हाथरस कांड का गुनहगार कौन? जानिए भगदड़ से जुड़े अहम सवालों के जवाब

हाथरस कांड का गुनहगार कौन? जानिए भगदड़ से जुड़े अहम सवालों के जवाब

हाथरस कांड के बाद अब सत्संग के कार्यक्रम पर सवाल उठने लगे हैं. जिस भोले बाबा का सत्संग चल रहा था वो कोरोना के समय में भी विवादों में थे. तब उन्होने अपने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बाद में 50 हजार से ज्यादा लोगों को अपने सत्संग में बुला लिया. भारी भीड़ के कारण प्रशासनिक व्यवस्था तब भी चरमरा गई थी.

दिल्ली से 146 किलोमीटर दूर यूपी के हाथरस से जो तस्वीरें आई हैं वो दिल को झकझोर देने वाली हैं. जो खबर आई वो शर्मनाक थी और सैकड़ों सवालों से भरी भी हैं. इसमें दर्द है, पीड़ा है, बदइंतजामी है, अव्यवस्था है और सबसे चिंताजनक बात ये कि इसमें हर तरफ लाशें ही लाशें हैं. हर तरफ मौत ही मौत है. हाथरस में एक धार्मिक आयोजन में इस कदर भगदड़ मची की 116 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल भी हैं.

इस घटना के बाद अब कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. ये घटनाएं अक्सर होती हैं और भगदड़ के नाम पर ऐसी हत्याओं का कारण बनने वाले ढोंगी बाबाओं पर कोई एक्शन नहीं होता. बस नाम बदल जाते हैं, चेहरा बदल जाता है, जगह बदल जाती है लेकिन आस्था के सिंहासन पर बैठकर हर बार इस तरह लोगों को मौत के मुंह में भेजने की छूट मिल जाती है? सवाल है क्यों? बदइंतजामी और लापरवाही का ये डिस्काउंट कूपन इन लोगों को किसने दिया?

सवाल ये भी हैं…

  • ये भगदड़ किस धार्मिक आयोजन के दौरान हुई?
  • भगदड़ के पीछे की असली वजह क्या थी?
  • हाथरस में 100 से ज्यादा मौतों के गुनहगार कौन-कौन लोग हैं?
  • पुलिस प्रशासन पर लापरवाही के आरोप क्यों लग रहे हैं?
  • अस्पताल पर बदइंतजामी के आरोप क्यों लग रहे हैं?
  • हाथरस की घटना से पूरा सिस्टम सवालों में क्यों है?

पहले सवाल का जवाब ये है कि हाथरस में एक जगह है रतिभानपुर, यहां एक सत्संग का समापन कार्यक्रम था. जिसका सत्संग चल रहा था उनका नाम भोले बाबा है. इनके बारे में ऐसी जानकारी मिली है कि ये अक्सर अपने सत्संगों में भक्तों से कहा करते हैं कि वो पुलिस के इंटेलिजेंस यूनिट में रह चुके हैं. बहुत पहले नौकरी छोड़कर पत्नी के साथ प्रवचन करना शुरू कर दिया. एटा जिले के पटियाली गांव के रहने वाले हैं. और साकार विश्व हरि के नाम से जाने जाते हैं.

सत्संग में हर बार हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. मंगलवार को भी हाथरस में बाबा का मजमा लगा था. टीवी-9 भारतवर्ष की टीम जब ग्राउंड पर पहुंची तो चश्मदीदों ने बताया कि 50 हजार लोगों की भीड़ वहां मौजूद थी. सवाल पूछा गया कि ये भीड़ जुटाने की छूट किसने दी? तो जवाब मिला कि सत्संग के कार्यक्रम की परमिशन जिला प्रशासन से ली गई थी. लेकिन इन बाबा के बारे में एक और जानकारी हमारे पास है. कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे कई गुना ज्यादा लोग हाथरस पहुंच हुए थे.

अब सवाल ये कि भगदड़ कैसे मची?

तो इसके बारे में शुरुआती जानकारी ये मिली है कि जिस खुली जगह पर ये सत्संग कार्यक्रम चल रहा था. सत्संग खत्म होने के बाद एक साथ वहां से लोग निकल रहे थे. जगह छोटी थी तो बाहर निकलने वाला गेट भी छोटा था. तभी अचानक भगदड़ मच गई. लोग एक-दूसरे पर गिर गए. गर्मी और उमस की वजह से हालात बिगड़ते चले गए.

