CM ममता ने बंगाल विभाजन की मांग को किया खारिज, कहा-अशांति नहीं करेंगे बर्दाश्त
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अलग गोरखालैंड की मांग को खारिज करते हुए कहा कि वह शांति चाहती हैं. आशांति बर्दाश्त नहीं करेंगी. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अशांति पैदा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
पश्चिम बंगाल एक ओर जहां सरकारी कर्मचारियों के एक समूह ने बकाया महंगाई भत्ते की मांग को लेकर हड़ताल का आह्वान किया है. दूसरी ओर गोरखालैंड की मांग को लेकर दार्जिलिंग में आमरण अनशन शुरू हो गया है. यहां तक की 6 साल बाद 23 फरवरी को बंद बुलाया गया है. सिलीगुड़ी में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल के विभाजन और बंद के विरोध में गरज उठीं. उन्होंने साफ कहा, “अगर किसी को लगता है कि बंद करके हम ताकत दिखाएंगे, तो मैं साफ-साफ कर रही हूं, कोई बंद नहीं होगा.”
वहीं, मुख्यमंत्री ने चुनौती दी, “बंगाल का विभाजन नहीं होगा. तोड़ने की कोशिश करने वालों का मोहभंग होगा. मैं अशांति नहीं होने दूंगी, यह मेरी चुनौती है.” सीएम ने साफ कर दिया कि वह अशांति पैदा करने वालों को बर्दाश्त नहीं करेंगी.
नहीं होगा बंगभंग, होगा मोहभंग- ममता बनर्जी का ऐलान
विधानसभा ने बंगाल के विभाजन के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. पहाड़ के राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं. आरोप है कि बीजेपी उन्हें भड़का रही है. बंगाल बंटवारे पर आंदोलनकारियों को ममता का स्पष्ट संदेश, “कभी-कभी कुछ लोग पहाड़ों में जाग जाते हैं. विकास के लिए नहीं जागे. बंद करने के लिए जागे हैं. कोई विभाजन नहीं होगा. छात्रों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया, ”23 से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं. यदि कोई बंगाल विभाजन को लेकर आंदोलन करेगा तो वह कानून का पालन करेगा. अगर कोई कानून अपने हाथ में लेता है, जो भी करेगा, प्रशासन कार्रवाई करेगा.” मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पहाड़ियों की बदहाली को ‘बदनाम’ किया जा रहा है. उनका सवाल, “पहाड़ों में क्या हुआ? क्या कोई विकास बाकी है? कोई कहता है, पहाड़ों में कुछ नहीं हुआ.” साथ ही उनका संदेश, “दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल अलग नहीं हैं, एक बंगाल, पश्चिम बंगाल है.”
दार्जिलिंग में अशांति बर्दाश्त नहीं, बंद करने वालों पर होगी कार्रवाई
गोरखालैंड समर्थकों ने माध्यमिक परीक्षा शुरू होने के दिन ही पहाड़ी इलाकों में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है. हालांकि, वे आपातकालीन सेवाओं, शैक्षणिक संस्थानों और स्कूल बसों को छूट देंगे., मुख्यमंत्री ने बंद का विरोध किया. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार बंद का समर्थन नहीं करती है. उनके शब्दों में, कुछ लोग सोचते हैं कि इसे साल में एक बार बंद कर देना चाहिए. हम किसी भी बंद की अनुमति नहीं देते हैं. बंगाल से बंद हटा लिया गया है. याद रखें, बंगाल खुला रहेगा, तभी रोजगार होगा, विकास होगा.” उसके बाद मुख्यमंत्री का सवाल, ”अगर कोई परीक्षा नहीं दे पाया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”