तलाक मंजूर करने के बजाए हाईकोर्ट जज ने घर के बुजुर्ग की तरह दंपति से कहा-‘बेटी की जिंदगी और घर बचाइए पहले”
आमजन की नजर में आज के दौर में थाने-चौकी कोर्ट-कचहरी घर-परिवारों को तोड़ने में ही जुटे हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में चल रहे, तलाक के एक मामले की सुनवाई कर रहे वरिष्ठ जज ने मगर इसे मिथ्या करार दिया. जब तलाक की जिद पर अड़े दंपति को उन्होंने घर के बुजुर्ग की तरह समझाया.
अमूमन यही कहावत सुनी जाती रही है कि कोर्ट-कचहरी के झंझटों से बचो. एक दफा कोर्ट-कचहरी-वकील के चक्कर में फंसे तो फिर जिंदगी कहीं की नहीं रहेगी. यह बात सरासर गलत है. अब कोर्ट और जज बदल चुके हैं. वे भी हमारी-आपकी तरह ही सच और शंकाओं को समझकर उनका समाधान तलाशने के लिए जूझते हैं. इसकी तस्दीक हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में पेश एक मामले की सुनवाई के दौरान हुई. यह मुकदमा एक दंपति के तलाक से जुड़ा था. अहम और जिद के चलते दोनों ही हर हाल में और जल्दी से जल्दी तलाक के लिए उतावले हैं. मुकदमे की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट बेंच के जज ने मगर पहले तो कोर्ट-कचहरी की नाकी-घाटी समझाईं.
उसके बाद जस्टिस रोहित आर्य ने मियां-बीवी से कहा कि परिवार बचाओ. वकील साहब के चक्कर में तो 14 साल हो गए कोर्ट-कचहरी आते जाते. फिर भी अगर बात न बने तो मेरे पास (मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच) चले आना. तलाक की डिक्री (हुक्मनामा) दे दी जाएगी तुरंत. दरअसल, यह मामला जुड़ा है, देश की राजधानी पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी एक शख्स (पति) और उसकी पत्नी के बीच चल रहे आपसी विवाद से. तलाक के लिए थाना-चौकी, कोर्ट कचहरी (मुकदमेबाजी) होते करीब 14 साल बीत चुके हैं. दंपति के एक बेटी भी है. विचारों के न मिलने के चलते दोनों (मियां-बीवी) ही, तलाक लेकर एक दूसरे से पीछा छुड़ाने पर आमादा हैं. इस काम के लिए पति-पत्नीदोनों ही बराबर की और एक दूसरे से कहीं ज्यादा चाहत रखते हैं. मुकदमा जब तलाक के अंतिम पड़ाव पर आकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के सामने पहुंचा, तो उसकी सुनवाई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में जस्टिस रोहित आर्य ने शुरू की.
वकील के बोलते ही जज ने टोका
सुनवाई की शुरुआत में ही महिला की वकील अपनी मुवक्किल की तरफदारी में बोलना शुरू हो गई. तलाक के लिए महिला मुवक्किल के साथ हाईकोर्ट में पहुंची महिला वकील, सुनवाई शुरु होते ही वो सब बताने लगी ताकि, हाईकोर्ट बेंच जल्दी से जल्दी महिला को तलाक दे दे. बस तलाक लेने पर आमादा महिला की वकील का यह रवैया ही हाईकोर्ट को अखर गया. हाईकोर्ट से महिला की वकील की दरखास थी कि अगर पीठ को तथ्यों पर विश्वास न हो तो, वह (मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट बेंच) तलाक लेने की इच्छुक महिला की बेटी से भी बात कर सकती है. इस पर जस्टिस रोहित आर्य ने महिला के साथ खड़ी उसकी वकील को ही आड़े हाथ लेकर कहा, “करिए आप मजबूती से खूब बहस करिए. यानि जो चीज कहीं कुछ बनने वाली भी होगी वह भी, वकील साहिबान (महिला की ओर से पेश महिला वकील)….अपनी मुवक्किल से…अरे तुम घबड़ाती क्यों हो हम हैं न…नाक रगड़वा देंगे (पति पक्ष को कोर्ट में)… हम इतना दिलवा देंगे…यह करा देंगे…अपने मुवक्किल को….आदि आदि जैसे जुमलों से बिगड़वा देंगीं.”
