Kalyan Lok Sabha Seat: कल्याण रहा है शिवसेना का गढ़, पार्टी में टूट के बाद आमने सामने होंगे उद्धव और शिंदे के उम्मीदवार

Kalyan Lok Sabha Seat: कल्याण रहा है शिवसेना का गढ़, पार्टी में टूट के बाद आमने सामने होंगे उद्धव और शिंदे के उम्मीदवार

2009 में पहली बार यहां लोकसभा चुनाव हुआ और शिव सेना ने जीत दर्ज की. इसके बाद हुए दो और चुनाव में शिवसेना ने ही जीत दर्ज की. 2019 में शिवसेना एनडीए का हिस्सा थी. तब शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. अब शिवसेना कांग्रेस के साथ है.

कल्याण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र देश के 543 ओर महाराष्ट्र के 48 लोकसभा सीट में से एक है. कल्याण को शिवसेना का गढ़ कहा जाता है. 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आया. 2009 में पहली बार यहां लोकसभा का चुनाव हुआ और शिव सेना ने जीत दर्ज की. इसके बाद हुए दो और चुनाव में भी शिवसेना ने ही जीत दर्ज की. 2019 में शिवसेना एनडीए का हिस्सा थी. तब शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. अब शिवसेना कांग्रेस के साथ है. साथ ही शिवसेना उद्धव और शिंदे दो गुट में बंट गई हैं. इस बार उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट के उम्मीदवार में यहां टक्कर होने की संभावना है.

2019 में यहां तात्कालीन शिव सेना के डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने जीत हासिल की थी. श्रीकांत शिंदे ने एनसीपी के बाबाजी बलराम पाटिल को हराया था. डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे को 62.87 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि एनसीपी के बाबाजी बलराम पाटिल को 24.19 प्रतिशत वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहे वंचित बहुजन आघाड़ी के संजय हेडाउ को 7.37 प्रतिशत वोट मिले थे.चौथे स्थान पर बीएसपी के रवीन्द्र (पिंटू) केने को 1.08 प्रतिशत वोट मिले थे.

2019 में शिवसेना की 344343 वोटों से जीत

2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के डॉ.श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने एनसीपी के बाबाजी बलराम पाटिल को 215380 वोटों से हराया था.श्रीकांत एकनाथ शिंदे को 559,723 वोट जबकि एनसीपी उम्मीदवार को 2,15,380 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर रहे वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार संजय हेडाउ को 65572 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर बीएसपी के रवीन्द्र (पिंटू) केने को 9,627 वोट मिले थे. रवीन्द्र पिंटू को नोटा के 13,012 वोट से भी कम वोट मिले थे.

इससे पहले 2014 में भी श्रीकांत शिंदे ने जीत दर्ज की थी कब श्रीकांत शिंदे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के आनंद परांजपे को 2,50,749 वोटों से हराया था.श्रीकांत शिंदे को जहां 4,40,892 वोट मिले थे तो वहीं एनसीपी के परांजपे को 1,90,143 वोट मिले.तीसरे स्थान पर मनसे के प्रमोद पाटिल थे उन्हें 1,22,349 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर आम आदमी के नरेश ठाकुर को 20,347 और पांचवे स्थान पर दयानंद किरातकर को 19,643 वोट मिले थे.

पहले चुनाव में शिवसेना की जीत

2009 में यहां परिसीमन के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था तब शिवसेना ने जीत दर्ज की थी.2009 में शिवसेना के आनंद परांजपे ने जीत दर्ज की थी.परांजपे ने एनसीपी के वसंत डावखरे को हराया था. आनंद परांजपे को जहां 212,476 वोट मिले थे वहीं एनसीपी के वसंत डावखरे को 188,267 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर तब मनसे के वैशाली दरेकर-राणे रहे थे. राणे को 102,063 वोट मिले. चौथे स्थान पर खान कमरुद्दीन ए.गनी रहे उन्हें 15,709 वोट मिले थे.

कल्याण-ठाणे लोकसभा का चुनावी इतिहास

कल्याण लोकसभा क्षेत्र कभी कल्याण-ठाणे लोकसभा क्षेत्र था. तब यह सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र हुआ करता था. 2009 में कल्याण लोकसभा क्षेत्र अगल हो गया.कल्याण-ठाणे लोकसभा सीट पर सबसे पहले 1977 में जनता पार्टी से रामभाऊ म्हालगी चुने गए थे,1980 में वह फिर से जीते. 1982 में भारतीय जनता पार्टी के जगन्नाथ पाटील. 1984 में कांग्रेस के शांताराम घोलप, 1989 और 1991 में बीजेपी के रामभाऊ कापसे जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद, शिव सेना के प्रकाश परांजपे 1996, 1998, 1999 और 2004 में चार बार सांसद चुने गए.

कल्याण लोकसभा का वोट गणित

कल्याण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र- डोंबिवली, उल्हासनगर, अंबरनाथ (एससी), मुंब्रा कलवा. कल्याण पूर्व और कल्याण ग्रामीण शामिल हैं, इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 19,65,676 है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या-5,07,052 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या-3,80,831 है. थर्ड जेंडर निर्वाचक की संख्या-72 है.2019 में यहां कुल मतदान प्रतिशत 45.29% था. कल्याण में एनडीए या महाविकास अघाड़ी ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. इस लोकसभा क्षेत्र में शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई हो सकती है.एक तरफ शिंदे गुट से श्रीकांत उम्मीदवार हो सकते हैं तो दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे गुट भी अपना उम्मीदवार उतार सकता है

कल्याण लोकसभा कल्याण-डोंबिवली क्षेत्र का हिस्सा है. मुन्नार अभिलेख में कल्याण विदेशी व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था. इस क्षेत्र से कांसा, लकड़ी और कपड़े का व्यापार होता था. 14 वीं शताब्दी में इसका नाम इस्लामाबाद भी रखा गया था. बात दर्शनीय स्थान की करें तो यहां का दुर्गाडी किला पर्यटकों के लिए आकर्षण है.