इन 5 मिशन पर टिकी है भारत की 44 बिलियन डॉलर की स्पेस इकोनॉमी

इन 5 मिशन पर टिकी है भारत की 44 बिलियन डॉलर की स्पेस इकोनॉमी

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद से दुनिया की स्पेस इकोनॉमी में भारत ने अपनी अलग जगह बना ली है. उसके बाद आदित्य एल-1 ने भी भारत को उन चुनिंदा देशों में शुमार कर दिया, जो अब वर्ल्ड की बड़ी स्पेस पावर हैं. ऐसे में अगले कुछ सालों में इसरो के 5 स्पेस मिशन भारत की स्पेस इकोनॉमी को शेप देने वाले हैं.

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का लोहा अब दुनिया मान रही है. पहले मंगल मिशन जो पहली ही बार में सक्सेसफुल हुआ. फिर चंद्रयान-3 मिशन जो दुनिया में पहली बार चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला स्पेस मिशन बना. और अब सबकी नजर भारत के गगनयान मिशन पर टिकी है.

इसरो के इन सभी मिशन ने भारत के लिए एक नया इकोनॉमिक सेक्टर खोला है, वो है स्पेस इकोनॉमी का. इसका साइज करीब 44 अरब डॉलर का है, और इसरो के मिशनों की सफलता इसमें भारत की दावेदारी को मजबूत बनाता है. इसरो की कमर्शियल विंग एंट्रिक्स पहले से या काम करती है.

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दुनिया के कई देशों के लिए इसरो सैटेलाइट लांच का करता है. इसकी वजह भारत से सैटेलाइट लांच करवाने में उन्हें कम लागत आती है. भारत के नाम एक साथ 104 सैटेलाइट लांच करने का भी रिकॉर्ड है, जिसे इसरो ने अंजाम दिया. इतना ही नहीं इसरो ने एक ही रॉकेट की मदद से उन सैटेलाइट्स को उनकी अलग अलग ऑर्बिट में प्लेस किया. ऐसे में वर्ल्ड स्पेस इकोनॉमी में इसरो का सिक्का चलता रहे, इसके लिए दुनिया की नजर उसके इन 5 मिशनों पर टिकी है…

इसरो के आगामी मिशन

गगनयान : इसरो के इस मिशन का भारत ही नहीं पूरी दुनिया को लंबे समय से इंतज़ार है. ये इसरो के लिए स्पेस मार्किट में नए द्वार खोलेगा, क्योंकि ये पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें इसरो मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा. हालांकि ये टेस्ट फ्लाइट होगी, जिसमें अभी कोई क्रू नहीं होगी.

इसरो की प्लानिंग तीन लोगों को अंतरिक्ष में भेजेने की है. ये धरती से 400 किलोमीटर ऊपर जाएंगे और उसके बाद भारतीय समुद्र में उनकी सेफ लैंडिंग होगी.ऐसा होने पर भारत को दुनिया भर में मानवीय अंतरिक्ष मिशन के लिए एक बड़ा मार्केट हासिल होगा.

एक्सपोसैट : यह भारत का पहला पोलरमेट्री मिशन है है इसकी मदद से भारत भीषण परिस्थितियों में एक्स-रेज के सोर्स की डायनॉमिक्स का अध्ययन करेगा. ये ब्लैक होल्स के अध्ययन में काम आने वाला एक अहम मिशन है. ये ऐसे ही 50 से ज्यादा कॉस्मिक ब्राइट सोर्स का अध्ययन करेगा.

गगनयान-2 : ये मिशन दूसरी टेस्ट फ्लाइट होगी. अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स को भेजने से पहले इसरो कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है.

निसार : यह इसरो और नासा का संयुक्त मिशन है. इस मिशन की मदद से दोनों देश रिमोट सेंसिंग की तकनीक को आसान बनाने का काम करेंगे. ये राडार इमेजिंग भी बेहतर बनाएगा.

मंगलयान 2 : ये भी इसरो के प्लांड मिशन में से एक है. लेकिन अभी इसके स्वरूप, टाइमलाइन को लेकर इसरो ने ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है.