नहीं मिला न्याय…बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला
महिला का कहना है कि राज्यपाल को मिली संवैधानिक छूट के कारण उसे न्याय नहीं मिला. अपनी याचिका में महिला ने सुप्रीम कोर्ट से पूरे मामले पर दखल देने की मांग की है. इसके साथ ही अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की भी मांग की है.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली राजभवन की महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. महिला कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में महिला ने सुप्रीम कोर्ट से पूरे मामले पर दखल देने की मांग की है. महिला का कहना है कि राज्यपाल को मिली संवैधानिक छूट के कारण उसे न्याय नहीं मिला.
राजभवन में संविदा पर काम करने वाली इस महिला ने याचिका में संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को आपराधिक केस से दी गई पूर्ण छूट को चुनौती दी है. महिला कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट से दिशानिर्देश बनाने की मांग की है. याचिकाकर्ता ने अपनी प्रतिष्ठा के नुकसान के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है. इसके साथ ही अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की भी मांग की है.
2 मई को लगाया था आरोप
महिला ने इस याचिका में आरोपों पर जांच करने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को निर्देश जारी करने की भी मांग की है. राजभवन की महिला कर्मचारी ने 2 मई को राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला का आरोप है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी. तब राज्यपाल ने उसके साथ बदसलूकी की थी.
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राजभवन की अस्थायी महिला कर्मचारी की शिकायत पर बंगाल के सियासी गलियारों में खूब हंगामा मचा हुआ है. वहीं, अब उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. याचिका में महिला ने बंगाल पुलिस से मामले की जांच और अपनी और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की मांग भी की है.
क्या है अनुच्छेद 361?
संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं जा सकती है, इस आर्टिकल में राष्ट्रपति, राज्यपाल को संवैधानिक मुखिया होने के नाते सिविल और क्रिमिनल मामलों में संवैधानिक सुरक्षा दी गई है. इसका मकसद राज्य और देश के संवैधानिक पद पर बैठे प्रमुख लोग बिना किसी डर के अपने पद की जिम्मेदारी को निभा सकें.