संसद में अडानी मामले पर विपक्ष के टुकड़े-टुकड़े, कांग्रेस का दांव फेल
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नीतीश से बिहार जाकर बीआरएस मुखिया चंद्रशेखर राव का मिलना, अखिलेश और अरविंद केजरीवाल का बीआरएस के बुलावे पर रैली में जाना किसी से छिपा नहीं है.
अडानी मसले पर खुले विरोध के मसले पर विपक्ष दो धड़ों में बंटा था, लेकिन अब तीन फाड़ हो गया. इसके साथ ही विपक्षी एकता भविष्य के लिए भी धराशाही होती नजर आ रही है. कांग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियां सदन चलाने पर सहमत हुईं, टीएमसी ने तो दो दिन पहले ही कांग्रेस को अल्टीमेटम देकर कहा दिया था कि, वो सदन चलाने के पक्ष में है. इसी के बाद विपक्षी फूट को बचाने के दबाव में कांग्रेस सदन में चर्चा को तैयार हो गयी, राहुल गांधी ने भाषण भी दे दिया.
लेकिन बीआरएस, आप और शिवसेना कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों से असहमति जताते हुए संसद का बायकॉट जारी रखते हुए गांधी मूर्ति के नीचे धरना दिया. ये तीनों दल जेपीसी की जांच और काम रोको प्रस्ताव के तहत चर्चा की मांग पर अड़ गए हैं.
सदन में चर्चा का मतलब नहीं
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि जेपीसी की मांग नहीं मानी जा रही तो सदन में चर्चा का मतलब नहीं. वहीं आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि जिन विपक्षी दलों को लगता है कि, जेपीसी मांग सदन चलने पर पीएम मान लेंगे तो देखते हैं, हम उनको बधाई दे देंगे.
एक साथ आने को तैयार नहीं विपक्ष
इससे पहले नीतीश से बिहार जाकर बीआरएस मुखिया चंद्रशेखर राव का मिलना, अखिलेश और अरविंद केजरीवाल का बीआरएस के बुलावे पर रैली में जाना किसी से छिपा नहीं है. हाल में कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे जेएमएम के हेमन्त सोरेन का दिल्ली में राहुल-सोनिया के बजाय अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करना बताता है कि, विपक्ष एक छतरी के नीचे आने को तैयार नहीं है.
बड़े चेहरे श्रीनगर नहीं गए
आखिर भारत जोड़ो यात्रा के समापन में बुलावे के बावजूद बड़े चेहरे श्रीनगर नहीं गए थे. जबकि, ओवैसी, आप, बीआरएस, जेडीएस को कांग्रेस ने बुलावा ही नहीं भेजा था. ऐसे में सिवाय कोशिश और आस के सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास कोई चारा नहीं बचा.
विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि हमारी कोशिश है कि, विपक्ष एकजुट हो, वो हम कर रहे हैं, सब साथ मिलकर 2024 में बीजेपी को हराएंगे. हालांकि पहले ही बीजेडी, बीएसपी, वाईएसआर कांग्रेस, जेडीएस इस मसले पर बाकी विपक्ष से दूरी बनाए थे. अब जो साथ थे उनमें भी दो फाड़ हो गया. कुल मिलाकर कहने के लिए तो विपक्षी एकता कभी कभी दिखती है लेकिन अगले ही पल धरातल पर वो धड़ाम हो जाती है.