J-K में स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण बिल लोकसभा में पारित, सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच दिखी नोंक-झोंक

J-K में स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण बिल लोकसभा में पारित, सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच दिखी नोंक-झोंक

सामान्य तौर पर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का अधिकार राज्य चुनाव आयोग के पास होता है. लेकिन फिलहाल जम्मू-कश्मीर में मौजूदा कानूनों के अनुसार यह अधिकार मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास है. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार यह अधिकार अब जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयोग के पास होगा.

स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए जम्मू-कश्मीर स्थानीय निकाय कानून संशोधन विधेयक 2024 लोकसभा में पारित कर दिया गया. इस विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989, जम्मू-कश्मीर नगरपालिका अधिनियम 2000 और जम्मू-कश्मीर नगर निगम अधिनियम 2000 के कुछ प्रावधानों में संशोधित किया गया.

इस कानून का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पंचायतों और नगर पालिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग-ओबीसी को आरक्षण प्रदान करना और संविधान के प्रावधानों के साथ केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय निकाय के कानूनों में स्थिरता लाना है.

राज्यसभा में भेजा गया बिल

सामान्य तौर पर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का अधिकार राज्य चुनाव आयोग के पास होता है. लेकिन फिलहाल जम्मू-कश्मीर में मौजूदा कानूनों के अनुसार यह अधिकार मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास है. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार यह अधिकार अब जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयोग के पास होगा. लोकसभा में पास होने के बाद अब ये बिल आज राज्यसभा में भेजा गया है.

सूची में चार समुदायों को जोड़ने का प्रावधान

संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 में वाल्मीकि समुदाय को चूड़ा, बाल्मीकि समुदाय के समानार्थी के रूप में जोड़ने का प्रावधान है. संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 में जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में चार समुदायों को जोड़ने का प्रावधान है. ये गड्डा ब्राह्मण, कोली, पडारी कबीला और पहाड़ी जातीय समूह हैं.

समुदायों को समान अधिकार

चर्चा के जवाब में वीरेंद्र कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए निरंतर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद उन समुदायों को समान अधिकार मिल रहा है जिन्हें लंबे समय से अधिकार नहीं मिला था.