प्रयागराज महाकुंभ: अखाड़ों में तकरार…अब तीसरी परिषद की एंट्री, कौन संभालेगा इसकी कमान?
अगले साल प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. इस बीच, अखाड़ा परिषदों में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. 7 नवंबर को आयोजित अखाड़ों की बैठक में विवाद खुल कर सामने आ गया. इसका नतीजा है कि तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन हो गया.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों के बीच चल रही तकरार के बाद एक और अखाड़ा परिषद की एंट्री हो गई है. इसका नाम अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद है. पहले से अस्तित्व में दो अखाड़ा परिषद के बाद तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन हो गया है. पहली बार महाकुंभ में तीन अखाड़ा परिषद काम करेंगी.
अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास होंगे. ये श्री निर्मोही अनी अखाड़ा के भी वर्तमान में अध्यक्ष हैं. वहीं, महामंत्री श्री दिगंबर अनी अखाड़ा के बाबा हठयोगी होंगे. महंत राजेंद्र दास ने बताया कि इसकी विधिवत घोषणा वैष्णव अखाड़ों के संतों की अगली बैठक में होगी. इसके जरिए वैष्णव के 18 अखाड़ों को एकजुट किया जाएगा. संन्यासी और वैष्णव अखाड़ों के बीच 7 नवंबर के बीच हुए विवाद के बाद यह निर्णय लिया गया है.
तीसरी अखाड़ा परिषद का अलग होगा स्वरूप
महाकुंभ के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली अखाड़ा परिषद का विवादों से गहरा नाता रहा है. विवादों की सबसे सबसे बड़ी वजह अखाड़ों में वर्चस्व की लड़ाई रही है. विवाद के कारण हर बार अलग रहे हैं. महाकुंभ या कुंभ में अपने-अपने अखाड़ों को बसाने के लिए कुंभ क्षेत्र में अधिक से अधिक जमीन और सुविधाओं को हासिल करने के लिए इस संस्था को दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं.
2025 में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में कुंभ क्षेत्र में अखाड़ों को जमीन देने के पहले जमीन के निरीक्षण के लिए 7 नवंबर को आयोजित अखाड़ों की बैठक में तकरार से परिषद के बीच विवाद खुल कर सामने आ गया.इसका नतीजा है कि तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन हो गया. अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद विष्णु उपासक सभी अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था होगी ऐसा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास का दावा है. बात अगर परिषद के स्वरूप की करें तो अभी इसमें अध्यक्ष और महामंत्री का चयन हुआ है. बाकी पदाधिकारियों के स्वरूप और निर्वाचन की प्रक्रिया वैष्णव अखाड़ों की अगली बैठक में होगी.
महाकुंभ में अखाड़ा परिषद का असर हुआ कम
महाकुंभ के आयोजन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की भूमिका अहम रही है. कुंभ मेला प्रशासन इसी संस्था के मार्गदर्शन में कुंभ की व्यवस्था को संपादित करता रहा है. इसी भूमिका के चलते अखाड़ा परिषद का महत्व कुंभ के आयोजन में अहम हो जाता है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की 2021 में मौत के बाद अखाड़ा परिषद दो गुटों में बट गई. एक गुट की अगुवाई पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी कर रहे हैं, जिन्हें वैष्णव अखाड़ों का भी समर्थन प्राप्त है. श्री महंत राजेंद्र दास भी इसी का हिस्सा रहे हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट की अगुवाई निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पुरी कर रहे हैं, जिसे जूना अखाड़े के महंत हरि गिरी का समर्थन मिला हुआ है. इस तरह अंदर से अखाड़ा परिषद की कलह की वजह इसमें संन्यासी और वैष्णव अखाड़ों के बीच आपसी सहमति न हो पाना है. इसके विवाद से तीसरी अखाड़ा परिषद का गठन सामने आया है.