राजस्थान: अवधेशाचार्य को गलता पीठ के महंत पद से क्यों हटाया गया? जानें पूरा मामला
राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर के प्रतिष्ठित गलता पीठ के मंहत को गद्दी से हटा दिया है. वहीं मंदिर, मंदिर की संपत्तियों और मूर्तियों की देखरेख के लिए राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिया है. संपत्तियों के विवाद के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गलता पीठ ना तो किसी की जागीर है और ना ही महंत की गद्दी किसी को विरासत के आधार पर दी जा सकती है.
जयपुर के प्रसिद्ध तीर्थस्थल गलता पीठ की संपत्तियों के विवाद के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस पीठ के मौजूदा महंत अवधेशाचार्य को पद से हटा दिया है. वहीं राज्य सरकार को मंदिर की मूर्ति और संपत्तियों का संरक्षक बताते हुए मंदिर की देखरेख के लिए नए सिरे से महंत की नियुक्ति का आदेश दिया है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने गलता पीठ का विकास महाकाल मंदिर उज्जैन व श्रीराम मंदिर अयोध्या की तर्ज पर कराने के आदेश दिए हैं.
मामले की सुनवाई सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश समीर जैन की कोर्ट में हुई थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गलता पीठ के महंत का निर्धारण विरासत के आधार पर नहीं किया जा सकता. इसी के साथ कोर्ट ने पूर्व महंत स्वर्गीय रामोदराचार्य की पत्नी गायत्री देवी, पुत्र अवधेशाचार्य व सुरेश मिश्रा आदि की सभी 7 याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अपनी याचिकाओं में रामोदराचार्य की पत्नी और बेटे विरासत के आधार पर गलता पीठ की गद्दी और संपत्ति पर अधिकार होने का दावा कर रहे थे.
देवस्थान बोर्ड ने गठित की थी कमेटी
संपत्तियों को लेकर विवाद शुरू होने पर पूर्व में राजस्थान के देवस्थान आयुक्त ने गलता पीठ की देखरेख के लिए कमेटी का गठन कर दिया था. देवस्थान आयुक्त के इसी फैसले को चुनौती देते हुए रामोदराचार्य के पत्नी बेटे हाईकोर्ट पहुंचे थे. इन्होंने कोर्ट में दाखिल अपनी अपील में तर्क दिया था कि रामोदराचार्य के महंत बनने के समय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट लागू नहीं था. उनकी नियुक्ति तत्कालीन राजपरिवार ने की थी. चूंकि यह एक्ट नया है, ऐसे में राज्य सरकार को यहां नियुक्ति करने का कोई अधिकार नहीं है.
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गलता पीठ किसी की जागीर नहीं: कोर्ट
कोर्ट ने इस मामले में सरकार का पक्ष सुनने के बाद कहा कि गलता पीठ की संपत्तियों, मूर्तियों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है. मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि गलता ठिकाने को किसी की जागीर नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने गलता पीठ की संपत्ति पर होटल चलाने को भी गंभीर माना है. अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गलता पीठ का विकास महाकाल लोक और श्रीराम जन्मभूमि की तर्ज पर होना चाहिए. इसके लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को जिम्मेदारी दी है.
अवधेशाचार्य ने खुद को घोषित किया था महंत
बता दें कि रामोदराचार्य के निधन के बाद उनके बेटे अवधेशाचार्य ने खुद को महंत घोषित किया था. इसी के साथ गायत्री बिल्ड एस्टेट के नाम से एक कंपनी भी गठित हो गई. यह कंपनी पीठ की संपत्तियों पर होटल, गेस्ट हाउस, बार, पब, केसिनो व रेस्टारेंट का संचालन करने लगी. ऐसे हालात में स्थानीय लोगों ने अवधेशाचार्य के महंत बनने के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए देवस्थान बोर्ड में शिकायत दे दी. वहीं देवस्थान बोर्ड ने भी देखा कि तीर्थ स्थल की संपत्तियों पर होटल एवं रेस्टोरेंट खोले गए हैं, जहां मांसाहार परोसा जा रहा है. इसलिए बोर्ड ने संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया था. इसके विरोध में महंत अवधेशाचार्य आदि हाईकोर्ट चले गए थे.