‘काम नहीं तो वेतन नहीं’… कानपुर DM पहुंचे सरकारी अस्पताल, नहीं मिला एक भी मेडिकल स्टाफ
कानपुर में हाल ही में जॉइन किए जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने स्वास्थ्य केंद्रों पर औचक निरीक्षण किया जिसमें मेडिकल स्टाफ के साइन तो थे लेकिन सभी गायब दिखाई दिए. जिसके बाद उनके वेतन रोकने के आदेश जारी किए गए हैं.
डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है लेकिन कई बार यह भगवान भी मरीजों की सेवा करने की जगह ‘गायब’ हो जाते हैं. ऐसे ही दो मामले कानपुर में देखने को मिले हैं. जहां डॉक्टर और नर्स आते तो हैं लेकिन हस्ताक्षर करके गायब हो जाते हैं. नव नियुक्त डीएम के छापे में जब मामला सामने आया तो डीएम ने सभी के वेतन रोकने के आदेश दे दिए. औचक निरीक्षण के दौरान यह हालात सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि हर उस जगह पर देखने को मिले जहां जहां डीएम ने जांच की. सभी दोषियों के खिलाफ डीएम ने वेतन रोकने और विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए हैं.
कानपुर डीएम के तौर पर जितेंद्र प्रताप सिंह ने दो दिन पहले ही ज्वॉइन किया है. सोमवार को जिलाधिकारी सामुदायिक स्वास्थ केंद्र, शिवराजपुर का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए. वहां पर निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि ओपीडी में चार डॉक्टर के सापेक्ष मात्र एक डॉक्टर ही उपस्थित है.
साइन मिले पर स्टाफ नहीं
तीन डॉक्टर और कई स्टाफ नर्स अनुपस्थित थे. सबसे बड़ी बात यह थी कि इन सभी के द्वारा रजिस्टर पर हस्ताक्षर तो किए गए लेकिन मौके पर सभी अनुपस्थित मिले. इस बार से जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने नाराजगी जताई है. लापरवाही के मामले में अब गायब रहे मेडिकल स्टाफ पर विभागीय जांच और कार्रवाई भी की जाएगी. वहीं वेतन भी रोके जाएंगे.
विभागीय जांच के आदेश दिए
एक दिन पहले जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और नवाबगंज का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान भी उन्होंने डॉ. मधु चौधरी समेत आठ अन्य कर्मचारियों को केंद्र से अनुपस्थित पाया था. जिसके बाद जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उक्त सभी का वेतन रोकते हुए आवश्यक विभागीय कार्रवाई करने के त्वरित निर्देश दिए थे. डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि शासन द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ की तर्ज पर सभी दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. नए डीएम की ताबड़तोड़ इस कार्यवाही से शहर में हड़कंप मचा हुआ है.