बिहार में प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू! सीट बंटवारे और गठबंधन में हिस्सेदारी को लेकर जीतन राम मांझी ने जताई नाराजगी

एनडीए में बने रहने की बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने साफ-साफ शब्दों में कहा, "हम हर हाल में एनडीए के साथ हैं और मदद करेंगे. लेकिन हमें हमारी 'औकात' के अनुसार विधानसभा में सीटें मिलनी चाहिए, संसद में हमें मैनेज किया गया था."
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी लगातार तेज होती जा रही है. साथ ही गठबंधन में शामिल भी राजनीतिक दलों ने आपसी बातचीत भी शुरू कर दी है. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इस बीच रविवार को बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए ने उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) को उचित सम्मान नहीं दिया गया था.
राज्य में सीट बंटवारे और गठबंधन में हिस्सेदारी को लेकर जीतन राम मांझी की नाराजगी खुलकर सामने आ गई है. HAM पार्टी की बैठक में मांझी ने सीट बंटवारे और 20 सूत्री कमेटी को लेकर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, “हम 20 विधायक चाहते हैं, और इसके लिए 35 से 40 सीटें चाहिए. इस बारे में अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष लेंगे, लेकिन उन पर दबाव बनाया जाना चाहिए.”
BJP-JDU दोनों ने दिया आश्वासनः मांझी
HAM की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मांझी ने दावा किया कि उन्होंने इस मामले को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और जनता दल यूनाइटेड के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा सहित अन्य के समक्ष उठाया है. उन्होंने कहा, “मेरी पार्टी के कार्यकर्ता बीजेपी और जेडीयू की ओर से दरकिनार किया जाना महसूस कर रहे हैं. नड्डा और झा, दोनों ने आश्वासन दिया है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में हमारी चिंताओं को दूर कर दिया जाएगा.”
मांझी ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी को लोकसभा की 2 सीटें और राज्यसभा की एक सीट देने का वादा किया गया था ‘लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति हमारी निष्ठा ही है कि असल में जो भी पेशकश की गई उससे हम संतुष्ट रहे.’ पिछले साल लोकसभा चुनावों में, HAM को महज एक सीट ‘गया’ मिली था, जिस पर मांझी ने चुनाव लड़ा और 80 साल की उम्र में जीत हासिल की.
हमारी औकात के हिसाब से मिले सीटेंः मांझी
पिछले दिनों में एनडीए गठबंधन की गतिविधियों पर मांझी ने कहा. “हाल ही में बनी 20 सूत्री कमेटियों में हमारी पार्टी के नेताओं को जगह नहीं दी गई. प्रखंड स्तर पर भी बीजेपी और जेडीयू ने आपस में सीटें बांट ली. इस पर हमने बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी बात की है.”
हालांकि एनडीए में बने रहने की बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने साफ-साफ शब्दों में कहा, “हम हर हाल में एनडीए के साथ हैं और मदद करेंगे. लेकिन हमें हमारी ‘औकात’ के अनुसार विधानसभा में सीटें मिलनी चाहिए, संसद में हमें मैनेज किया गया था.”
मेरा नाम बेचकर जुटाई जा रही भीड़ः मांझी
पूर्णिया में प्रशांत किशोर की रैली को लेकर मांझी ने बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा, “अब बिहार में किसी पार्टी को भीड़ लाने के लिए मेरा नाम बेचना पड़ता है. लोगों को झूठ बोलकर लाया जाता है, यह हमारी ताकत का सबूत है.” उन्होंने यह भी कहा कि पूर्णिया की महिलाओं को झूठ बोलकर रैली में लाया गया था, जो उनकी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है.
अब मांझी के इन बयानों ने बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है. एक ओर वे खुद को जनता के बीच लोकप्रिय बता रहे हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन से अपनी उपेक्षा पर नाराजती भी जता रहे हैं. अब देखना है कि एनडीए इस पर क्या रुख अपनाता है.