इस फिल्म में एक डार्क और परेशान करने वाली थ्रिलर की क्षमता थी, लेकिन ये बहुत ही हल्की-फुल्की स्क्वीब के रूप में खत्म होती है. इस फिल्म में कोई रिडीमिंग गुण नहीं है.

फिल्म का नाम: हाईवे

कास्ट: आनंद देवरकोंडा, सैयामी खेर, मनसा राधाकृष्णन और अभिषेक बनर्जी

निर्देशक: केवी गुहान

विजय देवरकोंडा तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम है लेकिन बड़े दुख की बात है कि उनके भाई आनंद देवरकोंडा के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता. हालांकि, वो ए लिस्टर अभिनेताओं में नहीं गिने जाते हैं लेकिन कुल मिलाकर उनकी फिल्म में एक्टिंग ठीक ठाक है. आनंद देवरकोंडा अब अपनी लेटेस्ट फिल्म ‘हाईवे’ के साथ वापस आ गए हैं. ये फिल्म ‘अहा’ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मौजूद है. हालांकि, ये बहुत ही दुख की बात है कि युवा अभिनेता होने के नाते उनका ये कदम बहुत ही गलत है. इस फिल्म में एक स्ट्रॉन्ग मैसेज के साथ ही एक बेहतरीन थ्रिलर होने की क्षमता थी लेकिन उस मौके को उन्होंने गंवा दिया है.

आनंद देवरकोंडा के इर्द-गिर्द घूमती है कहानी

‘हाईवे’ एक फोटोग्राफर विष्णु (आनंद देवरकोंडा) के इर्द-गिर्द घूमता है, जो कि एक असाइनमेंट के लिए अपने एक करीबी दोस्त के साथ बेंगलुरु जाता है. बेंगलुरु जाने के रास्ते में उसे एक अनजान समस्या का सामना करना पड़ता है. इस समस्या की वजह से उसे एक ढाबे पर समय बिताने पर मजबूर होना पड़ता है. यहीं उनकी मुलाकात तुलसी (मनसा राधाकृष्णन) से होती है, जिसका पास्ट काफी दुखद रहा है. वो जल्द ही एक सीरियल किलर (अभिषेक बनर्जी) से मिलते हैं. लेकिन यहां सवाल ये है कि क्या वो इस लाइफ थ्रेट की कंडीशन से बच पाएंगे?

यहां देखिए फिल्म ‘हाईवे’ का ट्रेलर-

फिल्म के प्लॉट पर नहीं किया गया ठीक से काम

इस कहानी का प्लॉट बुरा नहीं है क्योंकि इसमें वायलेंस से लेकर रोमांटिक सीन्स तक सब कुछ ठीक है, जिसकी एक देसी थ्रिलर से उम्मीद की जाती है. हालांकि, ये आप पर कोई प्रभाव नहीं डालता क्योंकि इसकी डिलीवरी इतनी नीरस है कि आप भी ऊब जाएंगे.

इस फिल्म की शुरुआत एक सीन से होती है जिसमें विष्णु ये कहते हुए नजर आते हैं कि एक खास रास्ते पर एक सफर ने तीन जिंदगियों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. ये सीक्वेंस उतना अच्छा शूट नहीं किया गया है, ये आपको जो बताना चाहिए उसमें असफल हो जाता है. हां, फिल्म में आप कई जगहों पर चौंकेंगे लेकिन वो इसलिए नहीं कि फिल्म बेहतरीन है बल्कि इसलिए कि ये सीन शूट क्यूं किया गया. इसके बाद कुछ सीन्स थोड़े बेहतर नजर आते हैं, जो कि फिल्म के दूसरे कैरेक्टर्स से आपका परिचय कराते हैं. लेकिन ये सभी कैरेक्टर फिल्म के प्लॉट से मैच नहीं खाते.

हालांकि, फिल्म में अभिषेक बनर्जी की एंट्री के बाद ‘हाईवे’ थोड़ी सी रफ्तार पकड़ती है. कुछ ऐसे भी सीन्स हैं जिन्हें देखकर आप परेशान हो सकते हैं लेकिन ये फिल्म आपको किसी भी तरह से उबारने में कामयाब नहीं रहती है.

अभिषेक बनर्जी और सैयामी ने किया बेहतरीन काम

परफॉर्मेंस की बात करें तो, आनंद देवरकोंडा रोमांटिक सीन्स के चक्कर में आधी-अधूरी कहानी से ऊपर उठ जाते हैं. उनका शर्मीला अंदाज आपको विजय देवरकोंडा की भी याद दिला देगा. हालांकि, ये कुछ ज्यादा मायने नहीं रखता है. अभिषेक बनर्जी कुछ सीन्स में थोड़े खतरनाक नजर आते हैं, लेकिन ‘हाईवे’ शायद ही उनके लिए दूसरा ‘पाताल लोक’ साबित हो पाए. सैयामी ने फिल्म में एक पुलिस अपसर की भूमिका निभाई है, जिसमें वो खरी उतरती हैं. लेकिन मनसा राधाकृष्णन का कैरेक्टर कई सारी चीजों की वजह से दब सा गया है.

आप एक बार देख सकते हैं ये फिल्म

फिल्म के गाने ठीक हैं लेकिन इनकी सीमित रिकॉल वैल्यू है. बैकग्राउंड स्कोर पर अच्छा काम किया गया है. लेकिन कुल मिलाकर अगर बात करें तो ये फिल्म एक घटिया थ्रिलर से ज्यादा और कुछ भी नहीं.