Raigad Lok Sabha Seat: बदले राजनैतिक समीकरणों के बीच रायगढ़ को कौन करेगा फतह? बटी हुई शिवसेना-NCP की परीक्षा की घड़ी
महाराष्ट्र की रायगढ़ लोकसभा सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई. यहां पहला संसदीय चुनाव साल 2009 में हुआ था, जिसमें शिवसेना के अनंत गीते ने जीत दर्ज की थी. यह लोकसभा सीट रायगढ़ की 4 और रत्नागिरी जिले की 2 विधानसभाओं को मिलकर बनाई गई है. इनमें पेन, अलीबाग, श्रीवर्धन, महद, दापोली और गुहागर विधानसभा शामिल हैं.
महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं. इनमें रायगढ़ संसदीय सीट महत्तवपूर्ण सीटों में से एक है. यह सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई. यहां पहला संसदीय चुनाव साल 2009 में हुआ था. इस सीट पर शुरूआती जीत का परचम शिवसेना ने फहराया था. वह लगातार 2 बार इस सीट पर काबिज रही. वर्तमान में यह सीट राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के कब्जे में है.
इस बार समीकरण काफी बदले हुए हैं. शिवसेना और राकंपा दो धड़ों में बंट चुकी है. शिवसेना एकनाथ शिंदे और उद्वव ठाकरे गुट में वहीं, रांकापा शरद पवार और अजीत पवार खेमें में तब्दील हो चुकी है. वर्तमान सांसद सुनील तटकरे अजीत पवार खेमे में चले गए हैं. इनके टिकट की घोषणा भी हो चुकी है.महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की NCP भारतीय जनता पार्टी के साथ है. दूसरी ओर उद्वव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी शरद चंद्र पवार पार्टी कांग्रेस के साथ ‘INDIA’ गठबंधन के साथ है.
रायगढ़ की भौगोलिक स्थिति और इतिहास
रायगढ़ संसदीय सीट दो जिले रायगढ़ और रत्नागिरी की 6 विधानसभाओं को मिलाकर बनाई गई है. इसकी भौगोलिक स्थिति की बात करें तो 45 फीसदी इलाका पहाड़ियों से घिरा हुआ है. वहीं, बहुत संकीर्ण नदी के मैदान समुद्र तट के किनारे हैं. रायगढ़ को ऐतिहासिक रूप से कोलाबा कहा जाता था. इस क्षेत्र पर विभिन्न बौद्ध और हिंदू शासकों के अलावा मौर्य, मुस्लिम शासकों का शासन रहा. साल 1500 में यहां मुस्लिम शासकों और पुर्तगालियों के बीच युद्ध हुआ था. साल 1662 में शिवाजी तथा बीजापुर के सुल्तान में संधि के बाद शिवाजी ने अपना जीता हुआ सारा प्रदेश प्राप्त कर लिया था.
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मराठा साम्राज्य की पहली राजधानी
रायगढ़ संसदीय सीट ऐतिहासिक रूप से भी काफी महत्तवपूर्ण क्षेत्र है. इस क्षेत्र में मराठाओं ने काफी समय तक शासन किया. रायगढ़ मराठा साम्राज्य की पहली राजधानी रहा है. यहां मराठा शासन की कई ऐतिहासिक निशानियां मौजूद हैं. इन्हीं में एक पहाड़ी पर बना रायगढ़ किला है, जिसे छत्रपति शिवाजी ने बनवाया था. 1737 सीढ़ियां चढ़कर इस किले पर जाया जा सकता है. इसी किले में छत्रपति शिवाजी का राज्यभिषेक हुआ था.साल 1674 में रायगढ़ को शिवाजी ने अपनी राजधानी घोषित कर इसे मराठा साम्राज्य की पहली राजधानी बनाया.
यहां मौजूद है ‘महाराष्ट्र का गोआ’
बाद में यहां अंग्रेजों ने हमला कर कब्जा कर दिया. ब्रिटिश हुकूमत में किले को काफी नुकसान पहुंचा. रायगढ़ लोकसभा संसदीय क्षेत्र में अलीबाग आता है. यहां के खूबसूरत समुद्र तटों की वजह से इसे ‘महाराष्ट्र का गोआ’ कहते है. यहां लगे नारियल और सुपारी के पेड़ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. क्षेत्र का पेन इलाका गणेश प्रतिमाएं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसे नमक की खेती के लिए भी जाना जाता है. गुहागर का दुर्गा देवी और व्याडेश्वर मंदिर भी प्रसिद्ध हैं. संसदीय क्षेत्र का दापोली रत्नागिरी जिले का एक शहर है. यहां अंग्रेज अपना शिविर लगाते थे इस शहर को कैंप दापोली भी कहा जाता है. आज भी यहां अंग्रेजों की कब्रें मौजूद हैं.
शिवसेना ने किया था पहला कब्जा
दो जिलों की 6 विधानसभाओं को मिलाकर बनाई गई रायगढ़ लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 2009 में हुआ. करीब 15 लाख मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया. पहला मुकाबला कांग्रेस और शिवसेना के बीच हुआ था. कांग्रेस की ओर से एआर अंतुले चुनाव लड़े थे. उन्हें 2 लाख 67 हजार 25 वोट मिले थे. वहीं, शिवसेना ने अनंत गीते पर भरोसा जताया था. अनंत को 4 लाख 13 हजार 546 वोट हासिल किए थे. वह यह चुनाव 1 लाख 46 हजार 521 वोटों से जीता था.
राकांपा ने शिवसेना को दी कड़ी टक्कर
साल 2014 में रायगढ़ लोकसभा सीट से 10 उम्मीदवार चुनाव लड़े. इनमें मुख्य मुकाबला शिवसेना और राकांपा के बीच हुआ. जीत-हार का अंतर बेहद करीबी रहा. शिवसेना ने यह चुनाव मात्र 2,110 वोटों से जीता. शिवसेना के अनंत गीते 3 लाख 96 हजार 178 वोट हासिल किए. राकांपा के सुनील तटकरे को 3 लाख 94 हजार 68 वोट मिले थे. पीडब्लूपीआई के प्रत्याशी 1 लाख 29 हजार 730 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. बसपा और सपा के प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे. इन दोनों प्रत्याशियों के कुल वोटों से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. बसपा के प्रत्याशी को 10,510, सपा को 2,763 वोट मिले थे. वहीं, नोटा का 20,362 वोटरों ने इस्तेमाल किया था.
राकांपा ने दर्ज की जीत
साल 2019 के चुनाव में राष्ट्रीय क्रान्ति पार्टी के सुनील तटकरे ने शिवसेना के अनंत गीते को 31 हजार 438 वोटों से हरान में सफल हुए. सुनील तटकरे को 4 लाख 86 हजार 968 वोट मिले थे. अनंत गीते 4 लाख 55 हजार 530 मत प्राप्त कर सके. वीबीए के सुमन कोली 23 हजार 196 और आईएनडी के सुभाष जनार्दन पाटिल को 12 हजार 265 वोट मिले. इस बार 11 हजार 490 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया.