अब अपनी क्राइम कुंडली गायब नहीं कर पाएंगे माफिया, आया UP पुलिस का नया ‘हथियार’
यूपी के गोरखपुर जिले में एम्स थाने में माल खाने की शुरुआत की गई है, अब बरसों पुराने केस की फाइल और जब्त किया हुआ पूरा सामान सुरक्षित रहेगा. डीआईजी आनंद कुलकर्णी ने जिले के पहले ई-मालखाना का शुभारंभ किया है.
गोरखपुर जनपद के एम्स थाने में माल खाने का शुभारंभ हो चुका है. अब बरसों पुराने केस की फाइल डिजिटल फॉर्मेट में सुरक्षित होंगी. पुलिस जब भी चाहेगी केस स्टडी को आगे बढ़ाएगी और एक क्लिक के साथ ही अपराधियों और मामले की पूरी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाएगी. मुकदमे के साथ ही मालखाने में रखे सामान का रिकॉर्ड आनलाइन हो जाएगा. DIG आनंद कुलकर्णी ने जिले के पहले ई-मालखाना का शुभारंभ कर दिया है. एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर व एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई के साथ मालखाना का निरीक्षण किया.
डीआइजी ने कहा कि चोरी, डकैती, लूट, हत्या का पर्दाफाश होने पर पुलिस सबूत जुटाने के साथ ही बरामद हुए असलहे व सामान को बरामद कर मालखाने में रखती है. इसका रिकॉर्ड थानों के माल मुकदमाती रजिस्टर में दर्ज किया जाता है. जरूरत पड़ने पर उसे न्यायालय में पेश किया जाता है. न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद बरामद माल को मजिस्ट्रेट के आदेश पर रिलीज या नष्ट किया जाता है. मालखाना का प्रभार देखने वाले दीवान या मुंशी का तबादला होने पर रिकॉर्ड दूसरे को सौंपने में एक महीने से अधिक का समय लगता है. ई-मालखाना बनने के बाद यह परेशानी खत्म हो जाएगी. रेंज के सभी थानों में ऐसी व्यवस्था बनायी जा रही है. एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि जिले के सभी थानों में ई-मालखाना बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
पुलिस से संबंधित कई दस्तावेजों में मालखाने शब्द का प्रयोग बहुत साधारण बात है. यह शब्द अरबी और फारसी भाषा से आता है. मालखाना से मतलब उस स्थान से होता है, जहां सारा माल और असबाब सुरक्षित रखा जाता है. हिंदी में हम इसे भंडारगृह भी कहते हैं. सभी जनपदों में जनसंख्या के हिसाब से थाने बने होते हैं. पुलिस जब किसी भी मामले में हथियार, पैसा, ड्रग्स, गहने आदि बरामद करती है और उसकी एंट्री थाने के रोजनामाचे में दर्ज करती है तो ऐसा सामान सरकारी संपत्ति की तरह हो जाता है. उसे जेस प्रॉपर्टी कहा जाता है.
समान जिसकी बारामदगी किसी केस में होती है उसे अक्सर कोर्ट के निर्देश पर मालखाने में जमा करवाया जाता है. बाद में कोर्ट के आदेश पर पुलिस थाने के मालखाने से उस समान को रिलीज कर दिया जाता है. ऐसे में सामान की बरामदगी और उसके रिलीज के बीच का जो समय होता है उस दौरान जो भी माल जप्त किया जाता है वह थाने के मालखाने में रखा जाता है. आवश्यकता पड़ने पर पुलिस किसी भी जब्त सामान को कोर्ट में पेश भी करती है. थानों में मौजूद मालखाने का प्रभारी कोई हेड कांस्टेबल या उप निरीक्षक पद का पुलिसकर्मी होता है. वैसे तो मालखाने की संपूर्ण जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होती है, यदि प्रभारी अवकाश पर है तो ऐसी स्थिति में प्रभार किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया जाता है.
ई-मालखाना कैसे करता है काम
जब्त की गई संपत्ति और घटनास्थल से एकत्र किए गए साक्ष्य को बॉक्स में संग्रहित किया जाता है. इस बॉक्स पर विवरण के साथ मुकदमे का क्रमांक अंकित होता है. ई-मालखाना मैनेजमेंट सिस्टम पर फोटो अपलोड करके इसका क्यूआर कोड तैयार किया जाएगा. उसे बॉक्स पर चिपकाया जाएगा।एप पर मुकदमे से संबंधित विवरण भी अपलोड किया जाएगा. क्यूआर कोड स्कैन करने पर मुकदमे का पूरा विवरण सामने आ जा जाएगा.