यूपी में 900 कैदियों की दुख भरी दास्तां, सलमान खान के बाद अब कौन बढ़ाएगा हाथ?
कुछ वर्ष पहले अभिनेता सलमान खान ने जमानत की रकम न अदा करने वाले कई कैदियों की रिहाई का प्रयास किया था. लेकिन इस मामले में बहुत पंचायत हुई तो उसके बाद उन्होने ऐसे कैदियों की रिहाई में रुचि लेना बंद कर दिया.
बीते एक साल से देशभर में जुर्माने की राशि अदा न कर पाने के कारण जेलों में बंद गरीब कैदियों का मामला चर्चा में है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मामले पर अपना विचार रख चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे कैदियों के बारे में राज्यों से रिपोर्ट मांगी है.इसके बाद भी उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद ऐसे 900 से ज्यादा कैदियों की जेल से रिहाई नहीं हो सकी है, क्योंकि इतने बड़े राज्य में इन कैदियों की जमानत लेने वाला कोई उदार व्यक्ति अभी तक नहीं मिला है. यही नहीं सूबे का कोई जिलाधिकारी या समाज सुधार के कार्य में लगे लोग तथा संस्थाएं भी इन कैदियों की रिहाई के लिए उनकी जमानत लेने के लिए आगे नहीं आयी हैं.परिणामस्वरूप कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी यह कैदी यूपी की जेलों में बंद है.
उत्तर प्रदेश में यह हाल भी तब है जब राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) से रिपोर्ट के आधार पर चंद दिनों पहले ही अदालतों द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद देश की जेलों में लगभग बंद 5,029 विचाराधीन कैदियों में से 1,417 को रिहा कर किया गया था. लेकिन यूपी की जेलों में बंद 900 कैदियों को रिहाई नहीं मिल सकी. प्रदेश की कारागार महकमे से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश की जेलों में एक लाख 23 हजार कैदी बंद हैं.इनमें 900 से ज्यादा ऐसे कैदी हैं, जिनको कोर्ट से जमानत मिल गई है लेकिन उन्हें जमानत देने वाले दो जमानतदार नहीं मिल रहे या फिर उनके पास जुर्माना अदा करने की रकम नहीं है.
जमानत हो गई पर फिर भी जेल में बंद
इन 900 से अधिक कैदियों में से 810 कैदी ऐसे हैं जिनकी दो जमानतदार न मिलने के कारण रिहाई नहीं हो पा रही है, जबकि 171 ऐसे बंदी हैं, जिनके पास जुर्माना अदा करने की रकम ही नहीं है. इस कारण से वह अदालत से जमानत पाने के बाद भी जेलों में बंद हैं.प्रदेश पुलिस के एक बड़े अधिकारी कहते है कि ऐसे कैदियों की जेल से रिहाई हो सकती है, लेकिन इसके लिए जो प्रयास किए जाने चाहिए उसका राज्य में अभाव है.कुछ वर्ष पहले अभिनेता सलमान खान ने जमानत की रकम न अदा करने वाले कई कैदियों की रिहाई का प्रयास किया था. लेकिन इस मामले में बहुत पंचायत हुई तो उसके बाद उन्होने ऐसे कैदियों की रिहाई में रुचि लेना बंद कर दिया.
सरकार के ऐलान का मिलेगा लाभ
फिलहाल राज्य के डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि कारागार विभाग पहले से ही विभिन्न एनजीओ की मदद से समय-समय पर ऐसे कैदियों को रिहा करता रहा है. प्रदेश सरकार ने भी इन कैदियों की मदद के लिए ऐलान किया है. और केंद्र सरकार ने भी जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए उन्हे आर्थिक मदद करने का ऐलान किया है. जल्दी ही इन कैदियों की रिहाई का रास्ता खुलेगा. आनंद कुमार के अनुसार, यूपी की 74 जेलों में जमानत मिलने के बाद भी रिहाई का इंतजार करने वाले ज्यादातर वह कैदी हैं, जिनका या तो नाम पता तस्दीक नहीं हो पा रहा. इस वजह से उन्हे जमानतदार नहीं मिल रहे. कुछ कैदी दूसरे राज्य और शहर के हैं, जिसके चलते उन्हे जमानतदार नहीं मिल पा रहे हैं.
आर्थिक रूप से कमजोर, नहीं भर पा रहे जुर्माना
जुर्माना अदा न करने के चलते प्रदेश की 74 जेलों में बंद 171 कैदी को लेकर आनंद कुमार का कहना है कि इनमें से ज्यादातर वह कैदी एनडीपीएस एक्ट में पकड़े गए थे और इन पर लगा जुर्माना लाखों में है. इस वजह से उनकी जमानत लेने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. एनडीपीएस एक्ट उन पर लगाया जाता है, जिन्हे नशीले पदार्थों की तस्करी या बिक्री करने में पकड़ा जाता है. एनडीपीएस एक्ट प्रतिबंधित श्रेणी का अपराध है. लिहाजा ऐसे लोगों के मानवीय दृष्टि से मदद का प्रावधान भी नहीं है. इस वजह से उनकी रिहाई नहीं हो पा रही है. आनंद कुमार को उम्मीद है कि जो बंदी असल में आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जो चंद हजार रुपए की वजह से जेल में बंद हैं, उनकी रिहाई जल्दी ही होगी. ऐसे कैदियों की पहले भी मदद होती रही और अब ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए आर्थिक मदद करने संबंधी सरकार के किए गए ऐलान से उनको लाभ मिलेगा.