ओंकारेश्वर मंदिर: पृथ्वी का एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां हर रात को सोने के लिए आते हैं महादेव

ओंकारेश्वर मंदिर: पृथ्वी का एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां हर रात को सोने के लिए आते हैं महादेव

ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग : मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ॐ के आकार में बने द्वीप पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर का क्या धार्मिक महत्व है और महाशिवरात्रि पर यहां पर पूजा करने पर क्या फल मिलता है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग : भगवान शिव से जुड़े द्वादश ज्योतिर्लिंगों में मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर का चौथा स्थान आता है. यहां पर भगवान शिव नर्मदा नदी के किनारे ॐ के आकार वाली पहाड़ पर विराजमान हैं. हिंदू धर्म में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिग को लेकर कई मान्यताएं हैं. जिसमें सबसे बड़ी मान्यता ये है कि भगवान भोलेनाथ तीनों लोक का भ्रमण करके प्रतिदिन इसी मंदिर में रात को सोने के लिए आते हैं. महादेव के इस चमत्कारी और रहस्यमयी ज्योतिर्लिंग को लेकर यह भी मानना है कि इस पावन तीर्थ पर जल चढ़ाए बगैर व्यक्ति की सारी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती है. आइए महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महादेव के इस दिव्य ज्योतिर्लिंग की पूजा का धार्मिक महत्व और लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.

33 करोड़ देवताओं संग विराजते हैं भगवान शिव

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लगभग 78 किमी की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है. यहां पर भगवान शिव नदी के दोनो तट पर स्थित हैं. महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं और यहां भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ विराजमान हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में शिवभक्तों की भारी भीड़ दर्शन और पूजन के लिए उमड़ती है. इसी को ध्यान रखते हुए इस साल महाशिवरात्रि के अवसर भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग 24 घंटे दर्शन के लिए खुला रहेगा. ओंकारेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर दर्शन एवं पूजन करने पर व्यक्ति के सारे पाप दूर हो जाते हैं.

महादेव के मंदिर का बड़ा रहस्य

उज्जैन स्थिति महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती की तरह ओंकारेश्वर मंदिर की शयन आरती विश्व प्रसिद्ध है. हालांंकि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भगवान शिव की सुबह मध्य और शाम को तीन प्रहरों की आरती होती है. मान्यता है कि रात्रि के समय भगवान शिव यहां पर प्रतिदिन सोने के लिए लिए आते हैं. मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में महादेव माता पार्वती के साथ चौसर खेलते हैं. यही कारण है कि रात्रि के समय यहां पर चौपड़ बिछाई जाती है और आश्चर्यजनक तरीके से जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है, उसमें सुबह चौसर और उसके पासे कुछ इस तरह से बिखरे मिलते हैंं,जैसे रात्रि के समय उसे किसी ने खेला हो.

मंदिर से जुड़ी धार्मिक कथा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक कथा आती है, जिसके अनुसार राजा मांधाता ने एक बार भगवान शिव की कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन देकर दो वर मांगने को कहा. जिसके बाद मांधाता ने पहले वर में उन्हें इसी स्थान पर विराजमान होने को कहा और उसके बाद कहा कि आपके नाम के साथ मेरा नाम भी जुड़ जाए. मान्यता है कि तभी से भगवान शिव यहां पर विराजमान हैं और लोग इस क्षेत्र को मांधाता के नाम से जानते हैं.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)