खौफनाक मंजर…अस्पताल बनाने तक की जगह नहीं, तुर्की से लौटीं मेजर बीना तिवारी ने क्या-क्या बताया?
तुर्की में भारतीय सेना ने घायलों के लिए अस्पताल बनाया था. इस अस्पताल के शुरू होने के 24 घंटे के भीतर ही मेजर बीना तिवारी स्थानीय बच्चों और बुजुर्गों के बीच काफी लोकप्रिय हो गईं थीं.
भूकंप प्रभावित तुर्की में ‘ऑपरेशन दोस्त‘ के तहत बचाव और राहत कार्यो में शामिल हुई भारतीय सेना की मेडिकल टीम 12 दिनों के ऑपरेशन के बाद भारत लौट आई है. इस टीम ने तुर्की में करीब चार हजार लोगों का इलाज किया. ये टीम जब सोमवार को गाजियाबाद के हिंडन हवाई अड्डे पहुंची तो पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. मेजर बीना तिवारी भी इसी टीम का हिस्सा थीं, जिनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें तुर्की की एक महिला उनको गले लगा रही हैं.
तुर्की में मेजर तिवारी ने 60 पैराशूट फील्ड अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में लोगों का इलाज किया था. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मेजर बीना ने तुर्की में अपना अनुभव शेयर किया. मेजर बीना बताती हैं, ”जब हम तुर्की पहुंचे तो हमने देखा कि वहां जान और संसाधनों का जबरदस्त नुकसान हुआ है. मंजर खौफनाक था. सड़के मलबे से पटी हुईं थी. लोग अपनो को तलाश रहे थे और इलाज के लिए भटक रहे थे.”
अस्पताल बनाने की थी सबसे बड़ी चुनौती- मेजर बीना
मेजर तिवारी ने बताया, ”तमाम अव्यवस्थाओं के बीच हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती अस्पताल स्थापित करने की थी. हालात इतने भयावह थे कि अस्पताल के लिए जगह तलाशना भी मुश्किल था.” उन्होंने कहा, ” तुर्की पहुंचने के कुछ ही घंटों के भीतर भारतीय सेना ने इस्केंडरन के एक स्थानीय अस्पताल के पास एक इमारत में अपना अस्पताल स्थापित कर लिया.”
चौबीसों घंटे लगभग 4000 लोगों की देखभाल की गई- मेजर बीना
मेजर बीना ने आगे बताया, ”99-सदस्यीयों की टीम ने पूरी तरह से 30-बेड वाले फील्ड अस्पताल को सफलतापूर्वक चलाया, जिसमें चौबीसों घंटे लगभग 4000 लोगों की देखभाल की गई.” मेजर ने कहा कि स्थानीय लोगों और तुर्की सरकार ने भी उनकी काफी मदद की. जैसे ही हमने अस्पताल स्थापित किया मरीज आने लगे और उसके बाद अस्पताल आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती रही.