राखी कब बांधें दिन या रात में, रक्षा बंधन आज या कल, दूर करें अपना कंफ्यूजन

राखी कब बांधें दिन या रात में, रक्षा बंधन आज या कल, दूर करें अपना कंफ्यूजन

जिस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर्व का इंतजार पूरे साल बहनों को बना रहता है, इस बार भद्रा के चलते उसके दिन और शुभ समय को लेकर भ्रम बना हुआ है। अपने इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

देशभर में आज रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. हालांकि इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है कि राखी कब बांधें आज या कल. जिस श्रावण मास की शुरुआत होते ही हिंदू धर्म से जुड़े तीज त्योहारों की झड़ी लग गई थी, उसकी पूर्णिमा तिथि पर मनाए जाने वाले रक्षाबंधन महापर्व पर इस बार उस भद्रा का साया है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. नतीजतन लोगों के मन में रक्षाबंधन के दिन और शुभ समय को लेकर मन में संशय बना हुआ है. बहनों के मन में सवाल है कि आखिर वे अपने भाई को राखी कब और किस समय बांधे. यदि आपके मन में भी रक्षाबंधन को लेकर यही प्रश्न है तो आइए देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों से जुड़े विद्वानों की राय के माध्यम से उसका सही जवाब जानते हैं.

क्या कहते हैं काशी के पंडित

काशी विद्वत परिषद के अनुसार 11 अगस्त को प्रातः 10:38 बजे से लेकर 08:26 मिनट तक भ्रदा रहेगी. काशी विश्वनाथ मंदिर के विशिष्ट सदस्य और जाने-माने ज्योतिषविद् पं. दीपक मालवीय के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहनों को अपने भाई की कलाई में रात्रि 08:26 से 12:00 के बीच में राखी बांध देना चाहिए. ध्यान रहे कि रात्रि 12:00 बजे के बाद बहनें राखी न बांधें. पंडित दीपक मालवीय के अनुसार धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु आदि धर्मग्रंथों में दिए गए निर्देशों के आधार पर यह बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि इस साल 12 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा सकता है.

उत्तराखंड के ज्योतिषियों की राय

उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष पं. रमेश सेमवाल के अनुसार इस साल रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त 2022 को ही मनाया जाएगा क्योंकि अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष बना हुआ है. पं. रमेश सेमवाल के अनुसार 11 अगस्त 2022 को सूर्योदय के साथ चतुर्दशी तिथि रहेगी और हरिद्वार के समय के अनुसार पूर्णिमा तिथि प्रात:काल 10:58 से आरंभ होगी. जिसके साथ साथ भद्रा भी लग जाएगी जो कि इस दिन रात को 08:50 बजे तक रहेगी. पं. रमेश सेमवाल के अनुसार शास्त्रों में भद्राकाल में श्रावणी पर्व को मनाने की सख्त मनाही है, ऐसे में बहनों को अपने भाई के हाथ में रात्रि 08:50 के बाद ही राखी बांधना मंगलकारी रहेगा.

भद्रा में भूलकर नहीं करने चाहिए ये काम

भद्रा के दौरान विवाह, मुंडन, घर बनवाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, रक्षाबंधन, होलिकादहन आदि कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं. मान्यता है कि यदि भद्रा के समय श्रावणी या फिर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है तो राजा की मृत्यु होती है और यदि भद्रा के समय होलिका दहन होता है तो खलिहान में रखी फसल को आग लगने का भय बना रहता है. भद्रा के बारे में कहा जाता है कि इसका बुरा असर वहीं पड़ता है, जहां पर इसका वास होता है.

धर्म-अध्यात्म से जुड़ी अन्य खबरोंके लिए यहां देखें

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)