हरियाणा में नायब रहेंगे या जाएंगे? तीन विधायकों के जाने के बाद ये फैक्टर तय करेंगे सरकार की राह
हरियाणा में नायब सिंह सैनी सरकार के गठन को दो महीने भी नहीं बीते है कि वो अल्पमत में आ गई है. अल्पमत में आने के पीछे तीन निर्दलीय विधायक हैं, जिन्होंने सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. तीनों विधायकों ने सरकार से नाखुशी जताते हुए अपना समर्थन वापस ले लिया है.
हरियाणा में नायब सिंह सैनी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार संकट में आ गई है. मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों की ओर से समर्थन वापस लिए जाने के बाद सरकार अल्पमत में आ गई है. जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लिया है उसमें रणधीर गोलन, धर्मपाल गोंदर और सोमवीर सांगवान शामिल हैं. तीनों विधायकों ने कहा है कि वो सरकार से खुश नहीं थे इसलिए समर्थन वापस ले ले रहे हैं.
तीन विधायकों के समर्थन वापस लिए जाने के बाद सैनी सरकार पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. सरकार सीधे तौर पर अल्पमत में आ गई है. हरियाणा विधानसभा में सीटों का गणित कहता है कि सत्ताधारी दल के पास कम से कम 45 विधायक होने अनिवार्य हैं. मौजूदा वक्त में सैनी सरकार के पास कुल विधायकों की संख्या 43 है. इनमें अकेले बीजेपी के पास 40 विधायक हैं, जबकि हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) से विधायक गोपाल कांडा और दो निर्दलीय विधायक भी साथ हैं. सैनी को अपनी कुर्सी बरकरार रखने के लिए अभी दो विधायकों की जरूरत है.
क्या कहते हैं विधानसभा के गणित?
अब जरा हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति पर भी नजर डाल लेते हैं. 90 विधायक दल वाले सदन में फिलहाल कुल 88 विधायक हैं. इनमें 40 एमएलए बीजेपी के, 30 कांग्रेस, 10 जेजेपी, एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से हैं. राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. ये दोनों नेता लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में हैं. इस तरह से देखें तो विधानसभा में दो सीट खाली है. इनमें करनाल विधानसभा सीट पर 25 मई को उप-चुनाव भी होने वाले हैं.
करनाल में सैनी जीते तो फिर…
विधानसभा में बीजेपी के अपने 40 विधायक हैं जबकि तीन बाकी निर्दलीय, एक एचएलपी के विधायक का भी समर्थन प्राप्त है. इस तरह से देखें तो कुल बीजेपी को पूर्ण बहुमत साबित करने के लिए केवल एक विधायक की जरूरत है. ऐसे में अगर करनाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में नायब सिंह सैनी जीत जाते हैं तो फिर बीजेपी को दांव पेंच लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. पेंच तब फंसेगा जब सैनी चुनाव हार जाते हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को बचाने के लिए बीजेपी को हर हाल में एक विधायक की जरूरत पड़ेगी.
जेजेपी के नाराज विधायक दे सकते हैं समर्थन
खबर यह भी है कि जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के 10 में 6-7 विधायक अपने नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि वो बीजेपी के संपर्क में भी है. अगर जेजेजी के नाराज विधायक सैनी सरकार का समर्थन कर देते हैं तो इस स्थिति में भी मौजूदा सरकार बची रह जाएगी. विधानसभा में वोटिंग होने की स्थिति में जेजेपी के नाराज विधायक क्रॉस वोट करके बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं या फिर विधानसभा में गैर हाजिर होकर बीजेपी को विश्वासमत हासिल करवाने में मदद भी कर सकते हैं.
जेजेपी-कांग्रेस-निर्दलीय गठबंधन भी संभव नहीं
वर्तमान में अगर तीन निर्दलीय विधायकों और जेजेपी को साथ लेकर कांग्रेस सरकार बनाना चाहे तो वो भी संभव नहीं है. इसलिए क्योंकि कांग्रेस के 30, जेजेपी के 10 और तीन निर्दलीयों को मिला दें तो कुल 43 विधायक ही होते हैं जबकि बहुमत के लिए 45 विधायकों की जरूरत है. खेला तभी हो सकता है जब बचे हुए निर्दलीय विधायकों में से कम से कम एक तो तोड़ा जाए या फिर आईएनएलडी समर्थन दे. हालांकि, इसकी संभावना न के बराबर है.
सीएम सैनी ने कांग्रेस पर फोड़ा ठिकरा
तीन निर्दलीय विधायकों की ओर से समर्थन वापस लिए जाने पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि विधायकों की कुछ इच्छाएं होती हैं, कांग्रेस आजकल इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है. लोग सब जानते हैं कि किसकी क्या इच्छा है. कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं है. मुख्यमंत्री का यह बयान हरियाणा में मौजूदा सियासी हलचल के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
शैलजा बोलीं- इस्तीफा दें नायब सैनी
हरियाणा में हुए सियासी उलटफेर पर कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा का बयान भी सामने आया. उन्होंने कहा कि तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेते ही मौजूदा सरकार ने बहमुत खो दिया है. ऐसी स्थिति में संवैधानिक मर्यादाओं को देखते हुए सीएम नायब सैनी को इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की. कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस को समर्थन लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की होने वाली विजय का संकेत है.