सुनाओ कम-सुनो ज्यादा, BJP के महासम्पर्क अभियान में इन्फ्लुएंसर की भूमिका अहम- जे पी नड्डा
BJP: जेपी नड्डा ने साफ किया कि सभी स्तरों पर व्यापार प्रकोष्ठ से जुड़े लोगों से अधिक से अधिक संख्या में बातचीत करें.इसकी लिस्ट तैयार किया जाए कि किस इलाके में कितनी बैठकें हुई.
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि किसी से जुड़ने का सबसे अच्छा माध्यम है उस व्यक्ति को सही तरीके से सुनना. इस बैठक में नेशनल आफिस बेयरर के नेताओं को संदेश दिया कि इस महाअभियान में जरुरी है कि वह लोगों को सुनें, उन्होंने साफ किया कि जो लोग भाजपा से जुड़ रहे हैं उनकी क्या अपेक्षा है यह जानना जरुरी है. नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी 27 जून को प्रधानमंत्री देश भर के भाजपा कार्यकर्ताओं से बात करेंगे.
इसमें कुछ कार्यकर्ताओं की व्यक्तिगत उपस्थिति होगी जबकि कुछ कार्यकर्ता से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ेंगे, कार्यकर्ताओं का चयन कैसे होगा इसके बारे में विस्तृत रुपरेखा तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बैठक में सोशल इन्फ्लूएंसर को अधिक से अधिक जुड़ा जाए.
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सोशल इन्फ्लूएंसर से बात करना जरुरी
उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता अपने अपने इलाके में ऐसे सोशल इन्फ्लूएंसर की लिस्ट तैयार करें और उनसे जाकर व्यक्तिगत तौर पर मिलें.जे पी नड्डा ने कहा कि नमो एप पर जिस तरह के सार्थक परिणाम की उम्मीद की जा रही है उसमें उस तरह के आशातीत परिणाम देखने को नहीं मिल रहा है. ऐसे में जरुरी है कि कार्यकर्ताओं को जो कुछ भी जिम्मेवारी दी गयी है उसे पूरा करने के बाद तत्काल प्रभाव से नमो एप पर अपलोड करें.
व्यापार प्रकोष्ठ की सक्रियता अहम
जेपी नड्डा ने साफ किया कि सभी स्तरों पर व्यापार प्रकोष्ठ से जुड़े लोगों से अधिक से अधिक संख्या में बातचीत करें.इसकी लिस्ट तैयार किया जाए कि किस इलाके में कितनी बैठकें हुई. व्पायारियों की बातों को गौर से सुना जाए और उनकी समस्याओं के तत्काल समाधान हेतू उपाए किए जाएं.
टिफिन पर चर्चा कार्यक्रम में आत्मीयता जरुरी
हाल ही में कार्यकर्ताओं के बीच टिफिन पर चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है.इस बाबत जेपी नड्डा ने एक बार फिर हिदायद दी कि अपने घर में जो सामान्य भोजन बनता है उसे टिफिन में लेकर जाएं और उसे कार्यकर्ताओं के साथ साझा करें.जेपी नड्डा ने कहा कि इमरजेंसी की बरसी आ रही है। ऐसे में इस कार्यक्रम को काफी बढ़ चढ़ कर लोगों के बीच जाकर मनाना है.
उन्होंने कहा कि जिस जगह पर भी यह कार्यक्रम आयोजित हो वहां के स्थानिय कार्यकर्ता यह तय करें कि उस समय का कोई भी व्यक्ति जो इमरजेंसी में जेल गया हो वह जरुर उस कार्यक्रम का हिस्सा बने. संभव हो तो उसी व्यक्ति को विशिष्ठ बनाकर उनके अनुभव को सुना जाए जिससे कि आज की युवा पीढ़ी को यह पता चले कि इमरजेंसी क्या था.
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