नए घर का गृह प्रवेश, सालों की तैयारी पूरी… एक हादसे में सपना हुआ चूर, पति-पत्नी की मौत

नए घर का गृह प्रवेश, सालों की तैयारी पूरी… एक हादसे में सपना हुआ चूर, पति-पत्नी की मौत

पति-पत्नी ही अपने बच्चों के साथ सालों से एक पन्नी से छाई हुई झोपड़ी में रहा करते थे. नए घर में जाने से एक रात पहले उन्होंने सारी तैयारी कर ली थी. वे गृह प्रवेश की एक रात पहले एक दिन पहले अपनी पुरानी झोपड़ी में लाखों सपने जहन में संजोए सो गए.

घर एक ऐसी जगह, जिसके बारे में सोचकर एक ही शब्द जहन में आता है वो है सुकून… खुद का घर होना और उसमें अपनी जरूरतों के मुताबिक, कमरे और सामानों का होना हर किसी का सपना होता है. ऐसे एक सपने को पूरा करने की तैयारी में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर का एक परिवार भी था. सालों से छप्पर से छाए एक घर में रहने वाले इस परिवार का अब घर बन चुका था. अगली सुबह पत्नी और बच्चों के साथ अपने घर में गृह प्रवेश की तैयारी में एक शख्स भी था.

सालों से खुद के घर का सपना सजाए हुए इस परिवार का अब अपना खुद का एक घर बन चुका था. ए. ये परिवार इसी सपने के साथ सोया कि अगली सुबह अपने घर में गृह प्रवेश की पूजा के साथ प्रवेश करेंगे, लेकिन नियति को कुछ और हीआर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा तो ठीक नहीं थी, क्योंकि शख्स चीनी मील में मजदूरी करता था. जैसे-तैसे करके सालों की पूंजी इकट्ठा की ताकि खुद का एक घर बन जा मंजूर था.

एक हादसे में बह गया सालों का सपना

अनंतपुर के रहने वाले 49 साल के रप्पा और 45 साल की लक्ष्मी ने का लंबे इंतजार के बाद सपना पूरा होने को था. दोनों ही अपने बच्चों के साथ सालों से एक पन्नी से छाई हुई झोपड़ी में रहा करते थे. नए घर में जाने से एक रात पहले उन्होंने सारी तैयारी कर ली थी. वे गृह प्रवेश की एक रात पहले एक दिन पहले अपनी पुरानी झोपड़ी में लाखों सपने जहन में संजोए सो गए. उन्हें क्या पता था कि वो अपने घर फिर कभी नहीं जा सकेंगे.

दरअसल गृह प्रवेश की एक रात पहले हुई बारिश के कारण आधी रात को मकान की छत अचानक ढह गई. बारिश इतनी तेज हुई कि छप्पर वाले मकान की छत ढह गई. मरप्पा और लक्ष्मी की मकान की छत ढह जाने के कारण मौत हो गई. हालांकि इस हादसे में उनके बच्चों को ज्यादा चोट तो नहीं आई, लेकिन सालों का सपना उस एक रात में उजड़ गया, जिसे मरप्पा और लक्ष्मी ने सालों पहले देखा था. उनके बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. अब वो घर मां और पिता के बिना मानों सूना रह गया.