146 किलो वजन-बेड से हिलने में बेबस, बेरहम मां-बाप ने तिल-तिल मरने को छोड़ा, कोर्ट ने सुनाई सजा
जब पुलिस ने घर के अंदर अकेली छोड़ी गई बेटी को देखा तो होश उड़ गए... लड़की की लाश पूरी तरह से सड़ चुकी थी. यहां पढ़िए पूरी खबर...
लंदन. दुनिया भर में चर्चित इंग्लैंड की 16 साल की लड़की कायलिया टिटफोर्ड हत्याकांड में, कोर्ट ने उसके आलसी मां-बाप को ही मुजरिम करार दिया है. कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि मां-बाप ने अपने आलसी होने के चलते युवा बीमार और जरूरत से ज्यादा वजन होने के चलते, उसे तिल-तिल कर मर जाने के लिए घर के अंदर ही अकेला छोड़ दिया था. घर के भीतर जहां लड़की की लाश मरी, वो जगह जानवरों के तबेले से भी ज्यादा गंदगी भरी थी. जहां किसी इंसान का खड़े हो पाना भी दूभर था. कोर्ट ने क्रूर पिता को 7 साल 6 महीने और मां को 6 साल जेल की सजा सुनाई है.
कायलिया के पिता का नाम अलुन टिटफोर्ड (Alun Titford 45) और उसकी पत्नी का नाम साराह लिलोयड जोनस (Sarah Lloyd-Jones 40) है. कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी मां ने खुद को बेटी की अकाल मौत के लिए जिम्मेदार मान लिया था. जबकि उसके पिता ने खुद को जिम्मेदार मानने से इनकार कर दिया था. ब्रिटेन की कोर्ट में कई महीने तक चले मुकदमे की सुनवाई के मुताबिक, यह घटना कोरोना काल में (अक्टूबर 2020) घटी थी. बेटी का कसूर सिर्फ इतना था कि वो ज्यादा वजन के कारण बिस्तर से उठकर अपने डेली के काम-काज नहीं कर पाती थी.
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पुलिस ने जब घर में घुसकर देखा तो सभी स्तब्ध रह गए, अंदर का माहौल बहुत भयावह था. लड़की की लाश पर कीड़े चल रहे थे और मख्खियां भिनभिना रही थीं. 16 साल की कायली उर्फ कायला टिटफोर्ट का वजन मौत के वक्त 146 किलोग्राम था. घटना को लेकर जब आरोपी पिता से पूछा गया तो उसने जांच एजेंसी और कोर्ट को बताया कि, “मैं एक आलसी इंसान हूं..और अपनी वजनदार बेटी कायला की मदद कर पाने में पूरी तरह खुद को असमर्थ मान बैठा था. फिर भी मैंने बेटी को नहीं मारा है. वो तो खुद ही बिस्तर पर पड़े-पड़े मर गई. मैं कत्ल का दोषी नहीं हूं. हालांकि कोर्ट ने आरोपी पिता की हर दलील को नजरअंदाज किया और जेल की सजा सुना दी. इस जघन्य कांड की जांच लंदन पुलिस द्वारा की गई थी.
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि, लड़की स्पाइना बिफिडा नाम की गंभीर बीमारी से ग्रसित थी. इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी के स्तंभ के बंद होने के चलते समस्या पैदा होती है. यह बीमारी बच्चे में मां के गर्भाधान अवधि में पैदा होती है. जिसके चलते शिशु में सामान्य से अलग कई तरह की विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं, इसी गंभीर बीमारी के चलते पीड़िता व्हीलचेयर का इस्तेमाल भी कभी कभार घर से बाहर आने-जाने के लिए किया करती थी. ब्रिटेन (लंदन) की इमरेजेंसी सेवा के अधिकारी-कर्मचारी 10 अक्टूबर 2020 को जब घटनास्थल पर पहुंचे तब, इस कांड का खुलासा हुआ.
मुकदमे की सुनवाई कर रही कोर्ट को बताया गया कि, कायलिया ने मौत से कुछ महीने पहले न्यूटाउन हाई स्कूल में आयोजित एक समारोह में भाग लिया था. जहां उसने कर्मचारियों और बाकी लोगों को उस दिन खूब हंसाया था. उसके बाद मार्च 2020 में दुनिया को कोरोना ने घेर लिया, जिसके चलते फिर किसी ने दुनिया में कायली को जिंदा नहीं देखा. बाद में उसकी दर्दनाक मौत की ही खबर ही आई. टिटफोर्ड दंपत्ति के परिवार में बदनसीब रही कायला को मिलाकर छह बच्चे थे. अभियोजन पक्ष की कैरोलिन रीस केसी ने टिटफोर्ड से पूछा: वह बिस्तर से दूर आखिर क्यों नहीं जा पाती थी? आरोपी पिता अलुन टिटफोर्ड ने कहा कि, यह बात गलत है कि, उसकी बेटी बिस्तर से नहीं उठ पाती थी.
बेटी कायला को उसने व्हीलचेयर पर एक दिन रसोई में देखा था. उसके बाद उसे उसने कभी बिस्तर से दूर नहीं देखा. अदालत को यह भी बताया गया कि मौत से कुछ दिन पहले तक, कायलिया की फिजियोथेरेपी और डायटेटिक्स सर्विसेज भी परिवार वालों ने बंद कर दी थीं. उसे अंतिम बार साल 2017 में घर के भीतर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने देखा था. न्यायाधीश जस्टिस ग्रिफिथ्स ने कहा कि, इसमें कोई संदेह बाकी बचा नहीं हो सकता है कि, यह मामला हिरासत की दहलीज से गुजरता है. घटना की जांच टीम के प्रमुख रहे इंस्पेक्टर जोनाथन रीस ने कहा, कायलीया की मौत की परिस्थितियां दुखद थीं. माता-पिता की घोर अनदेखी के चलते ही लड़की की दर्दनाक मौत हुई है. इस मुकदमे में सजा 1 मार्च 2023 यानी बुधवार को क्राउन कोर्ट में सजा सुनाई गई.
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