उद्धव ने शिवसेना पार्टी फंड एक दिन में इधर से उधर खिसका दिया…शिंदे गुट के नेता का गंभीर आरोप
शिवसेना विधायक संजय शिरसाट ने उद्धव ठाकरे पर एक बेहद गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि EC का फैसला शिंदे गुट के फेवर में आने के एक दिन के भीतर उद्धव ने पार्टी फंड दूसरे अकाउंट में खिसका दिया.
मुंबई: शिवसेना नेता और विधायक संजय शिरसाट ने उद्धव ठाकरे पर एक बेहद गंभीर आरोप लगाया है. शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाट ने कहा है कि जैसे ही चुनाव आयोग ने शिवसेना नाम और निशान हमारे नाम किया उद्धव ठाकरे ने एक दिन में शिवसेना पार्टी फंड को इधर से उधर खिसका दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा तब किया गया जब एकनाथ शिंदे ने यह साफ तौर से कहा था कि शिंदे गुट के लिए बालासाहेब ठाकरे के विचार ही सबसे बड़ी संपत्ति हैं. उनके द्वारा बनवाया गया शिवसेना भवन शिंदे गुट के लिए मंदिर है.
संजय शिरसाट ने कहा कि शिंदे गुट की ओर से हम बार-बार कह रहे हैं कि हमें बालासाहेब ठाकरे के विचारों का वारिस बनना है. उनकी संपत्ति से हमें कोई लेना-देना नहीं है. इसके बावजूद जैसे ही चुनाव आयोग ने फैसला हमारे हक में दिया, एक दिन के अंदर उद्धव ठाकरे ने पार्टी फंड को दूसरे अकाउंट में खिसका दिया. संजय शिरसाट ने यह एक मराठी न्यूज चैनल से बातचीत में यह दावा किया. अब देखना है कि उद्धव ठाकरे या उनके खेमे से इस पर क्या जवाब सामने आता है.
पार्टी पर कंट्रोल का नहीं रहा भरोसा, बची कुची संपत्ति भी लुटने की असुरक्षा
केंद्रीय चुनाव आयोग ने जब से शिंदे गुट के फेवर में फैसला दिया है तब से ही उद्धव ठाकरे लगातार चुनाव आयोग को बिका हुआ और केंद्र सरकार की गुलाम संस्था बता रहे हैं और इसके खिलाफ बेहद आक्रामक रुख अपना रहे हैं. साथ ही उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है. चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई.
उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि वह चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे लगाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को स्थगित करने या इसे पलटने से इनकार कर दिया. संजय शिरसाट का आरोप है कि इस दौरान उद्धव ठाकरे इतने दुर्बल निकले कि एक दिन के अंदर शिवसेना के पार्टी फंड को किसी और अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया.
EC के फैसले के बाद सीने में जो लगी थी आग, कहां गई वो भाग?
वैसे तो चुनाव आयोग के फैसले आने के दूसरे दिन उद्धव ठाकरे मातोश्री से बाहर आए थे और कलानगर चौक पर खुली जीप पर खड़े होकर अपने कार्यकर्ताओं से यही कहा था कि घबराओ नहीं, डरो नहीं, चुनावी लड़ाई की तैयारी करो, तो दूसरी तरफ अगर संजय शिरसाट सही कह रहे हैं तो क्या यही जोश के साथ जुटने के संकेत हैं? यह सवाल खड़ा होता है.