पेट्रोल-डीजल से ज्यादा खतरनाक हैं Electric Cars, IIT ने इस गाड़ी को बताया सबसे बढ़िया
Electric Car Pollution: हाल में आई IIT कानपुर की एक स्टडी में दावा किया गया है कि पर्यावरण के लिए इलेक्ट्रिक कारें काफी खतरनाक हैं. बैटरी से चलने वाली गाड़ियां पेट्रोल-डीजल से भी ज्यादा पॉल्यूशन फैलाती हैं. आइए इस स्टडी में किए गए दावे को देखते हैं.
पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक कारों को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. ना केवल आम लोग बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इनके गुण गा रही हैं. दिग्गज कैब सर्विस प्रोवाइडर उबर ने भी ऐलान किया है कि वो दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में ईवी कैब चलाएगी. कंपनी अगले दो साल में EV फ्लीट पार्टनर्स के साथ मिलकर 25,000 इलेक्ट्रिक कारों को सड़कों पर उतारेगी. दूसरी तरफ, सरकार भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को जमकर बढ़ावा दे रही है, और बैटरी से चलने वाली गाड़ियां खरीदने पर सब्सिडी भी देती है.
दरअसल, ऐसा माना जाता है कि इलेक्ट्रिक कार पॉल्यूशन नहीं फैलाती हैं, लेकिन आईआईटी कानपुर की एक स्टडी ने इस दावे को चुनौती दी है. इंडिया के दिग्गज टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की स्टडी में दावा किया गया है कि पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक कार ज्यादा पॉल्यूशन फैलाती हैं. ये दावा वाकई चौंकाने वाला है क्योंकि अब तक माना जाता रहा है कि इलेक्ट्रिक कार इको-फ्रैंडली होती हैं.
Electric Car: पॉल्यूशन को बढ़ावा और महंगी भी
आईआईटी कानपुर की इंजन रिसर्च लैब की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेट्रोल-डीजल और हाइब्रिड कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक कारों की मैन्यूफैक्चरिंग करने, चलाने और स्क्रैप करने में 15 से 50 फीसदी ज्यादा ग्रीनहाउस गैस (GHGs) का उत्सर्जन होता है.
प्रति किलोमीटर कॉस्ट की बात करें तो इलेक्ट्रिक कार खरीदना, इंश्योरेंस और मेंटेनेंस करना भी 15-60 फीसदी महंगा है. हालांकि, रिपोर्ट में दावा किया गया कि हाइब्रिड कार सबसे ज्यादा इको-फ्रैंडली कार हैं.
आईआईटी कानपुर ने एक जापानी ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर ये स्टडी की है. इसमें तीन तरह की कैटेगरी- दो विदेशी कैटेगरी और एक इंडियन कैटेगरी शामिल रहीं. ये स्टडी गाड़ियों की लाइफ साइकिल एनॉलिसिस (LCA) और टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप (TCO) का पता लगाने के लिए की गई.
इलेक्ट्रिक कार और कोयले का कनेक्शन
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अविनाश अग्रवाल ने ये स्टडी की है. उन्होंने बताया कि बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक कार (BEVs) को बिजली से चार्ज किया जाता है. इंडिया में 75 फीसदी बिजली कोयले से पैदा होती है, जिसमें कार्बन-डाई-ऑक्साइड होता है. यह तो जगजाहिर है कि कार्बन-डाई-ऑक्साइड पॉल्यूशन को बढ़ाता है.
हाइब्रिड कार को मिले बढ़ावा
रिपोर्ट में दावा किया गया कि हाइब्रिड इलेक्ट्रिक गाड़ियों (HEVs) से कम पॉल्यूशन फैलता है. पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक कारों के मुकाबले हाइब्रिड कार ज्यादा बेहतर हैं. हालांकि, हाइब्रिड गाड़ियां इन दोनों कारों से काफी महंगी हैं. हाइब्रिड कारों पर टैक्स ज्यादा है जिसकी वजह से ये महंगी होती हैं. इसलिए सरकार को हाइब्रिड कारों पर भी इलेक्ट्रिक कारों के जितनी सब्सिडी देनी चाहिए.
हालांकि, टैक्सी या कैब सर्विस के लिए इलेक्ट्रिक गाड़िया अच्छा ऑप्शन हैं. दूसरी तरफ, आम लोगों के लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदना और चलाना महंगा हो सकता है.