एक और थ्योरी ये भी सामने आ रही है कि सत्संग खत्म होने के बाद कथावाचक भोले बाबा का काफिला निकलने लगा. इस दौरान श्रद्धालु भी अपने घर जाने लगे. बाबा के काफिले को निकालने के लिए भीड़ के एक हिस्से को रोका गया और इसी दौरान भगदड़ मच गई. लोग एक दूसरे के ऊपर गिरे जिसके बाद दम घुटने से कई लोगों की मौत हो गई. बाबा इतनी मौतों के बाद से फरार हैं और सत्संग के आयोजनकर्ताओं को भी पुलिस ढूंढ रही है.

आयोजनकर्ता कौन-कौन थे, उनके नाम जान लें

  • महेश चंद्र
  • अनार सिंह
  • संजू यादव
  • चंद्रदेव
  • रामप्रकाश

मृतकों के परिवार वालों ने सिस्टम पर उठाए सवाल

घायलों और मृतकों के परिवार वालों ने सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाए हैं. ऐसा आरोप है कि पुलिस प्रशासन घटनास्थल पर बहुत बाद में पहुंचा. काफी देर तक घटनास्थल पर कोई राहत या बचाव कार्य शुरू नहीं हुआ था. हाथरस की घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग के पास इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं थे. लोगों का आरोप है कि कई लोगों को सही समय पर इलाज भी नहीं मिल पाया. हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने इस बात से इनकार किया है.

यूपी से दिल्ली तक हलचल तेज

सीएम योगी आदित्यनाथ आज यानी बुधवार सुबह हाथरस जाएंगे और घायलों से मिलेंगे. उन्होंने लक्ष्मी नारायण चौधरी, संदीप सिंह समेत तीन मंत्रियों के अलावा मुख्य सचिव और डीजीपी को घटनास्थल पर पहुंचने के निर्देश दिए. कुछ ही घंटे में ये लोग हाथरस पहुंच भी गए हैं. मुख्यमंत्री आवास पर अधिकारियों के साथ बैठक की. ADG आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर के नेतृत्व में टीम गठित करके घटना के कारणों की जांच कराने का भरोसा दिया. सरकार कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज करके कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है.

वहीं हाथरस में हुई भगदड़ की गूंज दिल्ली में भी सुनाई दी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक ने घटना पर शोक व्यक्त किया. और घायलों और परिवार वालों की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इंडिया अलायंस के सभी कार्यकर्ताओं से राहत बचाव कार्य में जुटने की अपील की. हालांकि इस पर सियासत भी तेज हो चुकी है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

सोचने वाली बात है कि ज्यादातर धार्मिक आयोजनों में ही भगदड़ क्यों होती है. ये एक खतरनाक ट्रेंड है और इस पर भारत जैसे आस्थावान लोगों के देश में कोई रोकटोक भी नहीं है. रिसर्च के दौरान हमें एक ऐसा आंकड़ा मिला जो इस ट्रेंड के बारे में बताता है. NCRB के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2000 से लेकर 2013 तक भगदड़ में लगभग दो हजार लोग मारे गए.

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन यानी IJDRR की 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में 79 फीसदी भगदड़ धार्मिक सभाओं और तीर्थयात्राओं के कारण होती है. भारत और विकासशील देशों में भीड़भाड़ से जुड़ी अधिकांश दुर्घटनाएं धार्मिक स्थलों पर होती है.

ऐसी दुर्घटनाओं से दो संदेश निकलते हैं

पहला ये कि भीड़ पर नियंत्रण और पर्याप्त इंतजाम के बगैर ऐसे सत्संग करने की इजाजत किसी को नहीं मिलनी चाहिए. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और दूसरा संदेश आम लोगों के लिए है कि वो अपनी आस्था के साथ साथ इंतजामों का भी ख्याल रखें. किसी सत्संग के पंडाल में घुसने से पहले ये जरूर देख लें कि वहां से वापस निकलने का इंतजाम कैसा है. कहीं वो आध्यात्मिक गुरू के बजाए आस्था के किसी व्यापारी के आयोजन में तो नहीं जा रहे.

(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)