UP: बचपन में उठा पिता का साया, मां ने की परवरिश… अब ओलंपिक में जलवा दिखाएंगे राजकुमार

UP: बचपन में उठा पिता का साया, मां ने की परवरिश… अब ओलंपिक में जलवा दिखाएंगे राजकुमार

पेरिस में होने वाले ओलंपिक में यूपी के गाजीपुर का भी एक लड़का सिलेक्ट हुआ है. छोटे से गांव से निकलकर राजकुमार पाल अब पेरिस में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा होंगे. 8 साल की उम्र से ही राजकुमार ने हॉकी खेलना शुरू कर दिया था.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के करमपुर गांव के रहने वाले राजकुमार पाल जल्द ही जिले का नाम पेरिस में रोशन करने वाले हैं. 8 साल की उम्र में अपने पिता के निधन के बाद गांव के ही मेघबरन सिंह हॉकी स्टेडियम में राजकुमार ने हॉकी की बारीकियां सीखना शुरू कर दिया था. आज एशिया कप और वर्ल्ड कप के बाद पेरिस ओलंपिक में उनका चयन हुआ है. सिलेक्शन की खबर के बाद उनके गांव और स्टेडियम प्रशासन में खुशी की लहर दौड़ी है. इसी को लेकर करमपुर स्टेडियम के निदेशक अनिकेत सिंह ने जानकारी शेयर की है. बता दें कि राजकुमार पाल के दो भाई भी हैं जिनमें से एक सेना में है और दूसरा भाई रेलवे में है. तीनों भाई ही हॉकी के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और बाकी दोनों भाइयों ने स्पोर्ट्स कोटे में ही नौकरी हासिल की है.

पूर्व सांसद और मेघबरन सिंह हॉकी स्टेडियम के पूर्व निदेशक राधे मोहन सिंह ने बताया कि राजकुमार पाल की उम्र जब करीब 8 साल थी. उनके पिता शुरुआत में ट्रक चलाया करते थे. पिता के निधन के बाद उनकी मां मनराजी देवी ने तीनों भाइयों का पालन-पोषण किया. उनके बड़े भाई जोखन सेना में हैं और दूसरे भाई राजू रेलवे में हैं. सभी को स्वर्गीय ठाकुर तेज बहादुर सिंह स्टेडियम ले जाकर हॉकी की बारीकियां सिखाने लगे. इसके बदले तीनों भाई खेल के बाद उनके परिवार और खेतों का काम कर दिया करते थे. धीरे-धीरे यह सिलसिला चलता रहा और हॉकी की बारीकियां सीखते-सीखते नेशनल गेम तक खेलना शुरू कर दिया.

मेघबरन सिंह हॉकी स्टेडियम के निदेशक अनिकेत सिंह ने बताया कि 1983 में इस स्टेडियम की स्थापना स्व तेज बहादुर सिंह ने की थी. उनका उद्देश्य था गांव के गरीब युवाओं को रोजगार मिले और उनका जीवन बेहतर हो सके. उनके सपनों का परिणाम हमारे सामने है. इस स्टेडियम ने 14 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम को दिए हैं. सैकड़ों खिलाड़ियों को विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियां मिली हैं. उन्होंने अपना सारा जीवन खिलाड़ियों के उत्थान और गरीबी मिटाने के लिए समर्पित कर दिया. उनका योगदान और पूरी जिंदगी हॉकी की नर्सरी को संवारने में समर्पित रहा.

करमपुर जैसे छोटे से गांव में हॉकी की एकेडमी चलाने की सोच स्वर्गीय ठाकुर तेज बहादुर सिंह में आई और वह दुनिया के लाइमलाइट से अलग हटकर गांव के हर युवा में खिलाड़ी देखते थे और उसे परखने के बाद उसका निखार अपने स्टेडियम में करते थे. जिसकी बदौलत आज इस स्टेडियम से लगभग 400 से ऊपर खिलाड़ी विभिन्न सरकारी नौकरियों में कार्यरत हैं. वहीं उत्तम सिंह भी इसी स्टेडियम के होनहार खिलाड़ी रहे हैं जो जूनियर वर्ल्ड कप का हिस्सा भी रहे हैं.