कब रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

कब रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का क्या महत्व है और यह इस साल कब और किस विधि से रखा जाएगा, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2022: हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश एक ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा किसी देवी-देवता की साधना और शुभ कार्य करने से पहले की परंपरा चली आ रही है. गणपति की पूजा सभी दु:खों को दूर करके बड़े संकटों से बचाने वाली मानी गई है. ऐसे देवाधिदेव गणपति पूजा से जुड़ा पावन पर्व द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 09 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. गणपति की पूजा से जुड़ी द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि का क्या महत्व है और इस दिन किस मुहूर्त में पूजा करने से पूरी होगी आपकी मनोकामना, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल सभी संकटों को हरने वाला द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत इस साल 09 फरवरी 2023, बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि 09 फरवरी 2023 को प्रात:काल 06:23 बजे से प्रारंभ होकर 10 फरवरी 2023 को प्रात:काल 07:58 बजे तक रहेगी. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात्रि 09:18 बजे होगा.

कैसे करें द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का पुण्यफल पाने के लिए साधक को इस पर्व पर प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर तन और मन से पवित्र हो जाना चाहिए. इसके बाद गणपति के लिए इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद उत्तर दिशा में किसी चौकी पर लाल कपड़ा या आसन बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो को रखकर गंगाजल से स्नान कराएं और उसके बाद दूर्वा, फूल, रोली, चंदन, हल्दी, अक्षत, पान, सुपाड़ी, धूप आदि अर्पित करने के बाद अंत में भोग में मोदक प्रसाद चढ़ाएं. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा में गणपति अथर्वशीर्ष अथवा गणेश चालीसा का पाठ विशेष रूप से करें.

गणेश पूजा में इन बातों का रखें ख्याल

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत पर गणपति की पूजा करते समय भगवान की मूर्ति को उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखें और खंडित प्रतिमा या टूटी-गली हुई फोटो की पूजा न करें. अपने मंदिर में गणपति की दो प्रतिमा की एक साथ पूजा न करें और नही वहां पर रखें. गणपति बप्पा को प्रसन्न करने के लिए पूजा मेंलाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें.द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत वाले दिन ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करें और किसी को वाणी या व्यवहार से परेशान न करें. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर गणपति की सवारी यानि चूहों को भूलकर न सताएं.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)