जानें क्या मंगल और क्या अमंगल होता है? जब मंगल की अन्य 8 ग्रहों से होती है युति
जिन लोगों की कुंडली में मंगल मजबूत होते हैं. वे कोई भी कठिन निर्णय बड़ी ही आसानी से ले लेते हैं. व्यक्ति की कुंडली में अगर मंगल कमजोर होता है तो अशुभ होता है.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब दो ग्रह एक ही राशि में मौजूद होते हैं यानी गोचर करते हैं तो इसे युति बोला जाता है. ग्रहों के राशि परिवर्तन और युति का हर एक व्यक्ति के जीवन पर अच्छा और बुरा दोनों ही तरह का प्रभाव पड़ता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को एक बहुत ही प्रमुख ग्रह माना जाता है. मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में क्रूर, आक्रामक, पराक्रमी, साहसी और आत्मविश्वास का कारक माना गया है. मंगल ग्रह को पृथ्वी पुत्र और युद्ध का देवता माना गया है.
जिन लोगों की कुंडली में मंगल मजबूत होते हैं वे कोई भी कठिन से कठिन निर्णय बड़ी ही आसानी से ले लेते हैं. यह विपरीत परिस्थितियों से कभी भी नहीं डरते हैं और डटकर मुकाबला करते हैं. लेकिन अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल कमजोर या फिर अशुभ होते हैं तो जातक को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
मंगल का अन्य ग्रहों के साथ युति और प्रभाव
जब कोई दो ग्रह किसी एक ही राशि में आ जाते हैं तो इस युति कहते हैं. ऐसे में जब मंगल ग्रह देवगुरु बृहस्पति, चंद्रमा, शुक्र और बुध ग्रह के साथ किसी एक राशि में युति करते हैं तो इसका परिणाम बहुत ही शुभ होता है. लेकिन वही जब मंगल शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों के साथ युति करते हैं तो अच्छा परिणाम नहीं मिलता है. आइए जानते है सभी 8 ग्रहों की मंगल के साथ युति का असर देखने को मिलता है.
मंगल-सूर्य की युति
मंगल और सूर्य दोनों ही ऊर्जा, शक्ति और पराक्रम के ग्रह माने जाते हैं. इन दोनों ग्रहों की युति से ग्रहण योग का निर्माण होता है. इस युति से पिता-पुत्र के बीच मतभेद बढ़ते हैं. व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी औस आत्मविश्वासी हो जाता है.
मंगल-चंद्रमा की युति
जब किसी राशि में मंगल और चंद्रमा की युति होती है इस ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में इस युति को लक्ष्मी योग कहा जाता है. इस युति से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और मन मजबूत होता है. सुख-सुविधा और आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी होती है.
मंगल- बुध की युति
मंगल और बुध ग्रह की आपस में मित्रता का भाव रहता है. इस युति से व्यक्ति के बोलने की क्षमता अच्छी होती है. इस युति को शुभ माना जाता है. इस युति से व्यक्ति की लेखन क्षमता में निखार आती है.
मंगल-गुरु की युति
जब भी किसी राशि में मंगल और गुरु की युति होती है यह जातकों को शुभ परिणाम ही दिलाते हैं. इससे व्यक्ति की ऊर्जा में वृद्धि होती है. व्यक्ति काम के प्रति ईमानदार और लगनशील होता है.
मंगल- शुक्र की युति
मंगल और शुक्र ग्रह की आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं. यह दोनों ही ग्रह एक दूसरे के विपरीत होते हैं. मंगल जहां ऊर्जा, पराक्रम और जोश का कारक होते हैं वहीं शु्क्र सौंदर्य और रोमांटिक होते हैं. इस युति से जातक के मन में उतार-चढ़ाव बहुत आता है. जिसके कारण कोई काम वह बेहतर ढंग से नहीं कर पाता है. इस युति से रिश्तों में गलतफहमी भी पैदा होती है.
मंगल-शनि की युति
जब किसी राशि में मंगल और शनि की युति होती है तब इनका मिला-जुला परिणाम देखने को मिलता है. इनकी कुंडली में स्थिति अगर शुभ हो तो व्यक्ति इंजीनियर या ठेकेदार बनता है वहीं जब अशुभ भाव में हो कर्ज और शत्रु बढ़ते हैं.
मंगल-राहु की युति
मंगल-राहु की युति बने पर अंगारक योग का निर्माण होता है. मंगल जहां ऊर्जा और क्रोध का कारक है तो वहीं राहु छल यानी धोखे का कारक है. इस युति से जातक ज्यादा झूठ बोलता है और धोखा देने में माहिर होता है. अंगारक योग के निर्माण से व्यक्ति अति आत्मविश्वास का शिकार हो जाता है जिससे वह धन और संपत्ति का नाश कर देता है.
मंगल-केतु की युति
इस युति से जातक का धर्म और आध्यात्म की तरफ झुकाव बढ़ जाता है.