Yashoda Jayanti 2023: कब है यशोदा जयंती और किस पूजा से पूरी होगी संतान सुख की कामना

Yashoda Jayanti 2023: कब है यशोदा जयंती और किस पूजा से पूरी होगी संतान सुख की कामना

सनातन परंपरा में यशोदा जयंती का क्या महत्व है और इस दिन की जाने वाली पूजा का क्या फल मिलता है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Yashoda Jayanti 2023: हिंदू धर्म में फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि इसी दिन पूर्णावतार माने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण की यशोदा माता की जयंती से जुड़ा पावन पर्व मनाया जाता है. भले ही यशोदा भगवान श्रीकृष्ण की सगी मां न रही हों लेकिन जिस तरह से उन्होंने कान्हा का लालन-पालन किया वह सगी मां के मुकाबले भी कहीं ज्यादा था. यही कारण है कि मां यशोदा की जयंती अत्यंधिक पवित्र और पूजनीय मानते हुए इस दिन उनकी पूजा का विधान है. आइए यशोदा जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और उपाय को विस्तार से जानते हैं.

यशोदा जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल यशोदा जयंती का पावन पर्व 12 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि 11 फरवरी 2023 को प्रात:काल 09:08 बजे से प्रारंभ होकर 12 फरवरी 2023 को प्रात:काल 09:45 बजे तक रहेगी.

कैसे मिला कान्हा की मां बनने का आशीर्वाद

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को पुत्र के रूप में पाने के लिए माता यशोदा ने भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की थी. मान्यता है कि माता यशोदा की तपस्या से जब भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा तो उन्होंने अपने घर में संतान के रूप में आने को कहा. इसके बाद में भगवान विष्णु ने देवकी और वासुदेव की संतान के रूप में कृष्णावतार लिया, जिन्हें स्वयं वासुदेव ने देवकी के पास पहुंचाया.

यशोदा जयंती की पूजा का उपाय

हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई नि:संतान व्यक्ति यशोदा जयंती के पावन पर्व पर व्रत रखते हुुए माता यशोदा की पूजा करता है और उपाय के रूप में 14 छोटे बच्चों को भोजन कराता है, उसे शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होता है.

यशोदा जयंती पर कैसे करें पूजा

यशोदा जयंती व्रत का पुण्यफल पाने के लिए इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करके तन और मन से पवित्र हो जाना चाहिए. इसके बाद मां यशोदा की उस प्रतिमा या मूर्ति को उत्तर दिशा में रखकर पूजा करना चाहिए. माता यशोदा की पूजा पुष्प, फल, धूप, दीप, भोग आदि लगाने के बाद भगवान श्री कृष्ण की भी पूरी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. यशोदा जयंती के पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत ओर पान-सुपराी अवश्य चढ़ाना चाहिए.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)