कब है विश्वकर्मा जयंती, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
सृष्टि के पहले शिल्पकार माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती इस साल कब मनाई जाएगी और क्या है उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
सनातन परंपरा में भगवान भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है. परमपिता भगवान ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र माने जाने वाले विश्वकर्मा को यंत्रों का देवता भी माना जाता है. यही कारण है कि तमाम विधा से जुड़े कारीगर इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान से करते हैं. वास्तु शिल्प के रचनाकार माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जो कि इस बार 17 सितंबर 2022 को पड़ेगी. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान भगवान विश्वकर्मा का जन्म कन्या संक्रांति वाले दिन हुआ था. आइए भगवान विश्वकर्मा की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.
विश्वकर्मा जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर इस साल उनकी पूजा के लिए सबसे उत्तम समय या फिर कहें शुभ मूहर्त कन्या संक्रान्ति के समय प्रात:काल 07:36 से लेकर 09:11 बजे तक रहेगा.
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि
प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठ जाएं और उसके बाद सबसे पहले गंगाजल से मूर्ति या उनके चित्र को स्नान कराएं और उसके बाद अक्षत, रोली, हल्दी, चंदन, फूल, रोली, मौली, फल-फूल, धूप-दीप, मिष्ठान आदि अर्पित् करें. इसके बाद ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ मंत्र का अधिक से अधिक जप करें और सबसे अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को चढ़ाया गया प्रसाद सभी लोगों को बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें.
विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि भगवान भगवान विश्वकर्मा ने देवी-देवताओं के लिए तमाम अस्त्र-शस्त्र समेत स्वर्गलोक, इंद्रलोक, लंका नगरी, द्वारिका नगरी आदि का निर्माण किया था. सृष्टि के पहले शिल्पकार माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर पूजा करने से व्यक्ति के कारखाने से जुड़े यंत्र, मशीनें और वाहन आदि बगैर किसी रुकावट के पूरे साल अच्छी तरह से चलते हैं. जिस व्यक्ति पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा बरसती है, उसका कारोबार दिन दुगुना रात चौगुना बढ़ता है. भगवान विश्वकर्मा की कृपा से साधक के जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है. उसका घर और कारोबार खूब फलता-फूलता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)