क्या है लावा और वीवो के बीच कनेक्शन, जानिये हरिओम राय की पूरी हिस्ट्री?

क्या है लावा और वीवो के बीच कनेक्शन, जानिये हरिओम राय की पूरी हिस्ट्री?

लावा के एमडी हरिओम राय ने 2003 में पेसटेल कंयूनिकेशन नाम से कंपनी शुरू की थी, जिसने चीनी कंपनी बीबीके इलेक्ट्रोनिक्स के साथ ज्वाइंट वेंचर कर लैंडलाइन और फिक्स्ड वायरलेस के कारोबार में कदम रखा था. उसके बाद पेसटेस ने लावा नाम की ब्रांच बनाकर 2009 में मोबाइल फोन मार्केट में कदम रखा. खास बात तो ये है कि वीवो कंपनी बीके टेलीकंयूनिकेशन की ही ब्रांच है.

लावा के एमडी हरिओम राय को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी चीनी मोबाइल कंपनी वीवो की मदद करने को लेकर और एफडीआई नियमों का उल्लंघन करने को लेकर की गई है. इस घटना के बाद कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर लावा और वीवो में कनेक्शन क्या है? आखिर लावा के एमडी चीनी कंपनी की क्यों मदद कर रहे थे? आखिर लावा कंपनी के प्रमुख को चीन से इतना प्यार क्यों है? इन तमाम सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की गई तो टीवी9 की टीम की नजर हरिओम राय के लिंक्डइन प्रोफाइल पर गई. जिसमें इन तमाम सवालों के जवाब छिपे हुए थे. वास्तव में हरिओम राय का चीन से प्यार हाल फिलहाल का नहीं है. बल्कि पूरे दो दश​क पुराना है. तो आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इन सवालों का जवाब क्या है?

दो दशक पुराना है कनेक्शन

इस कनेक्शन की शुरुआत साल 2003 से शुरू हुई जब हरिओम राय ने चीन की कंपनी बीबीके इलेक्ट्रोनिक्स के साथ मिलकर भारत में पेसटेल नाम की कंपनी शुरू की. ये वेंचर लैंडलाइन और फिक्स्ड वायरलेस फोन बनाकर बेचता था. हरिओम राय की चीन के साथ पहली कड़ी यही है. जिसे मौजूदा समय में 20 साल हो चुके हैं. इन तमाम बातों का जिक्र खुद हरिओम राय ने अपने प्रोफाइल में किया है. उसके बाद इस पेसटेल ने लावा नाम की ब्रांच को खड़ा किया. इसका मतलब है कि लावा में जितनी हिस्सेदारी हरिओम राय की थी, उतनी ही हिस्सेदारी चीनी कंपनी बीबीके टेलीकॉम की भी थी. अब थोड़ी यहां साफ हुई होगी कि आखिर हरिओम राय को चीन से इतना प्यार क्यों है?

Hariom Rai About

अब समझिये वीवो से कनेक्शन

वीवो का नाम किसने नहीं सुना? चीन की मशहूर मोबाइल कंपनी है. दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग आईपीएल की मेन स्पांसर रह चुकी है. खास बात तो ये है कि जब 2009 में लावा शुरुआत भारत में हुई थी. उसी साल चीन में वीवो कंयूनिकेशन की शुरूआत हुई थी. अब इसका कनेक्शन लावा के एमडी से कैसे है? वास्तव में वीवी की पेरेंट कंपनी वही बीबीके इलेक्ट्रोनिक्स है, जिसके साथ साल 2003 में हरिओम राय ने पेसटेल नाम की कंपनी खड़ी थी. अब आप पूरी तरह से समझ गए होंगे कि आखिर लावा और वीवो के बीच इतना स्ट्रांग कनेक्शन कैसे है और लावा की ओर से वीवो की मदद क्यों की गई?

क्या है हरिओम राय की हिस्ट्री?

हरिओम राय के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसारद उन्होंने साल 1992 में बायो टेक्नोलॉजी सेक्टर में एक वेंचर बायोजेनटेक की स्थापना की. बायोजेनटेक का कारोबार यूरोप और अमेरिका तक फैला हुआ है. बायोजेनटेक भारत में बायोटेक लैब और यूनिवर्सिटीज में उपयोग की जाने वाली मशीनें, डिवाइस, कैमिकल और कंज्यूमेबल्स प्रोडक्ट्स बनाती है. 1996 में, हरिओम राय ने एक लॉजिस्टिक्स कंपनी – परफेक्ट हैंडलिंग, जिसे बाद में एमएक्सप्रेस वर्ल्डवाइड लॉजिस्टिक्स नाम दिया गया, में एक पार्टनर के रूप में कारोबार शुरू किया. जो फ्रेट फोरवर्डिंग, कस्टम क्लीयरेंस, वेयरहाउसिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में लगी हुई थी. साल 2003 में कंपनी ने चीनी कंपनी के साथ मिलकर टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा था.

हरिओम राय क्यों हुए गिरफ्तार?

ईडी ने चीनी फोन मेकर वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें एक नाम लावा के एमडी हरिओम राय हैं. जिन्हें एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट तहत गिरफ्तार किया गया है. इन पर वीवो की मदद करने का आरोप लगा है. इनके अलावा तीन और लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनके नाम गुआंगवेन क्यांग, सीए नितिन गर्ग और राजन मलिक हैं.

गुआंगवेन क्यांग चीन से हैं. जिन्हें वीवो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मास्टर माइंड माना जा रहा है. नितिन गर्ग वीवो के सीए थे. राजन मलिक लावा के ऑडिटर. इन सबकी सांठगांठ से वीवो ने अवैध तरीके से एकलाख करोड़ रुपये बाहर भेजे हैं. ईडी ने आरोप लगाया है कि इन चारों ने ही जांच में मदद नहीं की. हरिओम राय पर आरोप है कि उन्होंने राजन मलिक के साथ मिलकर एफडीआई नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं. चीन की कंपनी को भारत में सिक्योरिटी डिपॉजिट्स और ऑफिस दिलाने में मदद की.