कांग्रेस नेता जयराम रमेश को चुनाव आयोग की दो टुक, बोले ‘इस मुद्दे पर मत पहले से स्पष्ट’

कांग्रेस नेता जयराम रमेश को चुनाव आयोग की दो टुक, बोले ‘इस मुद्दे पर मत पहले से स्पष्ट’

देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं. सभी पार्टियां इसलिए अपनी-अपनी धार तेज करने में लगी हैं. पांच राज्यों में हुए चुनावों में बड़ी हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को लेकर सवाल उठाया था. इसी बात, बीते दिनों कांग्रेस नेता जयराम रमेश की ओर से ईवीएम पर उठाए गए सवाल पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया है.

लोकसभा चुनाव में बेहद कम समय बचा है. ऐसे में I.N.D.I.A गठबंधन ने एक बार फिर से ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को चुनाव आयोग के सामने मुद्दा बनाया है. बीते दिनों कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विपक्षी दलों की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिखकर ईवीएम और वीवीपैट पर स्पष्टीकरण के लिए I.N.D.I.A प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए समय मांगा था. अब चुनाव आयोग ने इस मामले पर जयराम रमेश को जवाब दिया है.

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जयराम रमेश ने भेजा था लेटर

19 दिसंबर को I.N.D.I.A गठबंधन के बड़े नेताओं की हुई चौथी बैठक में इवीएम-वीवीपैट मुद्दे पर चर्चा की गई थी. इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक लेटर लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि वीवीपैट से जुड़े कुछ सवालों के बारे में स्पष्टीकरण हासिल करने के लिए विपक्षी नेता चुनाव आयोग से मिलने का काफी वक्त से प्रयास कर रहे हैं. रमेश ने लिखा कि मैं एक बार फिर भारतीय पार्टी नेताओं की 3-4 सदस्यीय टीम को आपसे और आपके सहयोगियों से मिलने और वीवीपैट पर अपना दृष्टिकोण रखने के लिए कुछ मिनट का समय देने का अवसर देने का अनुरोध करता हूं.

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चुनाव आयोग ने दिया जवाब

जयराम रमेश के इस लेटर पर जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम में कोई खामी या अनियमितता नहीं है. आयोग पहले ही इस मुद्दे को लेकर अपना मत स्पष्ट कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने EVM और VVPAT के मुद्दे पर पहले ही फैसला सुना चुका है. आयोग ने आगे कहा कि जयराम रमेश ने खुद सुप्रीम कोर्ट में EVM और वीवीपीएटी के मुद्दे पर जो याचिका दाखिल की गई थी वह अभी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश की विभिन्न अदालतों में इस संबंध में कई बार यह स्पष्ट किया गया है. EVM और VVPAT की पारदर्शिता के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी कोर्ट ने न केवल उसे अर्जी को खारिज किया, बल्कि उस अर्जी को पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए 10 हजार का जुर्माना भी लगाया था.