शनिवार को सरसों की थोक कीमतों में नरमी, विदेशी संकेतों से सोयाबीन में बढ़त का रुख

शनिवार को सरसों की थोक कीमतों में नरमी, विदेशी संकेतों से सोयाबीन में बढ़त का रुख

विदेशी बाजारों में पामोलिन और सीपीओ तेल की कीमतें बढ़ने से सोयाबीन, बिनौला और सूरजमुखी की मांग बढ़ी . वहीं नई फसल आने तक सरसों में उतार-चढ़ाव का रुख

Edible Oil

विदेशी बाजारों के बंद रहने के बीच खाद्य तेल (edible oil) बाजार में शनिवार को सरसों तेल (Mustard Oil) तिलहनों के भाव  गिरावट के साथ बंद हुए. वहीं सोयाबीन, बिनौला जैसे खाद्य तेलों के दाम  (edible oil price)बढ़ गए तथा मूंगफली तेल समेत बाकी तेल तिलहन पिछले स्तर पर ही बंद हुए. बाजार सूत्रों ने जानकारी कि इस मौसम के दौरान सरसों के तेल की कीमतों में हमेशा घट-बढ़ रहती है और यह सिलसिला अगले महीने नयी फसल के मंडियों में आने तक बना रहेगा. जिसके बाद कीमतों में नरमी का रुख देखने को मिलेगा. विदेशों में बाजार के बंद रहने के बीच मूंगफली तेल का कारोबार सामान्य रहा और इसकी कीमतें स्थिर रही. इसके अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तथा राजस्थान की संयंत्रों में सोयाबीन दाना की हल्की मांग बढ़ने से इसकी कीमतों में सुधार देखा गया है

कैसा रहा खाद्य तेलों का आज का कारोबार

बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में पामोलिन और सीपीओ तेल की कीमतें बढ़ने से सोयाबीन, बिनौला और सूरजमुखी की मांग बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना चाहिए जिससे आयात में भी कमी आएगी. इसके अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तथा राजस्थान की संयंत्रों में सोयाबीन दाना की हल्की मांग बढ़ने से इसकी कीमतों में सुधार देखा गया है. फिलहाल विदेशी बाजारों से मिलने वाले संकेतों की वजह से अधिकांश खाद्य तेल की कीमतें में पिछले काफी समय से बढ़त का रुख देखने को मिला है. सरकार के द्वारा कई नीतिगत फैसलों के साथ कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है. वहीं सरसों की नई फसल का बाजार इंतजार कर रहा है. इस साल सरसों की अच्छी फसल होने का अनुमान है जिससे उम्मीद है कि अगले महीने से सरसों तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी.

सरकार ने बढ़ाई खाद्य तेलों की स्टॉक लिमिट

जमाखोरी पर रोक लगाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिये सरकार ने खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट जून तक बढ़ा दी है.
इसके अलावा, सरकार ने उन स्टॉक सीमाओं को भी निर्दिष्ट किया है जिन्हें उन राज्यों द्वारा लगाया जाना है जिन्होंने स्टॉक रखने की सीमा पर पहले के आदेश को लागू नहीं किया है. अक्टूबर 2021 में, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मार्च 2022 तक स्टॉक की सीमा लगा दी थी और उपलब्ध स्टॉक और खपत प्रतिरूप के आधार पर स्टॉक की सीमा तय करने का निर्णय राज्यों पर छोड़ दिया था. केन्द्र के अक्टूबर 2021 के आदेश के अनुसार, छह राज्यों – उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और बिहार ने अपने-अपने राज्यों में स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी थी. खाद्य तेलों के लिए, खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 30 क्विंटल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विंटल, थोक उपभोक्ताओं के लिए 30 क्विंटल यानी बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं और दुकानों के लिए और इसके डिपो के लिए 1,000 क्विंटल होगी. खाद्य तेलों के प्रसंस्करणकर्ता अपनी भंडारण क्षमता के 90 दिनों का स्टॉक कर सकेंगे. खाद्य तिलहन के लिए, खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक की सीमा 100 क्विंटल और थोक विक्रेताओं के लिए 2,000 क्विंटल होगी. बयान में कहा गया है कि खाद्य तिलहन के प्रसंस्करणकर्ता दैनिक उत्पादन क्षमता के अनुसार खाद्य तेलों के 90 दिनों के उत्पादन का स्टॉक कर सकेंगे. इसमें कहा गया है कि निर्यातकों और आयातकों को कुछ चेतावनियों के साथ इस आदेश के दायरे से बाहर रखा गया है. इस आदेश में जिन छह राज्यों को छूट दी गई है, उनकी संबंधित कानूनी संस्थाओं को राज्य प्रशासन द्वारा निर्धारित स्टॉक सीमा का पालन करना है और इसे पोर्टल पर घोषित करना है. मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से बाजार में जमाखोरी और कालाबाजारी जैसी किसी भी अनुचित कामकाज पर अंकुश लगने की उम्मीद है, जिससे खाद्य तेलों की कीमतों में कोई वृद्धि हो सकती है.

 

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