MP में हार के बाद दिल्ली पहुंचे कमलनाथ, कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष पद से मांगा इस्तीफा!

MP में हार के बाद दिल्ली पहुंचे कमलनाथ, कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष पद से मांगा इस्तीफा!

इस चुनाव में भाजपा ने 163 सीटों के साथ शानदार जनादेश हासिल किया, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. 2018 के चुनावों में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार के 15 महीने के कार्यकाल को छोड़कर, मध्य प्रदेश पिछले 20 वर्षों से भाजपा का गढ़ रहा है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के मद्देनजर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात करने वाले पूर्व सीएम को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. बता दें कि कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख कमलनाथ ने दिल्ली पहुंचकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की थी.

सूत्रों ने बताया कि बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे. बता दें कि मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को एक ही चरण में 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ था. वहीं तीन अन्य राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के साथ इसके नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए.

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हम विपक्ष की भूमिका निभाएंगे: कमलनाथ

रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस के राज्य प्रमुख ने कहा था कि हम इस लोकतांत्रिक प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश के मतदाताओं के जनादेश को स्वीकार करते हैं. हम विपक्ष की भूमिका निभाएंगे.

भाजपा को प्रचंड जीत के लिए बधाई

कांग्रेस के दिग्गज नेता ने भाजपा को उनकी प्रचंड जीत के लिए बधाई भी दी, जबकि उन सर्वेक्षणकर्ताओं ने कड़े मुकाबले और सबसे पुरानी पार्टी की जीत की भविष्यवाणी की थी. कमलनाथ ने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी को बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि वे उन लोगों की जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे जिन्होंने उन्हें यह जनादेश दिया है.

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इस चुनाव के नतीजे

इस चुनाव में भाजपा ने 163 सीटों के साथ शानदार जनादेश हासिल किया, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. 2018 के चुनावों में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार के 15 महीने के कार्यकाल को छोड़कर, मध्य प्रदेश पिछले 20 वर्षों से भाजपा का गढ़ रहा है.

अल्पमत में आने के बाद गिर गई थी सरकार

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि बीजेपी 109 सीटों के साथ काफी पीछे थी. आख़िरकार कांग्रेस सत्ता में आई और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, इससे पहले 2020 में राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मची थी, जब तत्कालीन कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया, 22 वफादार विधायकों के साथ, भगवा खेमे में चले गए थे. इसके बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आने के बाद गिर गई और भाजपा ने राज्य में सरकार बनाई, और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में लौट आए.