Mangala Gauri Vrat: कब रखा जाएगा साल का पहला मंगला गौरी व्रत, पढ़ें महत्व और पूजा विधि
कुंवारी लड़कियां मनचाहे जीवनसाथी को पाने अक्सर भगवान शिव की पूजा करती हैं लेकिन अखंड सौभाग्य को पाने के लिए माता गौरी की पूजा का विधान है. सुहागिनों द्वारा यह व्रत कब और कैसे किया जाता है, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.
सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बहुत ही खास माना जाता है. इस साल सावन 4 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. यह 31 अगस्त तक पूरे 58 दिन चलेगा. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने से उत्तम और कोई समय हो ही नहीं सकता. जो भी मनुष्य शिव को सावन के महीने में सच्चे मन से पूजता है उसकी सभी मनोकामनाएं भोलेनाथ पूरी करते हैं. शिव के साथ ही उनकी अर्धांगिनी माता पार्वती की पूजा भी सावन में बहुत ही शुभफलदायी मानी जाती है. सावन के महीने में पड़ने वाले मंगलवार को माता गौरी को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है. इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है.इस साल कब-कब रखा जाएगा गौरी मंगला व्रत जानें यहां
इस साल सावन 4 जुलाई को शुरू है, इस दिन मंगलवार है. इसीलिए साल का पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को ही रखा जाएगा. इस साल अधिक मास होने की वजह से सावन 1 महीने ज्यादा चलेगा इसीलिए 9 मंगला गौरी व्रत सावन में रखे जाएंगे.
कब-कब रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत
- पहला व्रत-4 जुलाई
- दूसरा व्रत-11 जुलाई
- तीसरा व्रत-18 जुलाई
- चौथा व्रत-25 जुलाई
- पांचवा व्रत-1 अगस्त
- छठवां व्रत-8 व्रत
- सातवां व्रत-15 अगस्त
- आठवां व्रत-22 अगस्त
- नौंवा व्रत-29 अगस्त
गौरी मंगला व्रत की पूजा विधि
सावन में पड़ने वाले मंगलवार को ब्रह्म महूर्त में उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ कपडे़ धारण करें. पहनने के लिए गुलाबी, हरा,पीला या ऑरेंज रंग ही चुनें. इसके बाद पूजा घर की साफ सफाई कर पूर्व-उत्तर दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए और उस पर माता गौरी की तस्वीर को विराजमान करें. माता को पूजा अर्चना के दौरान सोला श्रृंगार जरूर चढ़ाएं. साथ ही पूजा में लौंग, सुपारी, नारियल, इलायची और मेवा-मिठाई से माता की पूजा करें.इस दौरान माता की व्रत कथा जरूर पढ़ें और फिर आरती करने के साथ ही पूजा का समापन करें.सुहागिनों को श्रृंगार दान करना इस दिन काफी शुभ माना जाता है.
क्या है मंगला गौरी व्रत का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है. कुंवारी लड़कियां मनभावन पति पाने के लिए शिव को पूजती हैं और माता गौरी की पूजा अखंड सौभाग्य के लिए की जाती है. गौरी मंगला व्रत भी सुहागिनें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. अगर शादीशुदा जिंदगी में कोई परेशानी आ रही है तो माता मंगला गौरी व्रत करना शुभफलदायी होता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)