‘विधायकों को निलंबित करने का फैसला…’, दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने आतिशी के पत्र का दिया जवाब
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दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने नेता प्रतिपक्ष आतिशी के पत्र का लिखित जवाब दिया. पूर्व सीएम आतिशी ने विपक्षी विधायकों को निलंबित करने और उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं देने को लेकर स्पीकर को यह पत्र लिखा था. इसपर अब विजेंद्र गुप्ता ने एक पत्र के माध्यम से जवाब दिए हैं.
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को सदन में नेता प्रतिपक्ष आतिशी के पत्र का लिखित जवाब दिया. इसमें उन्होंने कहा कि 28 फरवरी को उन्हें नेता प्रतिपक्ष द्वारा लिखा गया पत्र मिला. जो विपक्षी विधायकों को निलंबित करने और उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश न देने के संबंध में था. उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि विपक्ष सदन में कामकाज के संचालन से संबंधित नियमों और विनियमों से अनभिज्ञ है, खासकर तब जब एक ही राजनीतिक दल पिछले 12 सालों से सत्ता में है.
घटनाओं का जिक्र करते हुए दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जब 24 फरवरी को अध्यक्ष का चुनाव पूरा हो गया था, तो यह एक गरिमापूर्ण प्रक्रिया होनी चाहिए थी. लेकिन दुर्भाग्य से विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और व्यवधान पैदा करके प्रक्रिया को बाधित किया. उन्होंने पत्र में कहा कि, ‘इस अभद्र आचरण के बावजूद, मैंने संयम बरता और किसी भी विधायक के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की. ताकि हमारी नई विधानसभा लोकतांत्रिक समावेश की भावना के साथ शुरू हो.’
21 विधायकों को किया गया निलंबित? स्पीकर ने बताया
दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने 25 फरवरी का जिक्र करते कहा कि इस दिन जब उपराज्यपाल ने उद्घाटन भाषण दिया, विपक्षी विधायकों ने फिर से रोड़ा पैदै करने का काम किया जिससे वो अपने संबोधन को सही ढंग से पूरा नहीं कर सके. यह आचरण 5वीं अनुसूची (आचार संहिता नियमावली) के स्पष्ट उलंधन के अंतर्गत आता है. विशेष रूप से जब यदि कोई सदस्य उपराज्यपाल के सदन में उपस्थित रहते हुए उनके अभिभाषण को बाधित करता है.
पत्र में लिखा है कि,’ चाहे यह भाषण, बिंदु-विशेष उठाने, वाकआउट करने या किसी माध्यम से हो, तो इसे उपराज्यपाल के प्रति अनादर एवं सदन की अवमानना माना जाएगा. इसे अनुशासनहीन आचरण की श्रेणी में रखकर आवश्यक कार्यवाई की जा सकती है. ‘ उन्होंने जवाब में कहा कि इस स्थापित नियम के तहत सदन के कार्य में व्यवधान डालने वाले 21 विधायकों को तीन दिनों के लिए निलंबित किया गया. यह निर्णय मनमाना नहीं था बल्कि संसदीय नियमों और पूर्व मिसालों पर आधारित था.
विधानसभा परिसर में प्रवेश क्यों नहीं मिला?
स्पीकर ने विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं मिलने के लेकर विपक्ष के सवाल पर कहा कि,’विधानसभा के नियम में सदन के परिसीमन की व्यापक परिभाषा दी गई है, जिसमें निम्नलिखित क्षेत्र है- विधानसभा कक्ष, लॉबी, गैलरी, विधानसभा सचिवालय की ओर से उपयोग किए जा रहे कक्ष एवं उपाध्यक्ष के कक्ष, समिति कक्ष, विधानसभा पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष, दलों के कक्ष, विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों क नियंत्रण में रहने वाले सभी परिसर एवं इन तक जाने वाले मार्ग और ऐसे अन्य स्थान जिन्हें अध्यक्ष समय-समय पर निर्दिष्ट कर सकते हैं.’\
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