पाकिस्तान में इमरान खान के हश्र से क्यों परेशान हैं शरद पवार? Inside Story

पाकिस्तान में इमरान खान के हश्र से क्यों परेशान हैं शरद पवार? Inside Story

महाराष्ट्र में एनसीपी शरद पवार गुट को लेकर सियासत एक बार फिर से गरम नजर आ रही है. महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा है कि शरद पवार गुट का कांग्रेस पार्टी विलय हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, विलय पर फैसला लेने से पहले शरद पवार उन हर विकल्पों पर चर्चा कर रहे हैं जिससे की उन्हें चुनाव में कोई नुकसान न उठाना पड़े.

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत भी गर्म हो गई है. हाल ही में चुनाव आयोग की ओर से अजित पवार गुट की एनसीपी को असली एनसीपी करार दिए जाने के बाद राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को तगड़ा झटका लगा. अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि शरद पवार कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी शरद पवार गुट के कांग्रेस में विलय का प्रस्ताव है, लेकिन उस पर अभी तक एनसीपी फैसला नहीं कर पाई है. दरअसल, एनसीपी पहले अपने बाकी विकल्प को खंगाल लेना चाहती है, इसलिए अभी तो वो इससे इनकार कर रही है, लेकिन अंदरखाने कांग्रेस से उसकी चर्चा जारी है.

अगर एनसीपी को सिंबल एलॉट नहीं होता है तो उसके टिकट पर लड़ने वाले लोकसभा के उम्मीदवारों को अलग अलग सिंबल पर लड़ना पड़ेगा. इस सूरत में चुनावी नुकसान होगा. आप कह सकते हैं कि, पाकिस्तान में इमरान खान वाला जैसा हाल हो सकता है.

क्या कहते हैं सियासी समीकरण?

अगर चुनाव आयोग से सिंबल मिलता है, लेकिन देर से मिलता है तो उसे अपने मतदाताओं तक पहुंचाने में दिक्कत होगी, जबकि घड़ी और एनसीपी के नाम अजित पवार के पास रहेगा. इसमें भी शरद गुट को नुकसान की आशंका है. ऐसे में सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी की इस समस्या को देख कांग्रेस ने दो ऑफर दिए हैं.

  1. शरद पवार का गुट या तो अपने उम्मीदवार को कांग्रेस के चुनाव निशान पर लड़ा लें
  2. या फिर एनसीपी पवार गुट कांग्रेस में विलय कर लें

सहानुभूति का फायदा लेने के मूड में

अब शरद पवार इस पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि सुप्रिया सुले और शरद पवार गुट के तमाम नेताओं का मानना हैं कि, अभी एनसीपी शरद पवार गुट को कांग्रेस में विलय करने के बजाय शरद पवार के नाम और निशान के साथ लड़कर सहानुभूति मिलेगी. इसलिए पहले वो गठबन्धन में लेकिन अपने सिंबल और शरद पवार के नाम पर सहानुभूति का फायदा लेने के मूड में हैं, लेकिन अगर निशान नहीं मिला या ज़्यादा देरी हुई तो कांग्रेस के ऑफर पर फैसला करेंगे.