मानव सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, पढ़ें इससे जुड़े 5 अनमोल सीख

मानव सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, पढ़ें इससे जुड़े 5 अनमोल सीख

सेवा ही वो सीमेंट है जो हमारा तमाम लोगों के साथ स्नेह और आत्मीयता को बनाए रखता है. इसके होने पर रिश्तों पर होने वाले किसी भी आघात का कोई असर नहीं होता है. सेवा से जुड़े अनमोल विचार जानने के लिए पढ़ें सफलता के मंत्र.

व्यक्ति को कभी भी मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहियें. मानव एक समुद्र के समान होती है. ऐसे में यदि इस सागर की कुछ बूंदे गंदी भी हो जाए तो पूरा समुद्र गंदा नहीं होता है. मनुष्य को हमेशा इसी मानवता की सेवा करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए क्योंकि मानवता इंसान का सिर्फ एक अच्छा गुण ही नहीं बल्कि उसका धर्म ही होता है. सभी धर्मों में मानव सेवा को ईश्वर की सेवा बताया गया है. ऐसे में हर इंसान को यही प्रयास करना चाहिए कि वह सच्चे मन से, पूरी ईमानदारी के साथ न इंसान और जीवों की सेवा करे. आइए मानव सेवा के सही मायने जानने के लिए पढ़ते हैं सफलता के मंत्र.

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  1. सेवा से शत्रु भी मित्र हो जाता है. इसे करने के लिए इंसान को प्रेम और करुणा की जरूरत होती है, धन की नहीं.
  2. मानव मात्र की सेवा करने वाले व्यक्ति के हाथ उतने ही पवित्र और धन्य होते हैं, जितने ईश्वर की साधना करने वाले होंठ.
  3. मानव मात्र की सेवा उस किराए के समान होती है जो आप अपने कमरे में रहने के लिए यहाँ पृथ्वी पर देते हैं.
  4. जो लोग सोचते हैं कि वे किसी भी प्रकार की सेवा करने के योग्य नहीं हैं, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं.
  5. मानव सेवा करके कोई भी इंसान महान हो सकता है, क्योंकि इसे करने के लिए आपके पास कॉलेज की डिग्री होने की जरूरत नहीं है. मानव सेवा करने के लिए सिर्फ और सिर्फ आपको अपने भी मानव मात्र के प्रति दया और प्रेम की जरूरत होती है.