बहराइच मामले में HC ने UP सरकार को लगाई फटकार, जवाब दाखिल नहीं करने पर लिया एक्शन
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बहराइच जिले में अवैध निर्माण को हटाने के लिए नोटिस जारी करने के मामले में यूपी सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं करने पर यह कार्रवाई की है. पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि क्या राज्य के अधिकारी आदेश की भावना को नहीं समझ पाए?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बुधवार को बहराइच जिले में बुलडोजर एक्शन मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. लखनऊ पीठ ने डिमोलिशन नोटिस जारी करने के मामले में रविवार को दिए गए निर्देशों के बावजूद अभी तक जवाब दाखिल न करने पर यह कार्रवाई की है. पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि क्या राज्य के अधिकारी आदेश की भावना को नहीं समझ पाए?
लखनऊ पीठ का मानना था कि उसने मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) शैलेंद्र सिंह से सड़क पर लागू होने वाली श्रेणी और मापदंड के बारे में सभी निर्देश प्राप्त करने को कहा था. लेकिन जनहित याचिका की सुनवाई योग्यता पर आपत्तियां उठाई जा रही हैं. पीठ ने सीएससी से कोर्ट रजिस्ट्री में जनहित याचिका की योग्यता पर आपत्ति दर्ज करने को कहा और सुनवाई 4 नवंबर तक के लिए टाल दी है.
‘अवैध रूप से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किए गए’
जस्टिस एआर मसूदी और जज सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने यह आदेश एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रविवार को विशेष पीठ ने लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रभावित लोगों को नोटिस का जवाब देने के लिए दिए गए 3 दिन के समय को बढ़ाकर 15 दिन कर दिया था.
इससे जिला अधिकारियों की कथित अवैध निर्माण हटाने की तैयारियां धरी की धरी रह गईं. वहीं, बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने जनहित याचिका की मेरिट पर आपत्ति जताई. इस पर पीठ ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि क्या राज्य के अधिकारियों ने रविवार को पारित पिछले आदेश की भावना को नहीं समझा है.
पिछले आदेश में पीठ ने सीएससी से संबंधित सड़क पर लागू श्रेणी और मानदंडों के संबंध में निर्देश प्राप्त करने को कहा था. पीठ ने जोर देकर कहा था कि सुनवाई की मेरिट के अलावा वह मामले के सभी पहलुओं पर विचार करेगी. जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य ने अवैध रूप से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किए हैं.
रामनवमी जुलूस के दौरान हुई थी हिंसा
जनहित याचिका में कहा गया है कि ध्वस्तीकरण अभियान की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के हाल के निर्देशों का उल्लंघन है. जिसमें कुछ मामलों को छोड़कर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई गई है. साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में यह भी बताने को कहा था कि कुंडसर-महसी-नानपारा-महराजगंज मार्ग के ‘किमी 38’ पर कितने मकान बने हैं और इस सड़क के संबंध में क्या नियम लागू होते हैं.
कोर्ट ने कहा कि तथ्यों को लेकर पूछे गए इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया गया, सिर्फ सुनवाई की मेरिट पर आपत्ति दाखिल की जा रही है. बहराइच जिले के एक गांव में 13 अक्टूबर को रामनवमी के जुलूस के दौरान गाना बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक संघर्ष में राम गोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
ये भी पढ़ें- सलमान खान से 5 करोड़ रुपये फिरौती मांगने वाला शख्स गिरफ्तार, जमशेदपुर में बेचता है सब्जी
इसके बाद लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इलाके की 23 संपत्तियों को नोटिस जारी किया था, जिनमें से 20 मुसलमानों की हैं. पीडब्ल्यूडी ने पिछले शुक्रवार को महाराजगंज इलाके का निरीक्षण किया था. जहां उसने मिश्रा की हत्या के आरोपी अब्दुल हमीद सहित 20-25 घरों की नापजोख की थी.