इतनी हवा भर दो क्लाइंट में कि वह….
हाईकोर्ट ने आगे कहा, “इतनी हवा भर तो क्लाइंट को कि…अब तो हम स्ट्रॉंग फूटिंग पर हैं. केस लड़ते हैं क्या दिक्कत है?” पीड़ित महिला की वकील को आड़े हाथ लेने के बाद हाईकोर्ट ने महिला से ही पूछा, “14 साल हो गए मुकदमा लड़ते हुए. कितनी फीस दी इन 14 साल में वकील को? महिला के जवाब को सुनते ही जस्टिस रोहित आर्य ने उससे पूछा…और इतने साल बाद भी आप कहां खड़ी हैं? स्वॉयर-ए में. अगर यही चलता रहा तो यही होगा. और सुप्रीम कोर्ट में जाकर भी यही होगा. वहां भी (सुप्रीम कोर्ट में) जज साहिबान आपसे यही कहेंगे कि, मत लड़ो. इस उम्र में दोनो लोग कहां जाओगे? इसलिए आप दोने से हमारी दरखास है कि इतना तो सोचो कि अब इस उम्र में कहां जाओगी?. साथ ही आप दोनो से इतना जरूर कहना चाहूंगा कि आपको बहैसियत पत्नी साथ में रहना है तो थोड़ा समझ से रहो. एक समझदार लेडी को घर चलाने के लिए महिला का फर्ज ही यही होता है.
बुजुर्ग की भूमिका में हाईकोर्ट जज
आपको सबको देखना है. हसबैंड, सास-ससुर, बच्चों को भी देखना है. तो आपका व्यवहार तो बहुत ही लचीला होना चाहिए. सबको एक साथ चलने के लिए घर बनाने के लिए यह जरूरी है. और घर को आप ही तो बनाओगी (तलाक के लिए 14 साल से जूझ रही महिला).” आप यह सब समझने के बजाए तमाम वकीलों और कोर्ट आर्डर्स की ही बात किए जा रही हैं. यह सब कहानियां बंद करो. पति ने इसी बीच में कहा कि आज भी पुलिस बुला लेती है पत्नी. इस पर हाईकोर्ट ने कहा, यह सब टोटल मूर्खता है. महिला को समझाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आप समझौते का मन बनाईए. हम इनको (महिला के पति नितिन शिव हरे) भी समझाते हैं. इसके साथ ही जस्टिस रोहित आर्य ने कहा कि, हम इस मामले को फिलहाल पैंडिंग रखते हैं. मुझे नहीं लगता है कि यह (पति) आपके साथ न रहने की ही बात अब भी करेंगे. इसके बाद भी मगर महिला का पति हर कीमत पर तलाक लेने पर ही अड़ा रहा. तब उसे समझाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, आज आपकी 15 साल की बच्ची है. सोचिए आज उसकी साइकॉलाजी क्या हो गई होगी?
पुरानी बातें भूलकर जिंदगी संवारो
दंपति को समझाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, अब पीछे की बातें भूलकर आगे जीवन सुधारने की सोचो. आगे अगर कुछ होगा तो हम (हाईकोर्ट) बैठे हैं. इस पर पति ने दलील रखी कि, महिला आए-दिन थाना-चौकी कर देती है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, इसके लिए भी हम बैठे हैं. अगर आइंदा ऐसा कुछ होता है. तो आप सीधे हमारे पास (मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच) हमारे पास चले आइए. उस वक्त दोनो की बात सुनकर अगर मुनासिब लगा तो, हम (हाईकोर्ट बेंच) तुरंत तलाक की डिक्री दे देंगे. मैं उसी दिन आपको तलाक दिलवा दूंगा. आपको किसी और जगह जाने की जरुरत नहीं है. यही आप दोनो और आपकी बेटी के हित में होगा. हम चाहते हैं कि आप कैसे भी अपना परिवार बिखरने से बचा लो. हम नहीं चाहते हैं कि आप बच्ची के लिए साथ हो लो. ऐसा न हो कि वो (दंपति की बेटी) आप दोनो (पति पत्नी) की हालत देखकर खुद ही शादी न करे. हर हाल में तलाक लेकर परिवार को तबाह करने पर उतारू महिला से भी हाईकोर्ट ने कहा कि, वो अपने सास-ससुर से भी बात करे. उसके बाद हमें (हाईकोर्ट) बताना क्या हुआ?”