बाबा सिद्दिकी हत्याकांड में बड़ा खुलासा, पहले 28 दिन तक किया फॉलो फिर वारदात को दिया अंजाम

बाबा सिद्दिकी हत्याकांड में बड़ा खुलासा, पहले 28 दिन तक किया फॉलो फिर वारदात को दिया अंजाम

बाबा सिद्दिकी हत्याकांड की जांच में बड़े खुलासे हुए हैं. जांच में सामने आया है कि बाबा सिद्दिकी की रेकी 28 दिनों तक की गई थी और इसकेूबाद हत्या के लिए दशहरे का दिन तय किया गया था. जीशान अख्तर, जो इस साजिश का मास्टरमाइंड था, मुंबई से बाहर था, लेकिन उसने ही पूरे हत्याकांड को ऑपरेट किया.

बाबा सिद्दिकी हत्याकांड को लेकर एक नया अपडेट सामने आया है. शुरुआती जांच में ये खुलासा हुआ है कि बाबा सिद्दिकी के घर और ऑफिस पर पिछले 28 दिनों में 5 बार रेकी की गई थी. सूत्रों की मानें तो आरोपियों ने बाबा की हर गतिविधि पर नजर रखी, जिससे ये तय हुआ कि हत्या का हमला दशहरे के दिन किया जाएगा. पुलिस के अनुसार, इस वारदात के समय जीशान अख्तर मुंबई से बाहर था, लेकिन वो इस पूरे हत्याकांड की योजना को वहीं से चला रहा था. इन सब खुलासों से ये तो निश्चित है कि हत्याकांड की साजिश काफी पहले से तैयार की जा रही थी.

हत्याकांड में शामिल शूटर्स की पहचान भी हो चुकी है. शुभम लोंकर का भाई प्रवीण लोंकर शूटर्स को पुणे से मुंबई छोड़ने आया था. इसके बाद, हत्याकांड के बाद प्रवीण ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके इस वारदात की जिम्मेदारी ली. यह भी खुलासा हुआ है कि शूटर्स को पैसे शुभम ने दिए थे. माना जा रहा है कि ये एक प्री-प्लान्ड मर्डर है, जिसमें सभी आरोपियों ने अपनी भूमिका को निभाकर वारदात को अंजाम दिया.

पाकिस्तान-नेपाल से जुड़े तार

हत्याकांड में इस्तेमाल किए गए हथियार के बारे में भी एक बड़ी जानकारी मिली है. पुलिस ने बरामद की गई 9MM की पिस्टल को विदेशी बताया है. मामले की जांच के दौरान पता चला है कि यह हथियार पंजाब से लाया गया था और शक है कि यह जीशान अख्तर तक पाकिस्तान या नेपाल के रास्ते पहुंचा. इससे बात हत्याकांड के इंटरनेशनल तार जुड़ते नजर आ रहे हैं. ऐसे में, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इन हथियारों के नेटवर्क ने कैसे काम किया है और इसमें और कौन-कौन शामिल हैं.

शूटरों के पास से तीन मोबाइल फोन बरामद

पुलिस ने मौके से पकड़े गए दो शूटरों के पास से तीन मोबाइल फोन भी बरामद किए थे. इन मोबाइल फोन में कुछ ऐसे नंबर पाए गए हैं, जिन पर वारदात से पहले बातचीत हुई थी. इन नंबरों को किसी भी नाम से मोबाइल में सेव नहीं किया गया है, जिससे फिलहाल स्पष्ट नहीं हो रहा है कि इनका संबंध किससे है. हालांकि इन नंबरों की जांच की जा रही है ताकि हत्याकांड की सच्चाई को सामने लाया जा सके. पुलिस का कहना है कि यह मोबाइल फोन अपराधियों के नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा हो सकते हैं.

लारेंस गैंग के गुर्गों से जुड़ा था ये आरोपी

वहीं एक आरोपी शिव गौतम की भूमिका भी जांच में सामने आ रही है. शिव गौतम लारेंस गैंग के सदस्यों से जुड़ा हुआ था और उसने इसके लिए टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया. इसके बाद वो सारी जानकारी बाकी शूटरों के साथ साझा कर रहा था. शिव को हत्या के बाद उज्जैन के पास ओंकारेश्वर जाने का इनपुट दिया गया था, जहां उसे लारेंस गैंग के एक गुर्गे से मिलना था.

वहीं इस मामले में एक और बड़ा अपडेट सामने आया है कि जीशान अख्तर की पंजाब की पटियाला जेल में गुरमेल से मुलाकात हुई थी. जीशान ने गुरमेल को लारेंस गैंग में शामिल कराया, जिससे यह पता चलता है कि इस गैंग का नेटवर्क कितना मजबूत है. फिलहाल पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि हत्याकांड में और कौन-कौन लोग शामिल हैं.

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