कुंडली में अगर मौजूद हों शनि के ये 3 शुभ योग, इंसान बन जाता है अमीर
शनिदेव को जितना कष्टकारी माना जाता है वे उतने ही शुभ फल देने वाले भी होते हैं. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ और उचित भाव में आकर विराजमान हो तो व्यक्ति का जीवन बदलकर रख देते हैं.
आमतौर पर लोग शनि का नाम सुनते ही काफी डर और सहम जाते हैं क्योंकि उनको लगता है कि कहीं शनि की अशुभ छाया तो उन पर नहीं पड़ी गई है. शनि की साढ़ेसाती किसी व्यक्ति के ऊपर लगने पर शनिदेव तमाम तरह की परेशानियां और आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं. वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को न्याय और कर्मफलदाता माना गया है यह व्यक्तियों को ऐसे ही नहीं कष्ट पहुंचाते हैं बल्कि उसके द्वारा किए गए कर्म के आधार पर ही शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं.
शनिदेव को जितना कष्टकारी माना जाता है वे उतने ही शुभ फल देने वाले भी होते हैं. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ और उचित भाव में आकर विराजमान हो तो व्यक्ति का जीवन बदलकर रख देते हैं. अगर शनि प्रसन्न हैं तो उस व्यक्ति को जीवन की सभी तरह की सुख-सुविधाएं और ऐशो आराम प्रदान करते हैं.
किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के कुछ ऐसे योग होते हैं जिनके बनने पर शनिदेव की अपार कृपा मिलती है. व्यक्ति का जीवन सुखमय रहता है. उसके किसी भी तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के 3 शुभ योग बनते हैं व्यक्ति का जीवन कभी भी अभावों में नहीं बीतता है. ऐसे व्यक्ति धनवान बनता चला जाता है. शनि के ये तीन शुभ योग हैं शश योग, सप्तमस्थ योग और शनि शुक्र योग. आइए जानते हैं शनि के इन तीनों शुभ योगों के बारे में.
शश योग
शश योग पंच महापुरुष योग में एक योग होता है. यह बहुत ही शुभ योग होता है. जब किसी जातक की कुंडली में मकर, कुंभ और तुला राशि में शनि स्थित हो तो इस तरह का शुभ योग बनता है. आपको बता दें कि मकर और कुंभ राशि के स्वामी स्वयं शनिदेव होते हैं जबकि तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं यानी इस राशि में शनि के मौजूद होने पर सबसे अच्छा फल शनिदेव प्रदान करते हैं. कुंडली में शश योग बनने के लिए शनि का लग्न से केंद्र में स्थित होना जरूरी होता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में यह योग बनता है उसे अपने जीवन में बहुत ही खुशियां, सुख-समृद्धि और ऐशोआराम की प्राप्ति होती है. जिन जातकों की कुंडली में शश योग बनता है वह अपने क्षेत्र में एक अच्छा मुकाम को हासिल करते हैं. इन लोगों के पास पैसे की कोई भी कमी नहीं होती है.
सप्तमस्थ शनि योग
सप्तमस्थ शनि योग जैसे की इसके नाम से स्पष्ट होता है कि जब कुंडली में शनि सातवें भाव में स्थित हो तो शनि शुभ फल देने वाले कारक की भूमिका निभाते हैं. इस तरह से देखा जाए तो जिन लोगों की कुंडली में शनि सातवें भाव में मौजूद होते हैं वह व्यक्ति बहुत धन अर्जित करता है. इस तरह के लोग बहुत ही मेहनती होते हैं. कुंडली का सातवां भाव जीवनसाथी और साझेदारी को प्रकट करते हैं ऐसे में शनि के सातवें भाव में मौजूदगी विवाह में देरी का कारण भी बनता है. लेकिन विवाह में देरी होने के बाद भी इन लोगों का भाग्य विवाह के बाद चमकता है.
शनि शुक्र योग
शनि-शुक्र योग बहुत ही शुभ योगों में एक माना जाता है. ज्योतिष में शनि को स्थिरता के स्वामी होते हैं जबकि शुक्र सुख, वैभव और भोग विलास के ग्रह होते हैं. ऐसे में जब किसी जातक की कुंडली में शनि और शुक्र दोनों एक साथ मौजूद हो तो शनि-शुक्र योग बनता है. कुंडली में इन दोनों ग्रहों के साथ मौजूद होने पर ही प्रभावशाली माना जाता है. अगर शनि की दृष्टि शुक्र पर पड़ रही हो तो इसका ज्यादा फायदा नहीं मिलता है. कुंडली में शनि-शुक्र योग से व्यक्ति जीवन का हर एक तरह का सुख पाता है. समाज में अच्छा मान-सम्मान और तरक्की हासिल करता है.