टेक्नोलॉजी से आतंक पर प्रहार, कश्मीर में बचे सिर्फ 50 सक्रिय आतंकी
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जम्मू कश्मीर पुलिस के फिलहाल श्रीनगर में अपनाए जा रहे आधुनिक टेक्नोलॉजी की वजह से वहां पर करीब दो सालों में कोई भी मुठभेड़ सुरक्षाबलों और मिलिटेंट्स के बीच में नहीं देखी गई. जम्मू कश्मीर पुलिस ने पहले सभी सड़कों पर स्थित दुकानों और संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी लगाना अनिवार्य कर दिया.
जम्मू कश्मीर पुलिस आतंक की कमर तोड़ने में देश और विश्व के फोर्सेज में एक हाई टेक फोर्स बनके उभर रही है, जिससे कश्मीर घाटी में आतंक की नकेल कसने में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिलती नजर आ रही है. घाटी में यह पहली बार देखा जा रहा है कि बचे आतंकियों की कुल संख्या 50 से भी कम हुई है, जिसमें जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार, स्थानीय आतंकियों की संख्या केवल 25 के आसपास ही है, जबकि विदेशी या विशेषकर पाकिस्तानी मूल के आतंकी 25 के आसपास मौजूद हैं.
बता दें कि श्रीनगर में बीते करीब दो सालों में कोई भी मुठभेड़ सुरक्षाबलों और मिलिटेंट्स के बीच में नहीं देखी गई है और इसका श्रेय जम्मू कश्मीर पुलिस के फिलहाल श्रीनगर में अपनाए जा रहे आधुनिक टेक्नोलॉजी को माना जा रहा है. जम्मू कश्मीर पुलिस ने पहले सभी सड़कों पर स्थित दुकानों और संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी लगाना अनिवार्य कर दिया. उसके बाद पुलिस एफआरटी यानी फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया, जिससे किसी भी वांटेड मिलिटेंट के कही भी दिखते ही पुलिस को उसकी खबर मिल जाती है.
श्रीनगर में रहने वालों जमा हो रहा डाटा
अब जम्मू कश्मीर पुलिस श्रीनगर में सभी रहने वाले घरों और उनके सदस्यों का डाटा एक सर्वे के तहत जमा कर रही है. इस के तहत श्रीनगर में रहने वाले सभी मकानों के लोंगिट्यूड और लैटिट्यूड यानी कॉर्डिनेट भी दर्ज किए जा रहे हैं, साथ ही साथ इस सर्वे के तहत परिवारों से उनके सदस्यों (विशेषकर अगर कोई भी आतंकी गतिविधियों में शामिल था) की भी जानकारी मांगी जा रही हैं ताकि ऐसे व्यक्तियों पर नजर रखी जाए. सूत्रों की मानें तो, कॉर्डिनेट लोकेशन से पुलिस को किसी भी संदिग्ध को ट्रेस करने में जहां समय की बचत होगी, वहीं वह किस इलाके में है और उसकी की जा हरकत पर भी साफ साफ नजर रखी जा सकेगी और उसका सहायक अगर कोई होगा उसका भी पता चल पाएगा.
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7 फरवरी को हुए हमले का आरोपी गिरफ्तार
जानकारी के अनुसार, टेक्नोलॉजी की मदद से श्रीनगर में जम्मू कश्मीर पुलिस एक अपर हैंड बनाने में सफल रही है और केवल एक आतंकी श्रीनगर निवासी बचा है क्योंकि किसी भी आतंकी गतिविधि को अंजाम देने के तुरंत बाद कुछ घंटों में ही पुलिस उसको अंजाम देने वालों को धर दबोचने में सक्षम है. जैसा की श्रीनगर में 7 फरवरी को हब्बा कदल इलाके में दो गैर स्थानीय पंजाब निवासियों पर हमले में देखा गया कि किस तरह से मुख्य आरोपी को 48 घंटे से भी कम समय में पकड़ लिया गया है. चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी और एफआरटी से कही ना कही आतंकियों और ओजीडब्ल्यू को हरकत और कोई भी गतिविधि करने में काफी खतरा महसूस हो रहा है और अब कोर्नेट लोकेशन उनकी चिंताओं को और बढ़ाने वाली है.
25 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय
जम्मू कश्मीर पुलिस के एडीजीपी (कानून व्यवस्था) का कहना है कि कश्मीर घाटी में केवल 25 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं जिनमें से केवल एक ही प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सक्रिय है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा करीब 25-30 विदेशी आतंकवादी भी हैं जो कि घाटी में सक्रिय हैं और संभावित तौर पर जंगलों में छुपे हुए हो सकते हैं. जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार, श्रीनगर में 7 फरवरी को दो पंजाब के नागरिकों पर हमला किया गया, जिसके पीछे जिम्मेदार आतंकवादी आदिल मंजूर लंगू हैं, जिसको पुलिस ने फिलहाल गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि वह श्रीनगर के जाल डगर इलाके से है. एडीजीपी विजय कुमार ने कहा, वह सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में आया था और लगातार संपर्क में ही था, जिसकी वजह से उसे जनवरी में पिस्तौल उपलब्ध कराने में कामयाब रहा था और फिर आदिल पर दबाव बनाया गया था कि वह जल्दी किसी लक्षित हत्या को अंजाम दे”.