J-K: 57 VIP की सुरक्षा घटी, आदेश की कॉपी वायरल होने पर मुकदमा दर्ज
श्रीनगर पुलिस ने इस साल मार्च में राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) के फैसले का हवाला देते हुए 130 व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) और 57 वीआईपी के आवासीय गार्ड को वापस ले लिया है. इनमें राजनेता, पूर्व पुलिस अधिकारी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और मीडियाकर्मी शामिल हैं.
जम्मू कश्मीर सरकार ने 57 लोगों का सुरक्षा कवर घटाने के आदेश जारी कर दिए हैं. लेकिन इस आदेश की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह लोग चिंतित हैं कि एक तरफ सरकार ने उनका सुरक्षा कवर घटा दिया वहीं दूसरी ओर उनकी निजी जानकारी भी सार्वजनिक हो गई हैं. इस मामले में पुलिस ने ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है.
सुरक्षा कवर घटाए जाने वाले संरक्षित व्यक्तियों में पूर्व ऐडीजी पुलिस, पूर्व डीव कोम (आईऐएस) जैसे पद के अधिकारियों के साथ -साथ कुछ राजनेता समेत पत्रकार शामिल हैं, जोकि पुलिस के संरक्षित सूची में रहे हैं.
सरकार के आदेश की कॉपी वायरल
श्रीनगर निवासी एक आईपीएस, एडीजीपी रेंक के अधिकारी, उनके सेवानिवृत्त आईएएस भाई और पूर्व मंडलायुक्त कश्मीर जैसे संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कम कर दी है या वापस ले ली है. सरकार के इस फैसले ने इन संरक्षित लोगों में चिंता पैदा कर दी है. सरकार के इस आदेश के सोशल मीडिया पर वायरल होने से इनकी चिंताएं अधिक बढ़ गई हैं. वहीं इस मामले में श्रीनगर पुलिस ने इस मामले में अब एफआईआर दर्ज की है.
कश्मीर में जीवन असुरक्षित
इन नौकरशाहों और राजनेताओं का तर्क है कि अस्थिर कश्मीर में उनका जीवन असुरक्षित बना दिया गया है. श्रीनगर पुलिस ने इस साल मार्च में राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) के फैसले का हवाला देते हुए 130 व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) और 57 वीआईपी के आवासीय गार्ड को वापस ले लिया है. इनमें राजनेता, पूर्व पुलिस अधिकारी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और मीडियाकर्मी शामिल हैं.
एसएसपी श्रीनगर के आदेश में पुलिस मुख्यालय से एक संचार का हवाला देते हुए कहा गया है कि 30 मार्च, 2024 को राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) द्वारा लिए गए निर्णय के अनुपालन में, विभिन्न संरक्षित व्यक्तियों के साथ सुरक्षा कवर तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है.
सीएपीएफ और सशस्त्र गार्डों की वापसी
2 जुलाई को जारी आदेश में कहा गया है कि श्रीनगर के सभी जोनल एसएसपी अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र से सीएपीएफ और सशस्त्र गार्डों की वापसी सुनिश्चित करेंगे. इसी तरह डीवाईएसपी डीएआर डीपीएल श्रीनगर सभी पीएसओ और गार्डों को तुरंत वापस बुलाएंगे. संरक्षित व्यक्तियों में से 28 बीजेपी, अपनी पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और अन्य छोटे दलों से जुड़े राजनेता, पांच पूर्व न्यायाधीश, छह सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं.
सुरक्षा प्रतिष्ठा या प्रोटोकॉल का मामला नहीं
श्रीनगर के पूर्व मेयर और अपनी पार्टी के युवा अध्यक्ष जुनैद मट्टू का कहना हैं कि इस हालिया अभ्यास के दौरान उनका सुरक्षा विवरण कम कर दिया गया है. जुनैद ने कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा ग्रिड के खतरे की धारणा अभ्यास के अनुसार एक ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति हूं, मैं समझता हूं कि किस हद तक सुरक्षा प्रदान करना सुरक्षा तंत्र का डोमेन है और उन्होंने एक सूचित और जिम्मेदार निर्णय लिया होगा. सुरक्षा प्रतिष्ठा या प्रोटोकॉल का मामला नहीं है और यह आपके खतरे की धारणा है और जीवन और मृत्यु सर्वशक्तिमान के हाथ में है.
सुरक्षा योजनाएं और तैनाती लीक
उन्होंने कहा कि हालांकि यह देखना बहुत आश्चर्यजनक है कि संरक्षित व्यक्तियों को कोई भी औपचारिक या अनौपचारिक संचार करने से पहले प्रत्येक संरक्षित व्यक्ति के सुरक्षा प्रोटोकॉल, विवरण और व्यवस्था (उनके आवास सहित) को सोशल मीडिया पेजों और मीडिया वॉट्सएप समूहों पर प्रसारित किया जा रहा है. ये बहुत संवेदनशील विवरण हैं और इस जानकारी को गोपनीयता और औचित्य के मामले में नहीं तो सुरक्षा कारणों से बेहद गोपनीय रखा जाना चाहिए था. यही मेरी एकमात्र चिंता और आपत्ति है. यह भी चिंताजनक है कि महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर की गई सुरक्षा योजनाएं और तैनाती लीक हो गई हैं. मुझे उम्मीद है कि इसकी आंतरिक जांच की जाएगी.
श्रीनगर पुलिस ने सरकार पर व्यक्त संरक्षित व्यक्तियों की चिंताओं के मद्दे नजर इस सरकारी आदेश की कॉपी के लीक होने के मामले में कारवाई की है और ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत एफआईआर नंबर 48/2024 शेरगढ़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज कर तहकीकात शुरू करदी हैं.