‘हिंदी में लिखकर लाओ’… अंग्रेजी में लिखकर दी तहरीर तो दरोगा ने दी हिदायत

‘हिंदी में लिखकर लाओ’… अंग्रेजी में लिखकर दी तहरीर तो दरोगा ने दी हिदायत

दरोगा साहब को अंग्रेजी में तहरीर नहीं समझ आ रही थी तो तहरीर को हिंदी में लिखने पर जोर दिया. आरोप है कि बाद में पीड़ित जब हिंदी में तहरीर लिखकर आया तो उसे थाने के चक्कर कटवाते रहे.

उत्तराखंड पुलिस का अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. उत्तराखंड में दरोगा साहब ने इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं की क्योंकि पीड़ित ने उन्हें तहरीर अंग्रेजी में लिखकर दी थी. दरोगा साहब ने पीड़ित से कहा, तहरीर हिंदी भाषा में लिखकर लाओ तभी काम आगे बढ़ेगा.

पीड़ित अगले दिन दरोगा साहब के पास फिर से तहरीर लेकर पहुंच गया तो उन्होंने फिर से टाल दिया और वजह बताई कि उपराष्ट्रपति के किसी कार्यक्रम में जाना है, इसलिए वह अभी तहरीर नहीं दर्ज कर सकता. कुल मिलाकर पीड़ित का मुकदमा 24 घंटे तक थाने में दर्ज नहीं किया गया. अब गलती अंग्रेजी में लिखी रिपोर्ट की थी, या दरोगा साहब की लापरवाही कारण है, यह तो जांच का विषय है.

क्या है पूरा मामला ?

काठगोदाम रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले गोपाल दीक्षित एक दिन अपने घर के पास टहल रहे थे. गोपाल आयकर विभाग में टैक्स असिस्टेंट हैं. अचानक से दो युवक बाइक पर सवार होकर आए और उन्होंने गोपाल के पैर पर जबरदस्त टक्कर मार दी. जब गोपाल को टक्कर लगी तब उन्होंने बाइक सवार बदमाशों को रोककर शोर मचाने लगे. आरोपी बदमाश गोपाल से बहस करने लगे. बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि बदमाश लाठी-डंडे लेकर आए और गोपाल के साथ जमकर मारपीट की.

काठगोदाम की पुलिस से परेशान होकर गोपाल का आरोप है कि पुलिस उनकी मुश्किल को आसान करने की बजाय और बढ़ा रही है. वह आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कर रही है बल्कि उन्हें थाने के चक्कर लगवा रही है.

गोपाल का आरोप है कि वह गुंडों से पिटकर बार-बार थाने में अपनी गुहार लेकर जा रहे हैं, लेकिन दरोगा साहब की लापरवाही के कारण गोपाल की थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाई है. वहीं, आरोप है कि बदमाश मारपीट करके खुलेआम बेखैफ होकर घूम रहे हैं और उनपर कार्रवाई नहीं की जा रही है.