मैं चुप रहा, लेकिन दिल खौलता रहा… भगत सिंह की फांसी के अगले दिन क्या बोले थे नेहरू?

मैं चुप रहा, लेकिन दिल खौलता रहा… भगत सिंह की फांसी के अगले दिन क्या बोले थे नेहरू?

जवाहरलाल नेहरू उन चुनिंदा नेताओं में से थे जो भगत सिंह से मिलने के लिए जेल गए थे. गांधी की तरह नेहरू भी भगत सिंह के रास्ते को सही नहीं मानते थे, लेकिन वो भगत सिंह की बहादुर की जमकर तारीफ किया करते थे. भगत सिंह को फांसी हो जाने का उन्हें भी देशवासियों की तरह काफी दुख था.

14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस है. उससे पहले हम उनसे जुड़े किस्सों और उनके विचारों की बात कर रहे हैं. यहां हम बात करेंगे भगत सिंह को लेकर उनके विचारों की. भगत सिंह को फांसी होने के बाद उन्होंने क्या कहा? भगत सिंह और उनके रास्तों को वो कैसा और कितना सही मानते थे. भगत सिंह की जब भी बात होती है तो ये सवाल उठता है कि गांधी और कांग्रेस ने उनके लिए क्या किया? क्या गांधी और कांग्रेस भगत सिंह की फांसी की सजा को खत्म करा सकते थे? नेहरू भगत सिंह की बहादुरी की तारीफ करते थे, लेकिन उनका कहना था कि कांग्रेस का रास्ता अलग है.

23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेख को लाहौर में फांसी दे दी गई. अगले दिन 24 मार्च को दिल्ली में नेहरू ने कहा कि उनके आखिरी दिनों के बीच में बिल्कुल चुप ही रहा, ताकि मेरा एक भी शब्द सजा को घटाने के आसार को नुकसान न पहुंचा सके. मैं चुप रहा, लेकिन मेरा दिल खौलता रहा. अब सब कुछ खत्म हो गया है. हम सब भी उसे, जो हमें इतना प्यारा था और जिसकी शानदार दिलेरी और कुर्बानी हिंदुस्तान के नौजवानों के लिए प्रेरणा बन रही है, आखिर नहीं बचा सके. आज हिंदुस्तान अपने बहुत प्यारे बच्चों को फांसी तक से नहीं बचा सका.

हमारी बेबसी पर मुल्क में गम मनाया जाएगा: नेहरू

पत्रकार और लेखक पीयूष बबेले की किताब ‘नेहरू मिथक और सत्य’ के अनुसार, नेहरू आगे कहते हैं कि सभी जगह हड़ताल होंगी और मातमी जुलूस निकलेंगे. हमारी बेबसी पर मुल्क में गम मनाया जाएगा, लेकिन अब जो हमारे बीच नहीं है, उसके लिए फख्र भी होगा. इंग्लैंड जब हमसे बात करेगा और किसी निबटारे की बात कहेगा तब भगत सिंह की लाश हमारे बीच होगी कि कहीं हम उसे भूल तो नहीं गए.

27 मार्च को अखिल भारतीय छात्र कन्वेंशन में नेहरू कहते हैं कि भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी ने बहादुर और देशभक्त नौजवानों को न बचा सकने की हमारी लाचारी की बात हमें याद दिला दी है.

हम उसकी बहादुरी के आगे सिर झुकाते हैं: नेहरू

भगत सिंह को फांसी के बाद 29 मार्च को कांग्रेस का कराची में अधिवेशन हुआ. यहां गांधी जी का प्रस्ताव रखते हुए नेहरू ने कहा कि क्या वजह है कि आज भगत सिंह का नाम सबकी जुबान पर है. वो सबका प्यारा हो गया है. वो एक नौजवान लड़का था, जिसके लिए मुल्क के अंदर आग भरी थी. वो शोला था. चंद महीनों के अंदर वह आग एक चिंगारी बन गई. मुल्क में अंधेरा था, अंधेरी रात में एक रोशनी दिखाई देने लगी. हम कहते हैं कि हम शांति से काम करेंगे. शांति को छोड़कर हमने दूसरे तरीकों की बुराई की है. आज भी वही करेंगे. हमारे तरीके भगत सिंह से अलग हैं, लेकिन हम उसकी बहादुरी के आगे सिर झुकाते हैं.

नेहरू कहते हैं कि हम जानते हैं कि भगत सिंह के मुकदमे में कानूनी ज्यादती हुई है. उनका मामूली अदालत से ही मुकदमा करना चाहिए था. भगत सिंह एक खास राह पर चलने वाला था. वह मैदान में साफ लड़ने वाला था. आज घर-घर में उसकी तस्वीर लगी है. लोग उसकी पोशाक पहनते हैं. बटनों में उसकी तस्वीर लगी है. हमारा प्रस्ताव कहता है कि हम उसकी बहादुरी की तारीफ करें. लेकिन कांग्रेस उस रास्ते को ठीक नहीं समझती.

वो आगे कहते हैं कि जहां तक यह सवाल है कि भगत सिंह के लिए कांग्रेस ने क्या किया और हम भगत सिंह की कितनी इज्जत करते हैं तो आपको मालूम ही होगा कि इसकी अजहद (जिसकी सीमा न हो) कोशिश की गई कि यह लोग सजा से माफ कर दिए जाएं, चाहे आजीवन कारावास हो जाए. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. मेरे दिल में भगत सिंह के लिए जो इज्जत है वह आपसे किसी से कम नहीं है. भगत सिंह का रास्ता अलग था. गांधी जी ने हमें अलग राह दिखाई, उससे हमें फायदा हुआ या नहीं यह आप खुद समझ सकते हैं.

गांधी के रास्ते से ही मुल्क को आजादी मिलेगी: नेहरू

नेहरू ने कहा कि पिछले एक साल की लड़ाई ने हमें बतला दिया है कि हम गांधी जी की राह पर चलने से कितने आगे बढ़े. 12 महीनों में हमने मुल्क की कितनी तरक्की की. एक कोने से दूसरे कोने तक लड़ाई छिड़ी और सब इसमें मशगूल थे. औरतें और बच्चे खुशी से जेलों के अंदर दाखिल हुए. यह गांधी जी की दिखाई राह की वजह से हुआ. मैं साफ-साफ कहता है कि गांधी जी की दिखाई राह से ही हमें आजादी मिलेगी. अगर शांति के रास्ते को छोड़ा तो हम बरसों भी आजाद नहीं हो सकते. हिंसा का रास्ता मुल्क के लिए खतरनाक है.

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