झूठ कितनी भी तेजी से आगे बढ़े, मंजिल तक सिर्फ सच ही जाता है, पढ़ें इससे जुड़ी बड़ी सीख
जीवन में जिस एक झूठ को छिपाने के लिए व्यक्ति को 100 झूठ बोलने पड़ते हैं, वह इंसान के लिए कितना घातक साबित हो सकता है, इसे जानने के लिए जरूर पढ़ें सफलता के मंत्र.
जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी किसी न किसी बात के लिए झूठ जरूर बोलता है. कोई थोड़ा झूठ बोलता है तो कोई ज्यादा झूठ बोलता है. कोई अपने फायदे के लिए झूठ बोलता है तो कोई दूसरे के फायदे के लिए झूठ बोलता है. झूठ से हर इंसान का पाला कुल मिलाकर किसी न किसी रूप में पड़ता ही रहता है. भले ही कोई इंसान एक झूठ के सहारे किसी को बेवकूफ बनाकर अपने काम सिद्ध कर ले लेकिन वह भविष्य में हमेशा ऐसा नहीं कर पाता है और एक न एक दिन उसकी पोल जरूर खुलती है और यही झूठ एक दिन उसके गले में हड्डी बनकर फंस जाता है, जिसे न वह निगल पाता है और न ही उगल पाता है.
नीति के जानकारों के अनुसार झूठ बोलने वाले का अपना कोई चरित्र नहीं होता है, वह एक बहुरूपिए के समान होता है. उस पर कभी कोई विश्वास नहीं करता है. जिस झूठ को हमारे यहां शास्त्रों में पाप और सच को पुण्य बताया गया है, उसके असल मायने क्या हैं, उसे बोलने पर इंसान को आखिर किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है, जानने के लिए जरूर पढ़ें सफलता के मंत्र.
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- खुद से झूठ बोलना दूसरे से झूठ बोलने से ज्यादा घातक होता है.
- सच के सामने झूठ का कद हमेशा छोटा ही रहता है, इसके सहारे कभी भी व्यक्ति जीवन में तरक्की नहीं कर सकता है.
- जितनी हानि किसी व्यक्ति की उसका शत्रु करता है, उससे अधिक झूठ मार्ग में लगा उसका चित्त करता है.
- बार-बार किसी से झूठ बोलकर बार-बार उसका दिल दुखाने से बेहतर होता है कि आप एक बार उसे सच बोलकर उसका दिल दुखा लें.
- यदि झूठ का जवाब न दिया जाए तो वह अपने आप ही समाप्त हो जाता है, लेकिन जब हम उसका विरोध करते है तो वह फलता फूलता हैं.
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