वाघा बॉर्डर की तरह जैसलमेर की सीमा पर भी होगी रिट्रीट सेरेमनी, शामिल नहीं होंगे पाकिस्तानी रेंजर्स
अटारी बाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत साल 1959 में हुई थी. 2 घंटे तक होने वाले इस समारोह में दोनों देशों के रेंजर्स शामिल होते हैं. इसे देखने के लिए दोनों ही देशों के हजारों नागरिक शामिल होते हैं. इसी तर्ज पर जैसलमेर की सीमा पर भी रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ करेगा.
पंजाब के अमृतसर में वाघा बॉर्डर की तरह ही राजस्थान के जैसलमेर की सीमा पर भी रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ करेगा. भारतीय सीमा सुरक्षा बल इसके लिए तैयारी मुकम्मल कर चुका है. रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन जैसलमेर बॉर्डर स्थित तनोट माता मंदिर में किया जाएगा. अगले वर्ष की शुरुआत में ही इसे शुरू करने की प्लानिंग है. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाएं दी जाएंगी.
रिट्रीट सेरेमनी देखने आने वाले पर्यटकों के लिए यहां एम्फीथियेटर बनाया जाएगा जिसका काम शुरू हो चुका है. इस थिएटर में 1000 से ज्यादा लोग बैठ पाएंगे. यहां पर प्रतिदिन शाम को बीएसएफ के जवानों द्वारा परेड का प्रदर्शन होगा. बीएसएफ के जवान विधिवत तरीके से तिरंगा उतारेंगे. इसके साथ बीएसएफ के सुरक्षा बेड़े में शामिल और सीमा की मुस्तैदी के साथ सुरक्षा करने वाले रेगिस्तान का जहाज कैमल फोर्स का शो सहित कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.
पाकिस्तानी रेंजर नहीं होंगे शामिल
वाघा बॉर्डर की रिट्रीट सेरेमनी में पाकिस्तान की ओर से भी इसमें हिस्सा लिया जाता है. लेकिन पश्चिमी सीमा पर तनोट माता मंदिर में होने वाली रिट्रीट सेरेमनी में पाकिस्तानी रेंजर हिस्सा नहीं लेंगे. सिर्फ भारतीय सेना द्वारा इस रिट्रीट सेरेमनी को आयोजित किया जाएगा. रिट्रीट सेरेमनी के साथ यहां पर हथियारों की गैलरी स्थापित की जाएगी. इसके साथ शहीद वॉल, मुरल वॉल, चिल्ड्रन रिक्रिएशन एरिया, इंटरेक्शन एरिया, ऑडियो विजुअल सिस्टम व स्टेज लाइट भी लगाई जाएंगी. यहां टूरिस्ट के लिए फूड कोर्ट, सर्विलेंस सिस्टम इत्यादि जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. तनोट माता मंदिर पाकिस्तान की सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर है.
बॉर्डर टूरिज्म को दिया जा रहा बढ़ावा
केंद्र सरकार बॉर्डर टूरिज्म को लगातार बढ़ावा दे रही है. इसके तहत वर्ष 2021 में तनोट से 20 किलोमीटर आगे भारत पकिस्तान बॉर्डर पर बबलियान चौकी पर रिट्रीट सेरेमनी के लिए तैयार किया गया था. यहां पर टावर, सेल्फी पॉइंट जैसी सुविधाएं बाद में धीरे-धीरे डेवलप की गई. बड़ी संख्या में पर्यटक इस सीमा चौकी को देखने के लिए आते हैं. इसके साथ ही तनोट माता मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले ही लोंगेवाला युद्ध स्मारक बनाया गया है. जहां पर 1971 युद्ध की याद में पूरे युद्ध का चित्रण किया गया है. इसके साथ ही भारतीय और पाकिस्तान टैंकरों को जहां से उन्होंने युद्ध किया था वहीं पर रखकर प्रदर्शित किया गया है. अब तनोट माता मंदिर पर रिट्रीट सेरेमनी आयोजित होने से पर्यटक की संख्या में इजाफे की संभावना है.
रिपोर्ट-सुमित देवड़ा/जैसलमेर