सास ने चलाया था फूड ट्रक अब बहू परंपरा बढ़ा रही आगे, मकसद- कोई भूखा ना सोए
प्रणेति कामदार ने बताया कि मंजूबा की रसोई की वैन हमने सितंबर, 2021 में चालू की है. पर हम 2018 से ये काम कर रहे थे. पहले हम घर से डेढ़ सौ, दो सौ, जितना हो सके, ज्यादा ले कर निकलते थे शाम को हर रोज. शाम को ये डिस्ट्रीब्यूट कर के फिर जाते थे.
गुजरात के अहमदाबाद में मंजूबा नू रसोडू नाम से चलाए जा रहे फूड ट्रक का मकसद है रोज एक हजार से ज्यादा लोगों का पेट भरना. एक कॉरपोरेट फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर और समाज सेवी प्रणेति कामदार ये फूड ट्रक चलवाती हैं. जरूरतमंदों के पेट भरने की ये मुहिम चार साल पहले मंजूबा ने शुरू की थी और अब उनकी बहू प्रणेति मिशन को आगे बढ़ा रही है.
फूड ट्रक को अलग-अलग इलाकों में ले जाया जाता है. इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि लोगों के मान-सम्मान को ठेस नहीं लगे, इसलिए एक दिन पहले उन्हें बाकायदा न्योता दिया जाता है.